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23 : 45

اَفَرَءَیْتَ مَنِ اتَّخَذَ اِلٰهَهٗ هَوٰىهُ وَاَضَلَّهُ اللّٰهُ عَلٰی عِلْمٍ وَّخَتَمَ عَلٰی سَمْعِهٖ وَقَلْبِهٖ وَجَعَلَ عَلٰی بَصَرِهٖ غِشٰوَةً ؕ— فَمَنْ یَّهْدِیْهِ مِنْ بَعْدِ اللّٰهِ ؕ— اَفَلَا تَذَكَّرُوْنَ ۟

(ऐ रसूल!) आप उस व्यक्ति को देखें, जो अपनी इच्छाओं के पीछे चलता है और उसे अपने पूज्य के समान बना रखा है, जिसका वह विरोध नहीं करता। अल्लाह ने उसे उसके जानने-समझने के उपरांत भी पथभ्रष्ट कर दिया है; क्योंकि वह पथभ्रष्ट किए जाने ही का पत्र है। तथा उसके दिल पर ठप्पा लगा दिया है, इसलिए वह उस तरह नहीं सुनता, जिससे उसे लाभ प्राप्त हो, तथा उसकी आँख पर पर्दा डाल दिया है, जो उसे सत्य को देखने से रोकता है। तो फिर अल्लाह के उसे पथभ्रष्ट कर देने के बाद कौन उसे सत्य की तौफ़ीक़ दे सकता है?! क्या तुम इच्छाओं के पीछे चलने के नुकसान और अल्लाह की शरीयत का पालन करने के लाभ को याद नहीं करते?! info
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24 : 45

وَقَالُوْا مَا هِیَ اِلَّا حَیَاتُنَا الدُّنْیَا نَمُوْتُ وَنَحْیَا وَمَا یُهْلِكُنَاۤ اِلَّا الدَّهْرُ ۚ— وَمَا لَهُمْ بِذٰلِكَ مِنْ عِلْمٍ ۚ— اِنْ هُمْ اِلَّا یَظُنُّوْنَ ۟

मरणोपरांत पुनर्जीवित किए जाने का इनकार करने वाले काफ़िरों ने कहा : जीवन तो केवल यही हमारा सांसारिक जीवन है, इसके बाद कोई जीवन नहीं है। कुछ पीढ़ियाँ मर जाती हैं, फिर वे वापस नहीं लौटती हैं और कुछ दूसरी पीढ़ियाँ जीवित होती हैं। तथा हमारी मृत्यु का एकमात्र कारण रात और दिन का आना-जाना (कालचक्र) है। वास्तव में, उनके पास दोबारा जीवित होकर उठने के इनकार का कोई ज्ञान नहीं है। वे केवल अनुमान से काम ले रहे हैं और निश्चित रूप से, अनुमान का सत्य के सामने कोई लाभ नहीं है। info
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25 : 45

وَاِذَا تُتْلٰی عَلَیْهِمْ اٰیٰتُنَا بَیِّنٰتٍ مَّا كَانَ حُجَّتَهُمْ اِلَّاۤ اَنْ قَالُوا ائْتُوْا بِاٰبَآىِٕنَاۤ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟

और जब मरणोपरांत पुनर्जीवित करके उठाए जाने का इनकार करने वाले मश्रिकों के सामने हमारी स्पष्ट आयतें पढ़ी जाती हैं, तो उनके पास रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और आपके साथियों से यह कहने के अलावा कोई तर्क नहीं होता कि : हमारे उन बाप-दादाओं को जीवित करके दिखाओ, जिनकी मृत्यु हो चुकी, यदि तुम अपने इस दावे में सच्चे हो कि हम अपनी मृत्यु के बाद फिर से जीवित करके उठाए जाएँगे। info
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26 : 45

قُلِ اللّٰهُ یُحْیِیْكُمْ ثُمَّ یُمِیْتُكُمْ ثُمَّ یَجْمَعُكُمْ اِلٰی یَوْمِ الْقِیٰمَةِ لَا رَیْبَ فِیْهِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟۠

(ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : अल्लाह ही तुम्हारी रचना करके तुम्हें जीवन प्रदान करता है, फिर वही तुम्हें मृत्यु देता है, फिर वही तुम्हारी मृत्य के पश्चात, तुम्हें क़ियामत के दिन हिसाब और बदले के लिए इकट्ठा करेगा। वह ऐसा दिन है, जिसके आने में कोई संदेह नहीं है, लेकिन अधिकांश लोग नहीं जानते; इसलिए, वे अच्छे कर्मों के साथ इसकी तैयारी नहीं करते हैं। info
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27 : 45

وَلِلّٰهِ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— وَیَوْمَ تَقُوْمُ السَّاعَةُ یَوْمَىِٕذٍ یَّخْسَرُ الْمُبْطِلُوْنَ ۟

