1. ये तीनों गुण फ़रिश्तों के हैं जो आकाशों में अल्लाह की इबादत के लिए पंक्तिबद्ध रहते तथा बादलों को हाँकते और अल्लाह के स्मरण जैसे क़ुरआन तथा नमाज़ पढ़ने और उसकी पवित्रता का गान करने इत्यादि में लगे रहते हैं।
2. फिर यदि उससे बचा रह जाए तो आकाश की बात अपने नीचे के शैतानों तक पहुँचाता है और वे उसे काहिनों तथा ज्योतिषियों को बताते हैं। फिर वे उसमें सौ झूठ मिलाकर लोगों को बताते हैं। (सह़ीह़ बुख़ारी : 6213, सह़ीह़ मुस्लिम : 2228)
3. अर्थात फ़रिश्तों तथा आकाशों को। 4. अर्थात् उनके पिता आदम (अलैहिस्सलाम) को।
17. यह महान ज़बीहा एक मेंढा था। जिसे जिबरील (अलैहिस्सलाम) द्वारा स्वर्ग से भेजा गया। जो आपके प्रिय पुत्र इसमाईल (अलैहिस्सलाम) के स्थान पर ज़बह किया गया। फिर इस विधि को प्रलय तक के लिए अल्लाह के सामीप्य का एक साधन तथा ईदुल अज़हा (बक़रईद) का प्रियवर कर्म बना दिया गया। जिसे संसार के सभी मुसलमान ईदुल अज़हा में करते हैं।
18. इस आयत से विदित होता है कि इबराहीम (अलैहिस्सलाम) को इस बलि के पश्चात् दूसरे पुत्र आदरणीय इसहाक़ की शुभ सूचना दी गई। इससे ज्ञात हुआ की बलि इसमाईल (अलैहिस्सलाम) की दी गई थी। और दोनों की आयु में लग-भग चौदह वर्ष का अंतर है।
22. अल्लाह की अनुमति के बिना अपने नगर से नगर वासियों को यातना के आने की सूचना देकर निकल गए। और नाव पर सवार हो गए। नाव सागर की लहरों में घिर गई। इसलिए बोझ कम करने के लिए नाम निकाला गया, तो यूनुस अलैहिस्सलाम का नाम निकला और उन्हें समुद्र में फेंक दिया गया।
27. इसमें मक्का के मिश्रणवादियों का खंडन किया जा रहा है, जो फ़रिश्तों को अल्लाह की पुत्रियाँ कहते थे। जबकि वे स्वयं पुत्रियों के जन्म को अप्रिय मानते थे।
28. अर्थात यातना के लिए। तो यदि वे उसके संबंधी होते, तो उन्हें यातना क्यों देता?