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11 : 42

فَاطِرُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— جَعَلَ لَكُمْ مِّنْ اَنْفُسِكُمْ اَزْوَاجًا وَّمِنَ الْاَنْعَامِ اَزْوَاجًا ۚ— یَذْرَؤُكُمْ فِیْهِ ؕ— لَیْسَ كَمِثْلِهٖ شَیْءٌ ۚ— وَهُوَ السَّمِیْعُ الْبَصِیْرُ ۟

अल्लाह ही आकाशों तथा धरती का बिना किसी पूर्व उदाहरण के रचयिता है। उसने तुम्हारे लिए तुम्हारी अपनी सहजाति से जोड़े बनाए, और तुम्हारे लिए ऊँट, गाय और बकरी के भी जोड़े बनाए। ताकि तुम्हारे लिए उनका प्रजनन होता रहे। उसने तुम्हारे लिए जो जोड़े बनाए हैं उनके मिलाप से वह तुम्हें पैदा करता (तुम्हारी नस्ल बढ़ाता) है, तथा उसने तुम्हारे लिए जो चौपाए बनाए हैं उनके मांस और दूध से तुम्हारे जीवन यापन का प्रबंध करता है। उसकी मख़्लूक़ात में से कोई भी उसके समान नहीं है। तथा वह अपने बंदों की बातों को सुनने वाला, उनके कामों को देखने वाला है। इनमें से कोई चीज़ उससे नहीं छूटती है। और वह उन्हें उनके कर्मों का बदला देगा; यदि अच्छा है तो अच्छा बदला और यदि बुरा है तो बुरा बदला। info
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12 : 42

لَهٗ مَقَالِیْدُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ۚ— یَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ یَّشَآءُ وَیَقْدِرُ ؕ— اِنَّهٗ بِكُلِّ شَیْءٍ عَلِیْمٌ ۟

आकाशों तथा धरती के ख़ज़ानों की कुंजियाँ केवल उसी के पास हैं। वह अपने बंदों में से जिसके लिए चाहता है, उसकी आजीविका को विस्तृत कर देता है; उसके परीक्षण के लिए कि वह आभार व्यक्त करता है या अकृतज्ञ हो जाता है? और जिसकी चाहता है, आजीविका तंग कर देता है; उसे आज़माने के लिए कि वह धैर्य रखता है या अल्लाह की नियति पर क्रोध प्रकट करता है? निःसंदेह वह हर चीज़ का जानने वाला है। उससे अपने बंदों के हितों की कोई चीज़ छिपी नहीं है। info
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13 : 42

شَرَعَ لَكُمْ مِّنَ الدِّیْنِ مَا وَصّٰی بِهٖ نُوْحًا وَّالَّذِیْۤ اَوْحَیْنَاۤ اِلَیْكَ وَمَا وَصَّیْنَا بِهٖۤ اِبْرٰهِیْمَ وَمُوْسٰی وَعِیْسٰۤی اَنْ اَقِیْمُوا الدِّیْنَ وَلَا تَتَفَرَّقُوْا فِیْهِ ؕ— كَبُرَ عَلَی الْمُشْرِكِیْنَ مَا تَدْعُوْهُمْ اِلَیْهِ ؕ— اَللّٰهُ یَجْتَبِیْۤ اِلَیْهِ مَنْ یَّشَآءُ وَیَهْدِیْۤ اِلَیْهِ مَنْ یُّنِیْبُ ۟ؕ

उसने तुम्हारे लिए उसी तरह का धर्म निर्धारित किया है, जिसका प्रचार करने और जिसपर चलने का आदेश हमने नूह को दिया था, और जिसकी वह़्य हमने (ऐ रसूल!) आपकी ओर की है। तथा तुम्हारे लिए उसी तरह का धर्म निर्धारित किया है, जिसका प्रचार करने और जिसपर चलने का आदेश हमने इबराहीम, मूसा और ईसा को दिया था। उसका सार यह है कि : तुम (इस) धर्म को क़ायम करो और उसके विषय में अलग-अलग समूहों में बँटना छोड़ दो। आप बहुदेववादियों को जिस एकेश्वरवाद तथा अल्लाह के अलावा की इबादत को छोड़ने की ओर बुला रहे हैं, वह उनपर बहुत भारी और कठिन है। अल्लाह अपने बंदों में से जिसे चाहता है, चुन लेता है और उसे अपनी उपासना और आज्ञाकारिता का सामर्थ्य प्रदान करता है। तथा अल्लाह उनमें से उसी का अपनी ओर मार्गदर्शन करता है, जो अपने गुनाहों से तौबा करके उसकी ओर लौटता है। info
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14 : 42

