9. इससे अभिप्राय अश्लीलता पर आधारित कुकर्म हैं। जैसे बाल-मैथुन, व्यभिचार, नारियों का अपने सौंदर्य का प्रदर्शन और पर्दे का त्याग, मिश्रित शिक्षा, मिश्रित सभाएँ, सौंदर्य की प्रतियोगिता आदि। जिसे आधुनिक युग में सभ्यता का नाम दिया जाता है। और मुस्लिम समाज भी इससे प्रभावित हो रहा है। ह़दीस में है कि सात विनाशकारी कर्मों से बचो : 1- अल्लाह का साझी बनाने से। 2- जादू करना। 3- अकारण जान मारना। 4- मदिरा पीना। 5- अनाथ का धन खाना। 6- युद्ध के दिन भागना। 7- तथा भोली-भाली पवित्र स्त्री को कलंक लगाना। (सह़ीह़ बुख़ारी : 2766, मुस्लिम : 89) 10. अर्थात तुम्हारे मूल आदम (अलैहिस्सलाम) को।
11. इस आयत में जो परंपरागत धर्म को मोक्ष का साधन समझता है उससे कहा जा रहा है कि क्या वह जानता है कि प्रलय के दिन इतने ही से सफल हो जाएगा? जबकि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) वह़्य के आधार पर जो प्रस्तुत कर रहे हैं, वही सत्य है। और अल्लाह की वह़्य ही परोक्ष के ज्ञान का साधन है।