വിശുദ്ധ ഖുർആൻ പരിഭാഷ - ഖുർആൻ സംക്ഷിപ്ത വിശദീകരണം - പരിഭാഷ (ഹിന്ദി)

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35 : 18

وَدَخَلَ جَنَّتَهٗ وَهُوَ ظَالِمٌ لِّنَفْسِهٖ ۚ— قَالَ مَاۤ اَظُنُّ اَنْ تَبِیْدَ هٰذِهٖۤ اَبَدًا ۟ۙ

और उस काफ़िर ने ईमान वाले के साथ अपने बाग़ में प्रवेश किया, ताकि उसे अपना बाग़ दिखाए, जबकि वह कुफ़्र और गर्व के द्वारा अपने आप पर अत्याचार करने वाला था। काफ़िर ने कहा : मुझे नहीं लगता कि यह बाग़ जो तुम देख रहे हो, नष्ट हो जाएगा। क्योंकि मैंने उसके बाकी रहने के कारण अपना लिए हैं। info
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36 : 18

وَّمَاۤ اَظُنُّ السَّاعَةَ قَآىِٕمَةً ۙ— وَّلَىِٕنْ رُّدِدْتُّ اِلٰی رَبِّیْ لَاَجِدَنَّ خَیْرًا مِّنْهَا مُنْقَلَبًا ۟ۚ

मुझे नहीं लगता कि क़ियामत आने वाली है। बल्कि यह एक निरंतर जीवन है। और यह मानते हुए कि वह आ ही गई, तो जब मैं पुनर्जीवित किया जाऊँगा और अपने पालनहार की ओर लौटाया जाऊँगा, तो पुनर्जीवन के बाद मैं जिसकी ओर लौटूँगा उसे अपने इस बाग़ से उत्तम पाऊँगा। क्योंकि इस दुनया में मेरे समृद्ध होने की अपेक्षा यह है कि मैं पुनर्जीवन के बाद भी समृद्ध होऊँ। info
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37 : 18

قَالَ لَهٗ صَاحِبُهٗ وَهُوَ یُحَاوِرُهٗۤ اَكَفَرْتَ بِالَّذِیْ خَلَقَكَ مِنْ تُرَابٍ ثُمَّ مِنْ نُّطْفَةٍ ثُمَّ سَوّٰىكَ رَجُلًا ۟ؕ

उसके मोमिन साथी ने उसकी बात का उत्तर देते हुए उससे कहा : क्या तूने उस अस्तित्व के साथ क़ुफ़्र किया, जिसने तेरे पिता आदम को मिट्टी से पैदा किया, फिर तुझे वीर्य से पैदा किया, फिर तुझे एक पुरुष बनाया, औ तेरे अंगों को ठीक-ठीक किया और तुझे परिपूर्ण बनाया? क्योंकि जो इन सभी चीज़ों को कर सकता है, वह तुझे पुनः जीवित करने में भी सक्षम है। info
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38 : 18

لٰكِنَّاۡ هُوَ اللّٰهُ رَبِّیْ وَلَاۤ اُشْرِكُ بِرَبِّیْۤ اَحَدًا ۟

लेकिन मैं यह बात नहीं कहता, बल्कि मैं कहता हूँ : वह महिमावान् अल्लाह ही मेरा पालनहार है, जिसने अपनी नेमतों के द्वारा हम पर उपकार किया, और मैं इबादत में किसी को भी उसका साझी नहीं बनाता। info
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39 : 18

وَلَوْلَاۤ اِذْ دَخَلْتَ جَنَّتَكَ قُلْتَ مَا شَآءَ اللّٰهُ ۙ— لَا قُوَّةَ اِلَّا بِاللّٰهِ ۚ— اِنْ تَرَنِ اَنَا اَقَلَّ مِنْكَ مَالًا وَّوَلَدًا ۟ۚ

और जब तूने अपने बाग़ में प्रवेश किया, तो तूने यह क्यों नहीं कहा : जो अल्लाह ने चाहा, अल्लाह की मदद के बिना किसी के लिए कोई शक्ति नहीं है। क्योंकि वही है, जो वह चाहता है, करता है और वह सर्वशक्तिमान् है। यदि तू मुझे अपने से ज़्यादा ग़रीब और संतान में कमतर देखता है। info
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40 : 18

فَعَسٰی رَبِّیْۤ اَنْ یُّؤْتِیَنِ خَیْرًا مِّنْ جَنَّتِكَ وَیُرْسِلَ عَلَیْهَا حُسْبَانًا مِّنَ السَّمَآءِ فَتُصْبِحَ صَعِیْدًا زَلَقًا ۟ۙ

मुझे आशा है कि अल्लाह मुझे तुम्हारे बाग़ से अच्छा प्रदान करे और तुम्हारे बाग़ पर आकाश से कोई अज़ाब भेज दे। फिर तुम्हारा बाग़ एक ऐसी भूमि बन जाए, जहाँ कोई वनस्पति न हो, जिसमें उसकी चिकनाहट के कारण पैर फिसलते हों। info
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41 : 18

اَوْ یُصْبِحَ مَآؤُهَا غَوْرًا فَلَنْ تَسْتَطِیْعَ لَهٗ طَلَبًا ۟

अथवा उसका पानी धरती की गहराई में चला जाए। फिर तुम किसी भी तरह से उस तक नहीं पहुँच सकते हो। और अगर उसका पानी नीचे चला गया, तो वह बाकी नहीं रह सकती। info
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42 : 18

