122. चंद गिने हुए दिनों से अभिप्राय ज़ुलह़िज्जा मास की 11, 12, और 13 तारीख़ें हैं। जिनको "अय्यामे तश्रीक़" कहा जाता है। 123. अर्थात 12 ज़ुलह़िज्जा को ही सूर्यास्त के पहले कंकरी मारने के पश्चात् चल दे। 124. देर से निकले, अर्थात मिना में रात बिताए और 13 ज़ुलह़िज्जा को कंकरी मारे, फिर मिना से निकले।
124. अर्थात मुनाफ़िक़ों (पाखंडियों) में।
125. अर्थात उसकी राह में और उसकी आज्ञा के अनुपालन द्वारा।
126. अर्थात इस्लाम के पूरे संविधान का अनुपालन करो।
127. खुले तर्कों से अभिप्राय क़ुरआन और सुन्नत है। 128. अर्थात तथ्य को जानता और प्रत्येक वस्तु को उसके उचित स्थान पर रखता है।
129. अर्थात सब निर्णय प्रलोक में वही करेगा।