وَمَا تَفَرَّقُوْۤا اِلَّا مِنْ بَعْدِ مَا جَآءَهُمُ الْعِلْمُ بَغْیًا بَیْنَهُمْ ؕ— وَلَوْلَا كَلِمَةٌ سَبَقَتْ مِنْ رَّبِّكَ اِلٰۤی اَجَلٍ مُّسَمًّی لَّقُضِیَ بَیْنَهُمْ ؕ— وَاِنَّ الَّذِیْنَ اُوْرِثُوا الْكِتٰبَ مِنْ بَعْدِهِمْ لَفِیْ شَكٍّ مِّنْهُ مُرِیْبٍ ۟

काफ़िरों और मुश्रिकों ने मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ईशदूतत्व के द्वारा अपने ऊपर तर्क स्थापित होने के पश्चात ही विभेद किया। और उनका यह विभेद भी केवल सरकशी और अत्याचार के कारण था। अगर अल्लाह के ज्ञान में यह बात पहले से न होती कि वह अपने ज्ञान में निर्दिष्ट एक अवधि यानी क़ियामत के दिन तक उनसे यातना को विलंबित रखेगा, तो अल्लाह अवश्य उनके बीच निर्णय कर देता और उनके अल्लाह का इनकार करने तथा उसके रसूलों को झुठलाने के कारण, उन्हें इसी दुनिया में यातना देता। इन बहुदेववादियों के बाद तथा अपने पूर्वजों के बाद जो यहूदी तौरात के और जो ईसाई इंजील के वारिस हुए, वे इस क़ुरआन के बारे में, जो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लेकर आए हैं, संदेह में पड़े हुए हैं और उसे झुठला रहे हैं। info
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15 : 42

فَلِذٰلِكَ فَادْعُ ۚ— وَاسْتَقِمْ كَمَاۤ اُمِرْتَ ۚ— وَلَا تَتَّبِعْ اَهْوَآءَهُمْ ۚ— وَقُلْ اٰمَنْتُ بِمَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ مِنْ كِتٰبٍ ۚ— وَاُمِرْتُ لِاَعْدِلَ بَیْنَكُمْ ؕ— اَللّٰهُ رَبُّنَا وَرَبُّكُمْ ؕ— لَنَاۤ اَعْمَالُنَا وَلَكُمْ اَعْمَالُكُمْ ؕ— لَا حُجَّةَ بَیْنَنَا وَبَیْنَكُمْ ؕ— اَللّٰهُ یَجْمَعُ بَیْنَنَا ۚ— وَاِلَیْهِ الْمَصِیْرُ ۟ؕ

आप इसी सीधे धर्म की ओर बुलाते रहें और अल्लाह के आदेश के अनुसार उस पर जमे रहें, तथा उनकी झूठी इच्छाओं का पालन न करें। उनके साथ बहस करते समय कह दें : मैं अल्लाह पर तथा उन सभी पुस्तकों पर ईमान लाया, जो अल्लाह ने अपने रसूलों पर उतारी हैं। अल्लाह ने मुझे आदेश दिया है कि मैं तुम्हारे बीच न्याय के साथ निर्णय करूँ। अल्लाह ही, जिसकी मैं उपासना करता हूँ, हमारा और तुम सब का पालनहार है। हमारे लिए हमारे कर्म हैं, अच्छे हों या बुरे और तुम्हारे लिए तुम्हारे कर्म हैं, अच्छे हों या बुरे। तर्क स्पष्ट हो जाने और सीधा मार्ग प्रकट होने के बाद हमारे और आपके बीच कोई झगड़ा नहीं है। अल्लाह हम सभी लोगों को एकत्र करेगा और क़ियामत के दिन उसी की ओर लौटकर जाना है। फिर वह हम में से हर एक को वह प्रतिफल देगा, जिसका वह हक़दार है। उस समय यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन सच्चा है और कौन झूठा, तथा कौन सत्य पर चलने वाला है और कौन असत्य पर। info
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• دين الأنبياء في أصوله دين واحد.
• मूल सिद्धांतों में सभी नबियों का धर्म एक ही है। info

• أهمية وحدة الكلمة، وخطر الاختلاف فيها.
• एकता का महत्व और विभेद का खतरा। info

• من مقومات نجاح الدعوة إلى الله: صحة المبدأ، والاستقامة عليه، والبعد عن اتباع الأهواء، والعدل، والتركيز على المشترك، وترك الجدال العقيم، والتذكير بالمصير المشترك.
• अल्लाह की ओर बुलाने के कार्य की सफलता के कुछ आवश्यक तत्व ये हैं : सिद्धांत की परिशुद्धता, उसपर मज़बूती से क़ायम रहना, इच्छाओं का अनुसरण करने से दूर रहना, न्याय, समान हित पर ध्यान केंद्रित करना, निरर्थक बहस को त्याग कर देना और समान गंतव्य की याददिहानी। info