ಪವಿತ್ರ ಕುರ್‌ಆನ್ ಅರ್ಥಾನುವಾದ - ಹಿಂದಿ ಅನುವಾದ - ಅಝೀಝ್ ಅಲ್-ಹಕ್ ಅಲ್-ಉಮರಿ

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110 : 3

كُنْتُمْ خَیْرَ اُمَّةٍ اُخْرِجَتْ لِلنَّاسِ تَاْمُرُوْنَ بِالْمَعْرُوْفِ وَتَنْهَوْنَ عَنِ الْمُنْكَرِ وَتُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ ؕ— وَلَوْ اٰمَنَ اَهْلُ الْكِتٰبِ لَكَانَ خَیْرًا لَّهُمْ ؕ— مِنْهُمُ الْمُؤْمِنُوْنَ وَاَكْثَرُهُمُ الْفٰسِقُوْنَ ۟

तुम सर्वश्रेष्ठ समुदाय हो, जिसे लोगों के लिए निकाला गया है। तुम भलाई का आदेश देते हो और बुराई से रोकते हो और अल्लाह पर ईमान (विश्वास) रखते[58] हो। और यदि किताब वाले ईमान लाते, तो उनके लिए बेहतर होता। उनमें कुछ ईमान वाले भी हैं, लेकिन उनमें अधिकतर लोग अवज्ञाकारी ही हैं। info

58. इस आयत में मुसलमानों को संबोधित किया गया है, तथा उन्हें उम्मत कहा गया है। किसी जाति अथवा वर्ग और वर्ण के नाम से संबोधित नहीं किया गया है। और इसमें यह संकेत है कि मुसलमान उनका नाम है जो सत्धर्म के अनुयायी हों। तथा उनके अस्तित्व का लक्ष्य यह बताया गया है कि वह संपूर्ण मानव विश्व को सत्धर्म इस्लाम की ओर बुलाएँ, जो सर्व मानव जाति का धर्म है। किसी विशेष जाति, क्षेत्र अथवा देश का धर्म नहीं है।

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