വിശുദ്ധ ഖുർആൻ പരിഭാഷ - ഹിന്ദി വിവർത്തനം - അസീസുൽ ഹഖ് അൽ ഉമരി

अल्-क़ारिआ़

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1 : 101

اَلْقَارِعَةُ ۟ۙ

वह खड़खड़ा देने वाली। info
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2 : 101

مَا الْقَارِعَةُ ۟ۚ

क्या है वह खड़खड़ा देने वाली? info
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3 : 101

وَمَاۤ اَدْرٰىكَ مَا الْقَارِعَةُ ۟ؕ

और तुम क्या जानो कि वह खड़खड़ा देने वाली क्या है?[1] info

1. 'क़ारिअह' प्रलय ही का एक नाम है जो उसके समय की घोर दशा का चित्रण करता है। इसका शाब्दिक अर्थ द्वार खटखटाना है। जब कोई अतिथि अकस्मात रात में आता है तो उसे दरवाज़ा खटखटाने की आवश्यकता होती है। जिससे एक तो यह ज्ञात हुआ कि प्रलय अकस्मात होगी। और दूसरा यह ज्ञात हुआ कि वह कड़ी ध्वनि और भारी उथल-पुथल के साथ आएगी। इसे प्रश्नवाचक वाक्यों में दोहराना सावधान करने और उसकी गंभीरता को प्रस्तुत करने के लिए है।

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4 : 101

یَوْمَ یَكُوْنُ النَّاسُ كَالْفَرَاشِ الْمَبْثُوْثِ ۟ۙ

जिस दिन लोग बिखरे हुए पतिंगों की तरह हो जाएँगे। info
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5 : 101

وَتَكُوْنُ الْجِبَالُ كَالْعِهْنِ الْمَنْفُوْشِ ۟ؕ

और पर्वत धुने हुए रंगीन ऊन की तरह हो जाएँगे।[2] info

2. (4-5) इन दोनों आयतों में उस स्थिति को दर्शाया गया है जो उस समय लोगों और पर्वतों की होगी।

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6 : 101

فَاَمَّا مَنْ ثَقُلَتْ مَوَازِیْنُهٗ ۟ۙ

तो जिसके पलड़े भारी हो गए, info
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7 : 101

فَهُوَ فِیْ عِیْشَةٍ رَّاضِیَةٍ ۟ؕ

तो वह संतोषजनक जीवन में होगा। info
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8 : 101

وَاَمَّا مَنْ خَفَّتْ مَوَازِیْنُهٗ ۟ۙ

तथा जिसके पलड़े हल्के हो गए, info
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9 : 101

فَاُمُّهٗ هَاوِیَةٌ ۟ؕ

उसका ठिकाना 'हाविया' (गड्ढा) है। info
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10 : 101

وَمَاۤ اَدْرٰىكَ مَا هِیَهْ ۟ؕ

और तुम क्या जानो कि वह ('हाविया') क्या है? info
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11 : 101

نَارٌ حَامِیَةٌ ۟۠

वह एक बहुत गर्म आग है।[3] info

3. (6-11) इन आयतों में यह बताया गया है कि प्रलय क्यों होगी? इसलिए कि इस संसार में जिसने भले बुरे कर्म किए हैं उनका प्रतिकार कर्मों के आधार पर दिया जाए, जिसका परिणाम यह होगा कि जिसने सत्य विश्वास के साथ सत्कर्म किया होगा, वह सुख का भागी होगा। और जिसने निर्मल परंपरागत रीतियों को मानकर कर्म किया होगा, वह नरक में झोंक दिया जाएगा।

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