पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद : अजिजुल हक उमरी ।

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4 : 10

اِلَیْهِ مَرْجِعُكُمْ جَمِیْعًا ؕ— وَعْدَ اللّٰهِ حَقًّا ؕ— اِنَّهٗ یَبْدَؤُا الْخَلْقَ ثُمَّ یُعِیْدُهٗ لِیَجْزِیَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ بِالْقِسْطِ ؕ— وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَهُمْ شَرَابٌ مِّنْ حَمِیْمٍ وَّعَذَابٌ اَلِیْمٌ بِمَا كَانُوْا یَكْفُرُوْنَ ۟

तुम सब को उसी की ओर लौटना है। यह अल्लाह का सच्चा वादा है। निःसंदेह वही रचना का आरंभ करता है, फिर उसे दोबारा पैदा करेगा, ताकि उन लोगों को न्याय के साथ बदला[2] दे, जो ईमान लाए और अच्छे कर्म किए। तथा जिन लोगों ने कुफ़्र किया, उनके लिए खौलते हुए जल का पेय और दर्दनाक यातना है, उसके बदले जो वे कुफ़्र किया करते थे। info

2. भावार्थ यह है कि यह दूसरा परलोक का जीवन इसलिए आवश्यक है कि कर्मों के फल का नियम यह चाहता है कि जब एक जीवन कर्म के लिए है, तो दूसरा कर्मों के प्रतिफल के लिए होना चाहिए।

التفاسير: