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19 : 44

وَّاَنْ لَّا تَعْلُوْا عَلَی اللّٰهِ ؕ— اِنِّیْۤ اٰتِیْكُمْ بِسُلْطٰنٍ مُّبِیْنٍ ۟ۚ

और तुम लोग अल्लाह की इबादत छोड़कर और उसके बंदों पर आधिपत्य जमाकर, उसके सामने घमंड मत करो। निश्चय मैं तुम्हारे पास स्पष्ट प्रमाण लेकर आया हूँ। info
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20 : 44

وَاِنِّیْ عُذْتُ بِرَبِّیْ وَرَبِّكُمْ اَنْ تَرْجُمُوْنِ ۟ۚ

मैंने अपने पालनहार तथा तुम्हारे पालनहार की शरण ली है, इस बात से कि तुम पत्थर मार-मारकर मेरी हत्या कर डालो। info
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21 : 44

وَاِنْ لَّمْ تُؤْمِنُوْا لِیْ فَاعْتَزِلُوْنِ ۟

और अगर तुम मेरे लाए हुए संदेश पर विश्वास नहीं करते, तो मुझसे अलग रहो और किसी बुराई के साथ मेरे निकट न आओ। info
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22 : 44

فَدَعَا رَبَّهٗۤ اَنَّ هٰۤؤُلَآءِ قَوْمٌ مُّجْرِمُوْنَ ۟

अंततः मूसा अलैहिस्सलाम ने अपने पालनहार से प्रार्थना की : ये लोग - अर्थात् फ़िरऔन और उसके प्रमुख - अपराधी हैं, जो जल्द सज़ा दिए जाने के पात्र हैं। info
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23 : 44

فَاَسْرِ بِعِبَادِیْ لَیْلًا اِنَّكُمْ مُّتَّبَعُوْنَ ۟ۙ

तब अल्लाह ने मूसा अलैहिस्सलाम को अपनी जाति के लोगों को लेकर रातों-रात निकल जाने का आदेश दिया और उन्हें यह भी बता दिया कि फ़िरऔन और उसकी जाति के लोग उनका पीछा करेंगे। info
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24 : 44

وَاتْرُكِ الْبَحْرَ رَهْوًا ؕ— اِنَّهُمْ جُنْدٌ مُّغْرَقُوْنَ ۟

तथा उन्हें आदेश दिया कि जब वह और बनी इसराईल समुद्र पार कर लें, तो उसे उसी तरह स्थिर छोड़ दें, जैसा कि वह था। निःसंदेह फ़िरऔन और उसके सैनिक समुद्र में डूबकर विनष्ट होने वाले हैं। info
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25 : 44

كَمْ تَرَكُوْا مِنْ جَنّٰتٍ وَّعُیُوْنٍ ۟ۙ

फ़िरऔन और उसकी जाति के लोग अपने पीछे कितने ही बाग़ और बहते हुए स्रोत छोड़ गए! info
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26 : 44

وَّزُرُوْعٍ وَّمَقَامٍ كَرِیْمٍ ۟ۙ

तथा वे अपने पीछे कितनी ही खेतियाँ तथा अच्छी सभाएँ छोड़ गए! info
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27 : 44

وَّنَعْمَةٍ كَانُوْا فِیْهَا فٰكِهِیْنَ ۟ۙ

और वे अपने पीछे कितनी ही सुख-सामग्रियाँ छोड़ गए, जिनका वे आनंद ले रहे थे। info
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28 : 44

كَذٰلِكَ ۫— وَاَوْرَثْنٰهَا قَوْمًا اٰخَرِیْنَ ۟

उनके साथ ऐसा ही हुआ, जिसका तुमसे वर्णन किया गया है। और हमने उनके बाग़ों, जल स्रोतों, खेतियों और घरों का वारिस अन्य लोगों अर्थात बनी इसराईल को बना दिया। info
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29 : 44

فَمَا بَكَتْ عَلَیْهِمُ السَّمَآءُ وَالْاَرْضُ وَمَا كَانُوْا مُنْظَرِیْنَ ۟۠

जब फ़िरऔन तथा उसकी जाति के लोग डूब गए, तो उनपर न तो आकाश और धरती ने विलाप किया और न उन्हें तौबा करने की मोहलत दी गई। info
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30 : 44

وَلَقَدْ نَجَّیْنَا بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ مِنَ الْعَذَابِ الْمُهِیْنِ ۟ۙ

वस्तुतः हमने बनी इसराईल को अपमानजनक यातना से बचा लिया। क्योंकि फ़िरऔन और उसकी जाति के लोग उनके बेटों को मार डालते थे और उनकी स्त्रियों को जीवित रहने देते थे। info
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31 : 44

