पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद : अजिजुल हक उमरी ।

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65 : 19

رَبُّ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا بَیْنَهُمَا فَاعْبُدْهُ وَاصْطَبِرْ لِعِبَادَتِهٖ ؕ— هَلْ تَعْلَمُ لَهٗ سَمِیًّا ۟۠

जो आकाशों और धरती का और उन दोनों के बीच की चीज़ों का पालनहार है। अतः उसी की इबादत करें तथा उसकी इबादत पर पर दृढ़ रहें। क्या आप उसका समकक्ष किसी को जानते हैं? info
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66 : 19

وَیَقُوْلُ الْاِنْسَانُ ءَاِذَا مَا مِتُّ لَسَوْفَ اُخْرَجُ حَیًّا ۟

तथा मनुष्य कहता है : जब मैं मर गया, तो क्या मैं सचमुच फिर जीवित करके निकाला जाऊँगा? info
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67 : 19

اَوَلَا یَذْكُرُ الْاِنْسَانُ اَنَّا خَلَقْنٰهُ مِنْ قَبْلُ وَلَمْ یَكُ شَیْـًٔا ۟

और क्या मनुष्य याद नहीं करता कि निःसंदेह हम ही ने उसे इससे पूर्व पैदा किया, जबकि वह कुछ भी नहीं था? info
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68 : 19

فَوَرَبِّكَ لَنَحْشُرَنَّهُمْ وَالشَّیٰطِیْنَ ثُمَّ لَنُحْضِرَنَّهُمْ حَوْلَ جَهَنَّمَ جِثِیًّا ۟ۚ

तो क़सम है आपके पालनहार की! निःसंदेह हम उन्हें और शैतानों को ज़रूर इकट्ठा करेंगे, फिर निःसंदेह हम उन्हें जहन्नम के आसपास घुटनों के बल गिरे हुए ज़रूर उपस्थित करेंगे। info
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69 : 19

ثُمَّ لَنَنْزِعَنَّ مِنْ كُلِّ شِیْعَةٍ اَیُّهُمْ اَشَدُّ عَلَی الرَّحْمٰنِ عِتِیًّا ۟ۚ

फिर निश्चय ही हम प्रत्येक गिरोह में से उस व्यक्ति को अवश्य निकालेंगे, जो रहमान (परम दयावान) के प्रति सबसे बढ़कर सरकश है। info
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70 : 19

ثُمَّ لَنَحْنُ اَعْلَمُ بِالَّذِیْنَ هُمْ اَوْلٰی بِهَا صِلِیًّا ۟

फिर, निश्चित रूप से, हम उन लोगों को अधिक जानने वाले हैं, जो इसमें झोंके जाने के अधिक योग्य हैं। info
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71 : 19

وَاِنْ مِّنْكُمْ اِلَّا وَارِدُهَا ۚ— كَانَ عَلٰی رَبِّكَ حَتْمًا مَّقْضِیًّا ۟ۚ

और तुममें से जो भी है, उस पर से गुज़रने वाला[17] है। यह एक पूर्वनिर्धारित निर्णय है जिसे पूरा करना आपके पालनहार के ज़िम्मे है। info

17. अर्थात नरक से जिस पर एक पुल बनाया जाएगा। उस पर से सभी ईमान वालों और काफ़िरों को अवश्य गुज़रना होगा। यह और बात है कि ईमान वालों को इससे कोई हानि न पहुँचे। इसकी व्याख्या सह़ीह़ ह़दीसों में वर्णित है।

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72 : 19

ثُمَّ نُنَجِّی الَّذِیْنَ اتَّقَوْا وَّنَذَرُ الظّٰلِمِیْنَ فِیْهَا جِثِیًّا ۟

फिर हम डरने वालों को बचा लेंगे तथा अत्याचारियों को उसमें मुँह के बल गिरे हुए छोड़ देंगे। info
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73 : 19

وَاِذَا تُتْلٰی عَلَیْهِمْ اٰیٰتُنَا بَیِّنٰتٍ قَالَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لِلَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا ۙ— اَیُّ الْفَرِیْقَیْنِ خَیْرٌ مَّقَامًا وَّاَحْسَنُ نَدِیًّا ۟

तथा जब उनके समक्ष हमारी स्पष्ट आयतें पढ़ी जाती हैं, तो काफ़िर लोग ईमान लाने वालों से कहते हैं कि दोनों गिरोहों में से किसकी स्थिति बेहतर और सभा की दृष्टि से कौन अधिक अच्छा है? info
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74 : 19

وَكَمْ اَهْلَكْنَا قَبْلَهُمْ مِّنْ قَرْنٍ هُمْ اَحْسَنُ اَثَاثًا وَّرِﺋْﻴًﺎ ۟

और हम इनसे पहले कितनी ही जातियों को नष्ट कर चुके हैं, जो जीवन-साधन और शक्ल-सूरत (वेशभूषा) में कहीं अधिक अच्छी थीं। info
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75 : 19

قُلْ مَنْ كَانَ فِی الضَّلٰلَةِ فَلْیَمْدُدْ لَهُ الرَّحْمٰنُ مَدًّا ۚ۬— حَتّٰۤی اِذَا رَاَوْا مَا یُوْعَدُوْنَ اِمَّا الْعَذَابَ وَاِمَّا السَّاعَةَ ؕ۬— فَسَیَعْلَمُوْنَ مَنْ هُوَ شَرٌّ مَّكَانًا وَّاَضْعَفُ جُنْدًا ۟

(हे नबी!) आप कह दें कि जो व्यक्ति गुमराही में पड़ा हुआ है, तो रहमान उसे एक अवधि तक मोहलत देता है। यहाँ तक कि जब वे उस चीज़ को देख लेंगे जिसका उनसे वादा किया जाता है; या तो यातना और या क़ियामत, तो वे अवश्य जान लेंगे कि कौन स्थिति में अधिक बुरा और जत्थे की दृष्टि से अधिक कमज़ोर है। info
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76 : 19

وَیَزِیْدُ اللّٰهُ الَّذِیْنَ اهْتَدَوْا هُدًی ؕ— وَالْبٰقِیٰتُ الصّٰلِحٰتُ خَیْرٌ عِنْدَ رَبِّكَ ثَوَابًا وَّخَیْرٌ مَّرَدًّا ۟

और अल्लाह हिदायत पाने वालों को हिदायत में आधिक कर देता है और शेष रहने वाली नेकियाँ आपके पालनहार के निकट सवाब की दृष्टि से बेहतर तथा परिणाम की दृष्टि से कहीं अच्छी हैं। info
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