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26 : 19

فَكُلِیْ وَاشْرَبِیْ وَقَرِّیْ عَیْنًا ۚ— فَاِمَّا تَرَیِنَّ مِنَ الْبَشَرِ اَحَدًا ۙ— فَقُوْلِیْۤ اِنِّیْ نَذَرْتُ لِلرَّحْمٰنِ صَوْمًا فَلَنْ اُكَلِّمَ الْیَوْمَ اِنْسِیًّا ۟ۚ

अतः ताज़ा खजूरें खाओ, पानी पियो, अपने नवजात शिशु से दिल बहलाओ और शोक मत करो। फिर यदि कोई आदमी दिखाई दे और वह तुमसे बच्चे के बारे में पूछे, तो उससे कह दो : मैंने अपने पालनहार के लिए अपने आपपर चुप रहने को अनिवार्य कर लिया है। इसलिए आज मैं किसी इनसान से हरगिज़ बात नहीं करूँगी। info
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27 : 19

فَاَتَتْ بِهٖ قَوْمَهَا تَحْمِلُهٗ ؕ— قَالُوْا یٰمَرْیَمُ لَقَدْ جِئْتِ شَیْـًٔا فَرِیًّا ۟

फिर मरयम अपने बेटे को उठाए हुए अपनी जाति के पास आई, तो उसकी जाति के लोगों ने निंदा करते हुए उससे कहा : ऐ मरयम! तूने बिना पिता के पुत्र लाकर एक बड़ा निंदनीय काम किया है। info
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28 : 19

یٰۤاُخْتَ هٰرُوْنَ مَا كَانَ اَبُوْكِ امْرَاَ سَوْءٍ وَّمَا كَانَتْ اُمُّكِ بَغِیًّا ۟ۖۚ

ऐ हारून (जो एक सदाचारी व्यक्ति थे) जैसी इबादत करने वाली महिला! तेरा पिता कोई व्यभिचारी नहीं था, और न ही तेरी माता कोई व्यभिचारिणी थी। तुम तो एक पवित्र घराने से हो, जो सदाचार में प्रसिद्ध है। फिर तुम बिना पिता के पुत्र कैसे ले आईॽ! info
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29 : 19

فَاَشَارَتْ اِلَیْهِ ۫ؕ— قَالُوْا كَیْفَ نُكَلِّمُ مَنْ كَانَ فِی الْمَهْدِ صَبِیًّا ۟

तब उसने अपने पुत्र ईसा (अलैहिस्सलाम) की ओर इशारा किया, जो गोद में था। तो उसकी जाति के लोगों ने आश्चर्य करते हुए उससे कहा : हम एक बच्चे से कैसे बात करें जबकि वह गोद में है?! info
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30 : 19

قَالَ اِنِّیْ عَبْدُ اللّٰهِ ۫ؕ— اٰتٰىنِیَ الْكِتٰبَ وَجَعَلَنِیْ نَبِیًّا ۟ۙ

ईसा (अलैहिस्सलाम) ने कहा : निःसंदेह मैं अल्लाह का बंदा हूँ, उसने मुझे इनजील प्रदान किया है और अपने नबियों में से एक नबी बनाया है। info
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31 : 19

وَّجَعَلَنِیْ مُبٰرَكًا اَیْنَ مَا كُنْتُ ۪— وَاَوْصٰنِیْ بِالصَّلٰوةِ وَالزَّكٰوةِ مَا دُمْتُ حَیًّا ۟ۙ

मैं जहाँ कहीं भी रहूँ, उसने मुझे लोगों के लिए बहुत लाभदायक बनाया है और जीवन भर मुझे नमाज़ अदा करते रहने तथा ज़कात देते रहने का आदेश दिया है। info
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32 : 19

وَّبَرًّا بِوَالِدَتِیْ ؗ— وَلَمْ یَجْعَلْنِیْ جَبَّارًا شَقِیًّا ۟

और उसने मुझे अपनी माँ के साथ अच्छा व्यवहार करने वाला बनाया है तथा अपने रब के आज्ञापालन से अभिमान करने वाला और उसकी अवज्ञा करने वाला नहीं बनाया है। info
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33 : 19

وَالسَّلٰمُ عَلَیَّ یَوْمَ وُلِدْتُّ وَیَوْمَ اَمُوْتُ وَیَوْمَ اُبْعَثُ حَیًّا ۟

तथा मुझे शैतान और उसके सहयोगियों से सुरक्षित रखा गया है जिस दिन मैं पैदा हुआ, जिस दिन मैं मरूँगा और जब क़ियामत के दिन दोबारा जीवित करके उठाया जाऊँगा। अतः मैं इन तीनों वहशतनाक स्थितियों में शैतान के प्रभाव से सुरक्षित रहा। info
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34 : 19

ذٰلِكَ عِیْسَی ابْنُ مَرْیَمَ ۚ— قَوْلَ الْحَقِّ الَّذِیْ فِیْهِ یَمْتَرُوْنَ ۟

इन सभी गुणों से विशिष्ट व्यक्ति ईसा बिन मरयम है। यही उसके बारे में सत्य बात है, न कि उन गुमराह लोगों की बात, जो उसके बारे में संदेह करते हैं और मतभेद में पड़े हुए हैं। info
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35 : 19

