വിശുദ്ധ ഖുർആൻ പരിഭാഷ - ഖുർആൻ സംക്ഷിപ്ത വിശദീകരണം - പരിഭാഷ (ഹിന്ദി)

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11 : 39

قُلْ اِنِّیْۤ اُمِرْتُ اَنْ اَعْبُدَ اللّٰهَ مُخْلِصًا لَّهُ الدِّیْنَ ۟ۙ

(ऐ रसूल!) आप कह दें : अल्लाह ने मुझे आदेश दिया है कि मैं केवल उसी की इबादत करूँ, उसके लिए इबादत को विशुद्ध करते हुए। info
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12 : 39

وَاُمِرْتُ لِاَنْ اَكُوْنَ اَوَّلَ الْمُسْلِمِیْنَ ۟

और उसने मुझे आदेश दिया है कि मैं इस उम्मत का सबसे पहला आज्ञाकारी और हुक्म मानने वाला बनूँ। info
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13 : 39

قُلْ اِنِّیْۤ اَخَافُ اِنْ عَصَیْتُ رَبِّیْ عَذَابَ یَوْمٍ عَظِیْمٍ ۟

(ऐ रसूल!) आप कह दें : यदि मैं अल्लाह की अवज्ञा करता हूँ और उसकी बात नहीं मानता, तो मुझे एक महान दिन की यातना का डर है और वह क़ियामत का दिन है। info
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14 : 39

قُلِ اللّٰهَ اَعْبُدُ مُخْلِصًا لَّهٗ دِیْنِیْ ۟ۙۚ

(ऐ रसूल!) आप कह दें : मैं केवल अल्लाह की इबादत करता हूँ, उसी के लिए इबादत को ख़ालिस करते हुए। उसके साथ किसी अन्य की इबादत नहीं करता। info
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15 : 39

فَاعْبُدُوْا مَا شِئْتُمْ مِّنْ دُوْنِهٖ ؕ— قُلْ اِنَّ الْخٰسِرِیْنَ الَّذِیْنَ خَسِرُوْۤا اَنْفُسَهُمْ وَاَهْلِیْهِمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ ؕ— اَلَا ذٰلِكَ هُوَ الْخُسْرَانُ الْمُبِیْنُ ۟

(ऐ मुश्रिको!) तुम उसके सिवा जिन मूर्तियों की भी चाहो, पूजा करो, (यह आदेश धमकी के लिए है)। (ऐ रसूल!) आप कह दें : वास्तविक घाटा उठाने वाले वे लोग हैं, जिन्होंने अपना घाटा किया और अपने घर वालों का घाटा किया। चुनाँचे वे उनसे नहीं मिल सके। क्योंकि वे अकेले जन्नत में दाखिल होने के कारण, या उनके साथ ही जहन्नम में जाने की वजह से, उनका साथ छोड़ दिए। इसलिए वे कभी नहीं मिलेंगे। सुन लो! वास्तव में यही स्पष्ट घाटा है, जिसमें कोई संदेह नहीं है। info
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16 : 39

لَهُمْ مِّنْ فَوْقِهِمْ ظُلَلٌ مِّنَ النَّارِ وَمِنْ تَحْتِهِمْ ظُلَلٌ ؕ— ذٰلِكَ یُخَوِّفُ اللّٰهُ بِهٖ عِبَادَهٗ ؕ— یٰعِبَادِ فَاتَّقُوْنِ ۟

उनके लिए उनके ऊपर से धुआँ, लौ और गर्मी होगी और उनके नीचे से भी धुआँ, लौ और गर्मी होगी। इस उल्लिखित यातना के द्वारा अल्लाह अपने बंदों को डराता है। अतः ऐ मेरे बंदो! मेरे आदेशों का पालन करके और मेरे निषेधों से बचकर मुझसे डरो। info
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17 : 39

وَالَّذِیْنَ اجْتَنَبُوا الطَّاغُوْتَ اَنْ یَّعْبُدُوْهَا وَاَنَابُوْۤا اِلَی اللّٰهِ لَهُمُ الْبُشْرٰی ۚ— فَبَشِّرْ عِبَادِ ۟ۙ