مِنْ فِرْعَوْنَ ؕ— اِنَّهٗ كَانَ عَالِیًا مِّنَ الْمُسْرِفِیْنَ ۟

हमने उन्हें फ़िरऔन के उत्पीड़न से बचा लिया। निश्चय वह अल्लाह के आदेश तथा उसके धर्म का उल्लंघन करने वालों में से एक घमंडी व्यक्ति था। info
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32 : 44

وَلَقَدِ اخْتَرْنٰهُمْ عَلٰی عِلْمٍ عَلَی الْعٰلَمِیْنَ ۟ۚ

तथा हमने बनी इसराईल को अपने ज्ञान के आधार पर उनके समय के लोगों पर चुन लिया, उनके नबियों की अधिकता के कारण। info
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33 : 44

وَاٰتَیْنٰهُمْ مِّنَ الْاٰیٰتِ مَا فِیْهِ بَلٰٓؤٌا مُّبِیْنٌ ۟

और हमने उन्हें मूसा अलैहिस्सलाम के समर्थन में ऐसे प्रमाण और सबूत दिए, जिसमें उनके लिए स्पष्ट अनुग्रह थी, जैसे कि मन्न और सलवा इत्यादि। info
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34 : 44

اِنَّ هٰۤؤُلَآءِ لَیَقُوْلُوْنَ ۟ۙ

निश्चय ये झुठलाने वाले मुश्रिक मरणोपरांत पुनर्जीवित किए जाने का इनकार करते हुए कहते हैं : info
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35 : 44

اِنْ هِیَ اِلَّا مَوْتَتُنَا الْاُوْلٰی وَمَا نَحْنُ بِمُنْشَرِیْنَ ۟

यह केवल हमारी पहली मृत्यु है, इसके बाद कोई जीवन नहीं है। तथा हम इस मृत्यु के बाद पुनर्जीवित नहीं किए जाएँगे। info
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36 : 44

فَاْتُوْا بِاٰبَآىِٕنَاۤ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟

तो (ऐ मुहम्मद!) तुम और तुम्हारे साथ मौजूद तुम्हारे अनुयायी, हमारे उन बाप-दादाओं को जिनकी मृत्यु हो चुकी है, जीवित करके ले आओ, यदि तुम अपने इस दावे में सच्चे हो कि अल्लाह मरे हुए लोगों को हिसाब और बदले के लिए पुनः जीवित करके उठाएगा। info
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37 : 44

اَهُمْ خَیْرٌ اَمْ قَوْمُ تُبَّعٍ ۙ— وَّالَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ ؕ— اَهْلَكْنٰهُمْ ؗ— اِنَّهُمْ كَانُوْا مُجْرِمِیْنَ ۟

क्या (ऐ रसूल!) आपको झुठलाने वाले ये मुश्रिक शक्ति और ताकत में बेहतर हैं या तुब्बा' समुदाय और वे लोग जो उनसे पहले थे, जैसे आद और समूद। हमने उन सभी को नष्ट कर दिया। निःसंदेह वे अपराधी थे। info
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38 : 44

وَمَا خَلَقْنَا السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَمَا بَیْنَهُمَا لٰعِبِیْنَ ۟

हमने आकाशों और धरती को और जो कुछ उनके बीच है, उन्हें खेल के रूप में नहीं बनाया। info
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39 : 44

مَا خَلَقْنٰهُمَاۤ اِلَّا بِالْحَقِّ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟

हमने आकाशों तथा धरती को एक बड़ी हिकमत के तहत पैदा किया है, लेकिन अधिकांश बहुदेववादियों को इसकी जानकारी नहीं है। info
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ក្នុង​ចំណោម​អត្ថប្រយោជន៍​នៃអាយ៉ាត់ទាំងនេះក្នុងទំព័រនេះ:
• وجوب لجوء المؤمن إلى ربه أن يحفظه من كيد عدوّه.
• मोमिन को अपने दुश्मन की चाल से बचाव के लिए अपने पालनहार का सहारा लेना चाहिए। info

• مشروعية الدعاء على الكفار عندما لا يستجيبون للدعوة، وعندما يحاربون أهلها.
• काफ़िरों पर बददुआ (शाप) करने की वैधता, जब वे इस्लाम के आमंत्रण को स्वीकार न करें और जब वे इस काम को करने वालों से युद्ध करें। info

• الكون لا يحزن لموت الكافر لهوانه على الله.
• काफ़िर की मृत्यु पर ब्रह्मांड शोक नहीं करता है, क्योंकि वह अल्लाह के निकट हीन (तुच्छ) होता है। info

• خلق السماوات والأرض لحكمة بالغة يجهلها الملحدون.
• आकाशों तथा धरती की रचना एक व्यापक हिकमत के तहत हुई है, जिससे नास्तिक अनभिज्ञ हैं। info