مَا كَانَ لِلّٰهِ اَنْ یَّتَّخِذَ مِنْ وَّلَدٍ ۙ— سُبْحٰنَهٗ ؕ— اِذَا قَضٰۤی اَمْرًا فَاِنَّمَا یَقُوْلُ لَهٗ كُنْ فَیَكُوْنُ ۟ؕ

यह अल्लाह की महिमा के योग्य नहीं है कि वह संतान बनाए। वह इससे बहुत पवित्र और पाक है। जब वह किसी काम का इरादा करता है, तो उसके लिए उस काम को केवल इतना कहना पर्याप्त होता है कि 'हो जा' और वह अनिवार्य रूप से हो जाता है। अतः जिसकी यह महिमा हो, वह बेटा बनाने से सर्वोच्च है। info
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36 : 19

وَاِنَّ اللّٰهَ رَبِّیْ وَرَبُّكُمْ فَاعْبُدُوْهُ ؕ— هٰذَا صِرَاطٌ مُّسْتَقِیْمٌ ۟

तथा पवित्र अल्लाह ही मेरा और तुम सब का रब है। अतः पूरी निष्ठा से केवल उसी की इबादत करो। यह जो मैंने तुम्हें बताया, वह सीधा मार्ग है, जो अल्लाह की प्रसन्नता की ओर ले जाता है। info
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37 : 19

فَاخْتَلَفَ الْاَحْزَابُ مِنْ بَیْنِهِمْ ۚ— فَوَیْلٌ لِّلَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْ مَّشْهَدِ یَوْمٍ عَظِیْمٍ ۟

फिर लोग ईसा (अलैहिस्सलाम) के बारे में मतभेद के शिकार हो गए और अलग-अलग गिरोहों में बँट गए। उनमें से कुछ लोग उसपर ईमान लाए और कहा : वह एक रसूल है। जबकि कुछ लोगों ने उसपर विश्वास नहीं किया, जैसा कि यहूदियों का हाल रहा। इसी तरह कुछ संप्रदायों ने उसके बारे में अतिशयोक्ति की। उनमें से कुछ ने कहा कि वह अल्लाह है और कुछ ने कहा कि वह अल्लाह का बेटा है। सच्चाई यह है कि अल्लाह इन सारी बातों से ऊँचा है। अतः उसके बारे में मतभेद करने वालों के लिए क़ियामत के दिन बड़ा विनाश है, जिस दिन भयावह परिस्थितियों का सामना होगा, हिसाब-किताब के दौर से गुज़रना होगा और सज़ा भुगतनी होगी। info
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38 : 19

اَسْمِعْ بِهِمْ وَاَبْصِرْ ۙ— یَوْمَ یَاْتُوْنَنَا لٰكِنِ الظّٰلِمُوْنَ الْیَوْمَ فِیْ ضَلٰلٍ مُّبِیْنٍ ۟

उस दिन वे कितना सुनने वाले और कितना देखने वाले होंगे। वे उस समय सुनेंगे जब उन्हें सुनने से कोई फायदा नहीं होगा और उस समय देखेंगे जब देखने से उन्हें कोई लाभ नहीं होगा। परंतु अत्याचारी लोग दुनिया के जीवन में सीधे मार्ग से हटकर स्पष्ट गुमराही में पड़े हुए हैं। अतः वे आख़िरत के लिए कोई तैयारी नहीं करते यहाँ तक कि वह अचानक उन पर आ जाएगी और वे अपने अत्याचार ही में पड़े होंगे। info
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• في أمر مريم بالسكوت عن الكلام دليل على فضيلة الصمت في بعض المواطن .
• मरयम को चुप रहने का आदेश देने में कुछ स्थानों पर खामोश रहने की श्रेष्ठता का प्रमाण है। info

• نذر الصمت كان جائزًا في شرع من قبلنا، أما في شرعنا فقد دلت السنة على منعه.
हमसे पहले की शरीयत में चुप रहने की मन्नत मानना जायज़ था, परंतु हमारी शरीयत में इसकी मनाही है, जैसा कि सुन्नत से पता चलता है। info

• أن ما أخبر به القرآن عن كيفية خلق عيسى هو الحق القاطع الذي لا شك فيه، وكل ما عداه من تقولات باطل لا يليق بالرسل.
• ईसा अलैहिस्सलाम की पैदाइश के बारे में क़ुरआन ने जो बताया है, वही अटल सत्य है जिसमें कोई संदेह नहीं है। उसके सिवा अन्य सभी कथन झूठे हैं और रसूलों को शोभा नहीं देते। info

• في الدنيا يكون الكافر أصم وأعمى عن الحق، ولكنه سيبصر ويسمع في الآخرة إذا رأى العذاب، ولن ينفعه ذلك.
• दुनिया में काफ़िर सत्य से अंधा और बहरा होता है। परंतु आख़िरत में जब अज़ाब देखेगा, तो सुनने और देखने लगेगा, लेकिन इससे उसे कुछ लाभ न होगा। info