जो लोग मूर्तियों तथा अल्लाह के सिवा पूजी जाने वाली समस्त चीज़ों की पूजा से दूर रहे और अल्लाह की ओर तौबा करते हुए लौटे, उनके लिए मौत के समय, कब्र में और क़ियामत के दिन जन्नत की खुशख़बरी है। अतः (ऐ रसूल!) आप मेरे बंदों को खुशख़बरी सुना दें। info
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18 : 39

الَّذِیْنَ یَسْتَمِعُوْنَ الْقَوْلَ فَیَتَّبِعُوْنَ اَحْسَنَهٗ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ هَدٰىهُمُ اللّٰهُ وَاُولٰٓىِٕكَ هُمْ اُولُوا الْاَلْبَابِ ۟

जो बात को सुनते हैं और अच्छी और बुरी बात के बीच अंतर करते हैं, फिर उसमें पाए जाने वाले लाभ के लिए सबसे अच्छी बात का अनुसरण करते हैं। इन विशेषताओं से सुसज्जित लोग ही हैं, जिन्हें अल्लाह ने हिदायत की तौफ़ीक़ दी है। और वही लोग शुद्ध विवेक वाले हैं। info
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19 : 39

اَفَمَنْ حَقَّ عَلَیْهِ كَلِمَةُ الْعَذَابِ ؕ— اَفَاَنْتَ تُنْقِذُ مَنْ فِی النَّارِ ۟ۚ

जिस व्यक्ति पर उसके कुफ़्र और गुमराही पर बने रहने के कारण यातना की बात सिद्ध हो चुकी, तो (ऐ रसूल!) उसके मार्गदर्शन और तौफ़ीक़ के लिए आपके पास कोई उपाय नहीं है। तो (ऐ रसूल!) क्या आप इस विशेषता वाले व्यक्ति को आग से बचा लेंगे?! info
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20 : 39

لٰكِنِ الَّذِیْنَ اتَّقَوْا رَبَّهُمْ لَهُمْ غُرَفٌ مِّنْ فَوْقِهَا غُرَفٌ مَّبْنِیَّةٌ ۙ— تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ؕ۬— وَعْدَ اللّٰهِ ؕ— لَا یُخْلِفُ اللّٰهُ الْمِیْعَادَ ۟

लेकिन जो लोग अपने पालनहार के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से दूर रहकर उससे डरते रहे, उनके लिए ऊँचे-ऊँचे भवन हैं, जो एक के ऊपर एक बने हुए हैं, जिनके नीचे से नहरें बह रही हैं। अल्लाह ने उनसे इसका वादा किया है और अल्लाह अपना वादा नहीं तोड़ता। info
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21 : 39

اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ اَنْزَلَ مِنَ السَّمَآءِ مَآءً فَسَلَكَهٗ یَنَابِیْعَ فِی الْاَرْضِ ثُمَّ یُخْرِجُ بِهٖ زَرْعًا مُّخْتَلِفًا اَلْوَانُهٗ ثُمَّ یَهِیْجُ فَتَرٰىهُ مُصْفَرًّا ثُمَّ یَجْعَلُهٗ حُطَامًا ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَذِكْرٰی لِاُولِی الْاَلْبَابِ ۟۠

तुम देख कर जानते हो कि अल्लाह ने आसमान से बारिश का पानी उतारा, फिर उसे चश्मों और स्रोतों में घुसा दिया। फिर वह इस पानी के साथ अलग-अलग रंगों की खेती निकालता है। फिर खेती सूख जाती है, तो तुम उसे (ऐ देखने वाले!) पीले रंग की देखते हो, जबकि वह पहले हरी-भरी थी। फिर उसके सूखने के बाद अल्लाह उसे चूरा-चूरा बना देता है। यह जो कुछ उल्लेख किया गया है, इसमें जीवित दिलों के लिए एक अनुस्मारक (उपदेश) है। info
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ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• إخلاص العبادة لله شرط في قبولها.
• इबादत को अल्लाह के लिए ख़ालिस करना उसके क़बूल होने के लिए एक शर्त है। info

• المعاصي من أسباب عذاب الله وغضبه.
• पाप अल्लाह की यातना और उसके क्रोध के कारणों में से हैं। info

• هداية التوفيق إلى الإيمان بيد الله، وليست بيد الرسول صلى الله عليه وسلم.
• ईमान लाने का सामर्थ्य प्रदान करना अल्लाह के हाथ में है, रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के हाथ में नहीं है। info