ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫

external-link copy
85 : 2

ثُمَّ اَنْتُمْ هٰۤؤُلَآءِ تَقْتُلُوْنَ اَنْفُسَكُمْ وَتُخْرِجُوْنَ فَرِیْقًا مِّنْكُمْ مِّنْ دِیَارِهِمْ ؗ— تَظٰهَرُوْنَ عَلَیْهِمْ بِالْاِثْمِ وَالْعُدْوَانِ ؕ— وَاِنْ یَّاْتُوْكُمْ اُسٰرٰی تُفٰدُوْهُمْ وَهُوَ مُحَرَّمٌ عَلَیْكُمْ اِخْرَاجُهُمْ ؕ— اَفَتُؤْمِنُوْنَ بِبَعْضِ الْكِتٰبِ وَتَكْفُرُوْنَ بِبَعْضٍ ۚ— فَمَا جَزَآءُ مَنْ یَّفْعَلُ ذٰلِكَ مِنْكُمْ اِلَّا خِزْیٌ فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ۚ— وَیَوْمَ الْقِیٰمَةِ یُرَدُّوْنَ اِلٰۤی اَشَدِّ الْعَذَابِ ؕ— وَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ ۟

फिर तुम ही इस वचन का उल्लंघन करते हो; चुनाँचे तुम एक-दूसरे की हत्या करते हो और अपने ही में से कुछ लोगों को उनके विरुद्ध दुश्मनों की मदद लेकर नाहक़ और अन्यायपूर्वक उनके घरों से निकालते हो। और यदि वे शत्रुओं के हाथों बंदी बनकर तुम्हारे पास आते हैं, तो उन्हें क़ैद से छुड़ाने के लिए छुड़ौती देने हेतु दौड़-भाग करते हो, जबकि उन्हें उनके घरों से बाहर निकालना तुम्हारे लिए निषिद्ध है। फिर कैसे तुम तौरात के कुछ आदेशों, जैसे बंदियों को फ़िदया देकर छुड़ाने पर ईमान रखते हो और कुछ शिक्षाओं, जैसे खून का संरक्षण करने और एक-दूसरे को उनके घरों से न निकालने के आदेश का इनकार करते हो?! अतः तुम में से ऐसा करने वाले के लिए सांसारिक जीवन में अपमान के अलावा कोई बदला नहीं है, रही बात आख़िरत की तो वह सबसे कठोर यातना की ओर लौटाया जाएगा। और जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उससे असावधान नहीं, बल्कि वह उससे अवगत है और तुम्हें उसका बदला देगा। info
التفاسير:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• من أعظم الكفر: الإيمان ببعض ما أنزل الله والكفر ببعضه؛ لأن فاعل ذلك قد جعل إلهه هواه.
• सबसे बड़े कुफ़्र में से एक : अल्लाह की उतारी हुई शरीयत के कुछ भाग पर ईमान लाना और कुछ भाग का इनकार करना है; क्योंकि ऐसा करने वाले ने दरअसल अपनी इच्छा को अपना पूज्य बना लिया है। info

• عِظَم ما بلغه اليهود من العناد، واتباع الهوى، والتلاعب بما أنزل الله تعالى.
• यहूदी हठ, इच्छा का पालन करने और अल्लाह की उतारी हुई शरीयत के साथ खिलवाड़ करने में बहुत अधिक बढ़े हुए थे। info

• فضل الله تعالى ورحمته بخلقه، حيث تابع عليهم إرسال الرسل وإنزال الكتب لهدايتهم للرشاد.
• अल्लाह की अपनी सृष्टि पर कृपा और दया। क्योंकि उसने उन्हें सीधी राह दिखाने के लिए लगातार रसूल भेजे और किताबें उतारीं। info

• أن الله يعاقب المعرضين عن الهدى المعاندين لأوامره بالطبع على قلوبهم وطردهم من رحمته؛ فلا يهتدون إلى الحق، ولا يعملون به.
• अल्लाह तआला हिदायत से मुँह फेरने वालों और उसके आदेशों की अवहेलना करने वालों के दिलों पर मुहर लगाकर और उन्हें अपनी रहमत से दूर करके दंडित करता है; चुनाँचे न वे सत्य की ओर मार्गदर्शन पाते हैं और न उसपर अमल करते हैं। info