आकाशों तथा धरती का साम्राज्य अल्लाह ही के हाथ में है। इसलिए, वास्तव में उन दोनों में उसके सिवा किसी अन्य की पूजा नहीं की जाएगी। तथा जिस दिन क़ियामत क़ायम होगी, जिसमें अल्लाह मृतकों को हिसाब और बदले के लिए पुनर्जीवित करके उठाएगा, तो झूठे लोग, जो अल्लाह के अलावा अन्य की पूजा करते थे तथा सत्य को असत्य और असत्य को सत्य ठहराने का यत्न करते थे, घाटे का सामना करेंगे। info
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28 : 45

وَتَرٰی كُلَّ اُمَّةٍ جَاثِیَةً ۫ؕ— كُلُّ اُمَّةٍ تُدْعٰۤی اِلٰی كِتٰبِهَا ؕ— اَلْیَوْمَ تُجْزَوْنَ مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟

तथा (ऐ रसूल!) आप उस दिन देखेंगे कि हर समुदाय अपने घुटनों पर बैठकर इंतज़ार कर रहा है कि उसके साथ क्या किया जाएगा। प्रत्येक समुदाय को उसके कर्मपत्र की ओर बुलाया जाएगा, जिसे संरक्षक-फ़रिश्तों ने लिख रखा होगा। आज (ऐ लोगो!) तुम्हें उसका बदला दिया जाएगा, जो अच्छा या बुरा कर्म तुम संसार में किया करते थे। info
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29 : 45

هٰذَا كِتٰبُنَا یَنْطِقُ عَلَیْكُمْ بِالْحَقِّ ؕ— اِنَّا كُنَّا نَسْتَنْسِخُ مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟

यह हमारी पंजिका, (जिसमें हमारे फ़रिश्ते तुम्हारे कामों को लिखते थे) तुम्हारे विरुद्ध सत्य के साथ साक्ष्य दे रही है। इसलिए इसे पढ़ो। निश्चय हम संरक्षक-फ़रिश्तों को, जो कुछ तुम दुनिया में कर रहे थे, उसे लिखने का आदेश दे रहे थे। info
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30 : 45

فَاَمَّا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ فَیُدْخِلُهُمْ رَبُّهُمْ فِیْ رَحْمَتِهٖ ؕ— ذٰلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْمُبِیْنُ ۟

अतः जो लोग ईमान लाए और अच्छे कर्म किए, तो उनका महिमावान पालनहार उन्हें अपनी दया से अपनी जन्नत में दाख़िल करेगा। अल्लाह ने उन्हें जो प्रतिफल दिया है, वही वह स्पष्ट सफलता है, जिसकी बराबरी कोई अन्य सफलता नहीं कर सकती। info
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31 : 45

وَاَمَّا الَّذِیْنَ كَفَرُوْا ۫— اَفَلَمْ تَكُنْ اٰیٰتِیْ تُتْلٰی عَلَیْكُمْ فَاسْتَكْبَرْتُمْ وَكُنْتُمْ قَوْمًا مُّجْرِمِیْنَ ۟

और रहे वे लोग जिन्होंने अल्लाह के साथ कुफ़्र किया, तो उन्हें फटकार लगाते हुए कहा जाएगा : क्या तुम्हें मेरी आयतें पढ़कर नहीं सुनाई जाती थीं, पर तुमने उनपर ईमान लाने से अहंकार किया, तथा तुम अपराधी लोग थे, कुफ़्र और गुनाहों में पड़े रहते थे?! info
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32 : 45

وَاِذَا قِیْلَ اِنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ وَّالسَّاعَةُ لَا رَیْبَ فِیْهَا قُلْتُمْ مَّا نَدْرِیْ مَا السَّاعَةُ ۙ— اِنْ نَّظُنُّ اِلَّا ظَنًّا وَّمَا نَحْنُ بِمُسْتَیْقِنِیْنَ ۟

और जब तुमसे कहा जाता था कि : निःसंदेह अल्लाह का वादा - जो उसने अपने बंदों से वादा किया है कि वह उन्हें दोबारा जीवित करके उठाएगा और उन्हें बदला देगा - सच्चा है, जिसमें कोई संदेह नहीं है, तथा क़ियामत सत्य है, उसके बारे में कोई संदेह नहीं है, इसलिए तुम उसके लिए कार्य करो, तो तुम कहते थे : हम नहीं जानते कि यह क़ियामत क्या है। हमें केवल एक भ्रम-सा है कि वह आने वाली है, लेकिन हमें उसके आने पर पूर्ण विश्वास नहीं है। info
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ក្នុង​ចំណោម​អត្ថប្រយោជន៍​នៃអាយ៉ាត់ទាំងនេះក្នុងទំព័រនេះ:
• اتباع الهوى يهلك صاحبه، ويحجب عنه أسباب التوفيق.
• इच्छाओं का पालन करना मनुष्य का विनाश कर देता है, तथा सफलता के कारणों को उससे रोक देता है। info

• هول يوم القيامة.
• क़ियामत के दिन की भयावहता। info

• الظن لا يغني من الحق شيئًا، خاصةً في مجال الاعتقاد.
• अनुमान सत्य के मुक़ाबले में कोई लाभ नहीं देता, विशेष रूप से अक़ीदा (विश्वास) के क्षेत्र में। info