വിശുദ്ധ ഖുർആൻ പരിഭാഷ - ഹിന്ദി വിവർത്തനം - അസീസുൽ ഹഖ് അൽ ഉമരി

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30 : 3

یَوْمَ تَجِدُ كُلُّ نَفْسٍ مَّا عَمِلَتْ مِنْ خَیْرٍ مُّحْضَرًا ۖۚۛ— وَّمَا عَمِلَتْ مِنْ سُوْٓءٍ ۛۚ— تَوَدُّ لَوْ اَنَّ بَیْنَهَا وَبَیْنَهٗۤ اَمَدًاۢ بَعِیْدًا ؕ— وَیُحَذِّرُكُمُ اللّٰهُ نَفْسَهٗ ؕ— وَاللّٰهُ رَءُوْفٌۢ بِالْعِبَادِ ۟۠

जिस दिन प्रत्येक व्यक्ति अपनी की हुई नेकी को हाज़िर किया हुआ पाएगा, तथा जिसने बुराई की होगी, वह कामना करेगा कि उसके तथा उसकी बुराई के बीच बहुत दूर का फ़ासला होता। तथा अल्लाह तुम्हें अपने आपसे[14] डराता है और अल्लाह अपने बंदों के प्रति अत्यंत करुणामय है। info

14. अर्थात अपनी अवज्ञा से।

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31 : 3

قُلْ اِنْ كُنْتُمْ تُحِبُّوْنَ اللّٰهَ فَاتَّبِعُوْنِیْ یُحْبِبْكُمُ اللّٰهُ وَیَغْفِرْ لَكُمْ ذُنُوْبَكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟

(ऐ नबी!) कह दीजिए : यदि तुम अल्लाह से प्रेम करते हो, तो मेरा अनुसरण करो, अल्लाह तुमसे प्रेम[15] करेगा तथा तुम्हें तुम्हारे पाप क्षमा कर देगा और अल्लाह बहुत क्षमा करने वाला, अत्यंत दयावान् है। info

15. इसमें यह संकेत है कि जो अल्लाह से प्रेम का दावा करता हो और मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का अनुसरण न करता हो, तो वह अल्लाह से प्रेम करने वाला नहीं हो सकता।

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32 : 3

قُلْ اَطِیْعُوا اللّٰهَ وَالرَّسُوْلَ ۚ— فَاِنْ تَوَلَّوْا فَاِنَّ اللّٰهَ لَا یُحِبُّ الْكٰفِرِیْنَ ۟

(ऐ नबी!) आप कह दें : अल्लाह और रसूल की आज्ञा का अनुपालन करो। फिर यदि वे मुँह फेर लें, तो निःसंदेह अल्लाह काफ़िरों से प्रेम नहीं करता। info
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33 : 3

اِنَّ اللّٰهَ اصْطَفٰۤی اٰدَمَ وَنُوْحًا وَّاٰلَ اِبْرٰهِیْمَ وَاٰلَ عِمْرٰنَ عَلَی الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ

निःसंदेह अल्लाह ने आदम और नूह़ को तथा इबराहीम के घराने और इमरान के घराने को संसार वासियों में से चुन लिया। info
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34 : 3

ذُرِّیَّةً بَعْضُهَا مِنْ بَعْضٍ ؕ— وَاللّٰهُ سَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟ۚ

ये एक-दूसरे की संतान हैं और अल्लाह सब कुछ सुनने वाला और सब कुछ जानने वाला है। info
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35 : 3

اِذْ قَالَتِ امْرَاَتُ عِمْرٰنَ رَبِّ اِنِّیْ نَذَرْتُ لَكَ مَا فِیْ بَطْنِیْ مُحَرَّرًا فَتَقَبَّلْ مِنِّیْ ۚ— اِنَّكَ اَنْتَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ۟

जब इमरान की पत्नी[16] ने कहा : ऐ मेरे पालनहार! निःसंदेह मैंने तेरे[17] लिए उसकी मन्नत मानी है, जो मेरे पेट में है कि आज़ाद छोड़ा हुआ होगा। सो मुझसे स्वीकार कर। निःसंदेह तू ही सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है। info

16. अर्थात मरयम की माँ। 17. अर्थात बैतुल मक़दिस की सेवा के लिए।

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36 : 3

فَلَمَّا وَضَعَتْهَا قَالَتْ رَبِّ اِنِّیْ وَضَعْتُهَاۤ اُ ؕ— وَاللّٰهُ اَعْلَمُ بِمَا وَضَعَتْ ؕ— وَلَیْسَ الذَّكَرُ كَالْاُ ۚ— وَاِنِّیْ سَمَّیْتُهَا مَرْیَمَ وَاِنِّیْۤ اُعِیْذُهَا بِكَ وَذُرِّیَّتَهَا مِنَ الشَّیْطٰنِ الرَّجِیْمِ ۟

फिर जब उसने उसे जना, तो कहा : ऐ मेरे पालनहार! यह तो मैंने लड़की जनी है! और अल्लाह अधिक जानने वाला है जो उसने जना और लड़का इस लड़की जैसा नहीं, निःसंदेह मैंने उसका नाम मरयम रखा है और निःसंदेह मैं उसे तथा उसकी संतान को धिक्कारे हुए शैतान से तेरी पनाह में देती हूँ।[18] info

18. हदीस में है कि जब कोई शिशु जन्म लेता है, तो शैतान उसे स्पर्श करता है, जिसके कारण वह चीख कर रोता है, परंतु मरयम और उसके पुत्र को स्पर्श नहीं किया था। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4548)

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37 : 3

فَتَقَبَّلَهَا رَبُّهَا بِقَبُوْلٍ حَسَنٍ وَّاَنْۢبَتَهَا نَبَاتًا حَسَنًا ۙ— وَّكَفَّلَهَا زَكَرِیَّا ؕ— كُلَّمَا دَخَلَ عَلَیْهَا زَكَرِیَّا الْمِحْرَابَ ۙ— وَجَدَ عِنْدَهَا رِزْقًا ۚ— قَالَ یٰمَرْیَمُ اَنّٰی لَكِ هٰذَا ؕ— قَالَتْ هُوَ مِنْ عِنْدِ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یَرْزُقُ مَنْ یَّشَآءُ بِغَیْرِ حِسَابٍ ۟

तो उसके पालनहार ने उसे अच्छी स्वीकृति के साथ स्वीकार किया और उसका अच्छी तरह पालन-पोषण किया और उसका अभिभावक ज़करिय्या को बना दिया। जब कभी ज़करिय्या उसके पास मेह़राब (उपासना की जगह) में जाता, उसके पास कोई न कोई खाने की चीज़ पाता। उसने कहा : ऐ मरयम! यह तेरे लिए कहाँ से है? उसने कहा : यह अल्लाह के पास से है। निःसंदेह अल्लाह जिसे चाहता है, बेहिसाब रोज़ी प्रदान करता है। info
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