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26 : 5

قَالَ فَاِنَّهَا مُحَرَّمَةٌ عَلَیْهِمْ اَرْبَعِیْنَ سَنَةً ۚ— یَتِیْهُوْنَ فِی الْاَرْضِ ؕ— فَلَا تَاْسَ عَلَی الْقَوْمِ الْفٰسِقِیْنَ ۟۠

(अल्लाह ने) कहा : निःसंदेह वह (धरती) उनपर चालीस वर्षों के लिए हराम (वर्जित) कर दी गई। (इस दौरान) वे धरती में भटकते रहेंगे। अतः तुम इन अवज्ञाकारी लोगों पर शोक न करो।[22] info

22. इन आयतों का भावार्थ यह है कि जब मूसा अलैहिस्सलाम बनी इसराईल को लेकर मिस्र से निकले, तो अल्लाह ने उन्हें बैतुल मक़्दिस में प्रवेश कर जाने का आदेश दिया, जिस पर अमालिक़ा जाति का क़ब्ज़ा था और वही उसके शासक थे। परंतु बनी इसराईल ने, जो कायर हो गए थे, अमालिक़ा से युद्ध करने का साहस नहीं किया। और इस आदेश का विरोध किया, जिसके परिणाम स्वरूप उसी क्षेत्र में 40 वर्ष तक फिरते रहे। और जब 40 वर्ष बीत गए, और एक नया वंश जो साहसी था पैदा हो गया, तो उसने उस धरती पर अधिकार कर लिया। (इब्ने कसीर)

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