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270 : 2

وَمَاۤ اَنْفَقْتُمْ مِّنْ نَّفَقَةٍ اَوْ نَذَرْتُمْ مِّنْ نَّذْرٍ فَاِنَّ اللّٰهَ یَعْلَمُهٗ ؕ— وَمَا لِلظّٰلِمِیْنَ مِنْ اَنْصَارٍ ۟

तुम अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए जो भी थोड़ा हो या बहुत खर्च करो, या तुम अपनी ओर से अल्लाह की आज्ञाकारिता का कोई कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध हो जाओ, जिसके लिए तुम बाध्य नहीं किए गए हो; तो निःसंदेह अल्लाह वह सब जानता है। अतः उसमें से कोई भी चीज़ उसके पास बर्बाद नहीं होगी और वह तुम्हें उसका सबसे बड़ा बदला देगा। तथा उन अत्याचारियों के लिए, जो अपने ऊपर अनिवार्य चीज़ों को रोकने वाले, अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करने वाले हैं, कोई मदद करने वाले नहीं होंगे, जो उनसे क़ियामत के दिन की सज़ा को दूर कर सकें। info
التفاسير:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• إذا أخلص المؤمن في نفقاته وصدقاته فلا حرج عليه في إظهارها وإخفائها بحسب المصلحة، وإن كان الإخفاء أعظم أجرًا وثوابًا لأنها أقرب للإخلاص.
• यदि मोमिन बंदा अपने ख़र्च और दान में मुख़्लिस (निष्ठावान) है, तो हित के अनुसार उसे दिखाने और छिपाने में कोई आपत्ति की बात नहीं है। हालाँकि छिपाने में अधिक पुन्य है; क्योंकि वह इख़्लास (निष्ठा) के अधिक निकट है। info

• دعوة المؤمنين إلى الالتفات والعناية بالمحتاجين الذين تمنعهم العفة من إظهار حالهم وسؤال الناس.
• इसमें ईमान वालों से आह्वान किया गया है कि वे ऐसे ज़रूरतमंदों पर ध्यान दें और उनकी देखभाल करें, जिन्हें भिक्षावृत्ति से परहेज़ अपनी स्थिति प्रकट करने और लोगों से माँगने से रोकती है। info

• مشروعية الإنفاق في سبيل الله تعالى في كل وقت وحين، وعظم ثوابها، حيث وعد تعالى عليها بعظيم الأجر في الدنيا والآخرة.
• अल्लाह के मार्ग में हर समय और हर घड़ी खर्च करने की वैधता और उसका महान प्रतिफल, क्येंकि अल्लाह ने इसपर दुनिया और आख़िरत में महान प्रतिफल का वादा किया है। info