وَاُحِیْطَ بِثَمَرِهٖ فَاَصْبَحَ یُقَلِّبُ كَفَّیْهِ عَلٰی مَاۤ اَنْفَقَ فِیْهَا وَهِیَ خَاوِیَةٌ عَلٰی عُرُوْشِهَا وَیَقُوْلُ یٰلَیْتَنِیْ لَمْ اُشْرِكْ بِرَبِّیْۤ اَحَدًا ۟

उस मोमिन व्यक्ति ने जो आशा व्यक्त की थी, वह पूरी हो गई। चुनाँचे उस काफ़िर के बाग़ के फलों को विनाश ने घेर लिया। फिर वह काफ़िर अपने बाग़ के बनाने और मरम्मत के लिए खर्च किए गए धन पर अफ़सोस के मारे हाथ मलने लगा। जबकि वह बाग़ उन छप्परों पर गिरा पड़ा था, जिनपर अंगूर की बेलों को फैलाया जाता है। और वह कहता था : काश मैं अपने अकेले पालनहार पर ईमान लाया होता और इबादत में उसके साथ किसी को साझी न बनाता। info
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43 : 18

وَلَمْ تَكُنْ لَّهٗ فِئَةٌ یَّنْصُرُوْنَهٗ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَمَا كَانَ مُنْتَصِرًا ۟ؕ

इस काफ़िर के पास उसे उसपर उतरने वाले दंड से बचाने के लिए कोई समूह नहीं था, जबकि वह अपने समूह पर गर्व कर रहा था। और वह स्वयं भी अल्लाह के उसके बाग़ को विनष्ट करने से बचने वाला न था। info
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44 : 18

هُنَالِكَ الْوَلَایَةُ لِلّٰهِ الْحَقِّ ؕ— هُوَ خَیْرٌ ثَوَابًا وَّخَیْرٌ عُقْبًا ۟۠

उस स्थिति में, सहायता करना केवल अल्लाह के अधिकार में है। वह अपने ईमान वाले मित्रों को सबसे उत्तम बदला देने वाला है, क्योंकि वह उनके प्रतिफल को कई गुना बढ़ा देता है, तथा वह उनके लिए अंजाम के एतिबार से भी सबसे अच्छा है। info
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45 : 18

وَاضْرِبْ لَهُمْ مَّثَلَ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا كَمَآءٍ اَنْزَلْنٰهُ مِنَ السَّمَآءِ فَاخْتَلَطَ بِهٖ نَبَاتُ الْاَرْضِ فَاَصْبَحَ هَشِیْمًا تَذْرُوْهُ الرِّیٰحُ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ مُّقْتَدِرًا ۟

और (ऐ रसूल) दुनिया के धोखे में पड़े हुए लोगों को (सांसारिक जीवन का) एक उदाहरण दें। चुनाँचे दुनिया का उदाहरण उसके नष्ट होने और जल्दी समाप्त होने में, उस बारिश के पानी की तरह है, जिसे हमने आकाश से उतारा। फिर उस जल से धरती के पौधे उगे और पक गए। फिर वह पौधा टूटकर चूरा-चूरा बन गया। हवाएँ जिसके हिस्सों को अन्य क्षेत्रों में उड़ा ले जाती हैं। फिर धरती वापस वैसी ही हो जाती है जैसी पहले थी। और अल्लाह हर चीज़ का सामर्थ्य रखने वाला है। उसे कोई चीज़ विवश नहीं कर सकती। इसलिए वह जो चाहता है, जीवित रखता है और जो चाहता है, नष्ट कर देता है। info
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ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• على المؤمن ألا يستكين أمام عزة الغني الكافر، وعليه نصحه وإرشاده إلى الإيمان بالله، والإقرار بوحدانيته، وشكر نعمه وأفضاله عليه.
• मोमिन को धनवान काफ़िर के घमंड के आगे झुकना नहीं चाहिए। बल्कि उसे नसीहत करना चाहिए तथा उसका अल्लाह पर ईमान लाने, उसकी तौहीद को स्वीकारने और उसकी नेमतों एवं उपकारों का शुक्रिया अदा करने की ओर मार्गदर्शन करना चाहिए। info

• ينبغي لكل من أعجبه شيء من ماله أو ولده أن يضيف النعمة إلى مُولِيها ومُسْدِيها بأن يقول: ﴿ما شاءَ اللهُ لا قُوَّةَ إلَّا بِاللهِ﴾.
• जिसे अपने धन या संतान में से कोई चीज़ पसंद आ जाए, उसे चाहिए कि उस नेमत को उसके दाता व प्रदाता से संबंधित करे और यह कहे : ﴾ما شاءَ اللهُ لا قُوَّةَ إلَّا بِاللهِ﴿ ''जो अल्लाह ने चाहा, अल्लाह की मदद के बिना कोई शक्ति नहीं।'' info

• إذا أراد الله بعبد خيرًا عجل له العقوبة في الدنيا.
• जब अल्लाह किसी बंदे के साथ भलाई का इरादा रखता है, तो उसे दुनिया में ही सज़ा दे देता है। info

• جواز الدعاء بتلف مال من كان ماله سبب طغيانه وكفره وخسرانه.
• जिस व्यक्ति का धन उसकी सरकशी, कुफ़्र और नुकसान का कारण हो, उसके धन की क्षति के लिए दुआ करना उचित (जायज़) है। info