ಪವಿತ್ರ ಕುರ್‌ಆನ್ ಅರ್ಥಾನುವಾದ - ಹಿಂದಿ ಅನುವಾದ - ಅಝೀಝ್ ಅಲ್-ಹಕ್ ಅಲ್-ಉಮರಿ

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10 : 92

فَسَنُیَسِّرُهٗ لِلْعُسْرٰی ۟ؕ

तो हम उसके लिए कठिनाई (बुराई का मार्ग) आसान कर देंगे।[2] info

2. (5-10) इन आयतों में दोनों भिन्न कर्मों के प्रभाव का वर्णन है कि कोई अपना धन भलाई में लगाता है तथा अल्लाह से डरता है और भलाई को मानता है। सत्य आस्था, स्वभाव और सत्कर्म का पालन करता है। जिसका प्रभाव यह होता है कि अल्लाह उसके लिए सत्कर्मों का मार्ग सरल कर देता है। और उसमें पाप करने तथा स्वार्थ के लिए अवैध धन अर्जन की भावना नहीं रह जाती। ऐसे व्यक्ति के लिए दोनों लोक में सुख है। दूसरा वह होता है जो धन का लोभी, तथा अल्लाह से निश्न्तचिंत होता है और भलाई को नहीं मानता। जिसका प्रभाव यह होता है कि उसका स्वभाव ऐसा बन जाता है कि उसे बुराई का मार्ग सरल लगने लगता है। तथा अपने स्वार्थ और मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रयास करता है। फिर इस बात को इस वाक्य पर समाप्त कर दिया गया है कि धन के लिए वह जान देता है, परंतु वह उसे अपने साथ लेकर नहीं जाएगा। फिर वह उसके किस काम आएगा?

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11 : 92

وَمَا یُغْنِیْ عَنْهُ مَالُهٗۤ اِذَا تَرَدّٰی ۟ؕ

और जब वह (जहन्नम के गड्ढे में) गिरेगा, तो उसका धन उसके किसी काम नहीं आएगा। info
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12 : 92

اِنَّ عَلَیْنَا لَلْهُدٰی ۟ؗۖ

निःसंदेह हमारा ही ज़िम्मे मार्ग दिखाना है। info
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13 : 92

وَاِنَّ لَنَا لَلْاٰخِرَةَ وَالْاُوْلٰی ۟

निःसंदेह हमारे ही अधिकार में आख़िरत और दुनिया है। info
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14 : 92

فَاَنْذَرْتُكُمْ نَارًا تَلَظّٰی ۟ۚ

अतः मैंने तुम्हें भड़कती आग से सावधान कर दिया है।[3] info

3. (11-14) इन आयतों में मानवजाति (इनसान) को सावधान किया गया है कि अल्लाह का, दया और न्याय के कारण मात्र यह दायित्व था कि सत्य मार्ग दिखा दे। और क़ुरआन द्वारा उसने अपना यह दायित्व पूरा कर दिया। किसी को सत्य मार्ग पर लगा देना उसका दायित्व नहीं है। अब इस सीधी राह को अपनाओगे तो तुम्हारा ही भला होगा। अन्यथा याद रखो कि संसार और परलोक दोनों ही अल्लाह के अधिकार में हैं। न यहाँ कोई तुम्हें बचा सकता है, और न वहाँ कोई तुम्हारा सहायक होगा।

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15 : 92

لَا یَصْلٰىهَاۤ اِلَّا الْاَشْقَی ۟ۙ

जिसमें केवल सबसे बड़ा अभागा ही प्रवेश करेगा। info
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16 : 92

الَّذِیْ كَذَّبَ وَتَوَلّٰی ۟ؕ

जिसने झुठलाया तथा मुँह फेरा। info
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17 : 92

وَسَیُجَنَّبُهَا الْاَتْقَی ۟ۙ

और उससे उस व्यक्ति को बचा लिया जाएगा, जो सबसे ज़्यादा परहेज़गार है। info
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18 : 92

الَّذِیْ یُؤْتِیْ مَالَهٗ یَتَزَكّٰی ۟ۚ

जो अपना धन देता है, ताकि वह पवित्र हो जाए। info
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19 : 92

وَمَا لِاَحَدٍ عِنْدَهٗ مِنْ نِّعْمَةٍ تُجْزٰۤی ۟ۙ

और उसपर किसी का कोई उपकार नहीं है, जिसका बदला चुकाया जाए। info
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20 : 92

اِلَّا ابْتِغَآءَ وَجْهِ رَبِّهِ الْاَعْلٰی ۟ۚ

वह तो केवल अपने सर्वोच्च रब का चेहरा चाहता है। info
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21 : 92

وَلَسَوْفَ یَرْضٰی ۟۠

और निश्चय वह (बंदा) प्रसन्न हो जाएगा।[4] info

4. (15-21) इन आयतों में यह वर्णन किया गया है कि कौन से कुकर्मी नरक में पड़ेंगे और कौन सुकर्मी उससे सुरक्षित रखे जाएँगे। और उन्हें क्या फल मिलेगा। आयत संख्या 10 के बारे में यह बात याद रखने की है कि अल्लाह ने सभी वस्तुओं और कर्मों का अपने नियमानुसार स्वभाविक प्रभाव रखा है। और क़ुरआन इसीलिए सभी कर्मों के स्वभाविक प्रभाव और फल को अल्लाह से जोड़ता है। और यूँ कहता है कि अल्लाह ने उसके लिए बुराई की राह सरल कर दी। कभी कहता है कि उनके दिलों पर मुहर लगा दी, जिसका अर्थ यह होता है कि यह अल्लाह के बनाए हुए नियमों के विरोध का स्वभाविक फल है। (देखिए : उम्मुल किताब, मौलाना आज़ाद)

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