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4 : 35

وَاِنْ یُّكَذِّبُوْكَ فَقَدْ كُذِّبَتْ رُسُلٌ مِّنْ قَبْلِكَ ؕ— وَاِلَی اللّٰهِ تُرْجَعُ الْاُمُوْرُ ۟

और यदि (ऐ रसूल!) आपकी जाति के लोग आपको झुठलाते हैं, तो आप धैर्य से काम लें। क्योंकि आप पहले रसूल नहीं हैं, जिसे उसकी जाति के लोगों ने झुठलाया है। बल्कि आपसे पूर्व समुदायों ने भी अपने रसूलों को झुठलाया था, जैसे आद, समूद और लूत अलैहिस्सलाम की जाति। तथा सभी मामले अकेले अल्लाह ही की ओर लौटाए जाएँगे। फिर वह झुठलाने वालों को विनष्ट कर देगा तथा अपने रसूलों और ईमान वालों की सहायता करेगा। info
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5 : 35

یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اِنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ فَلَا تَغُرَّنَّكُمُ الْحَیٰوةُ الدُّنْیَا ۥ— وَلَا یَغُرَّنَّكُمْ بِاللّٰهِ الْغَرُوْرُ ۟

ऐ लोगो! अल्लाह ने (क़ियामत के दिन मरणोपरांत पुनर्जीवन और बदले का) जो वादा किया है, वह सत्य है, जिसमें कोई संदेह नहीं है। अतः सांसारिक जीवन की सुख-सुविधाएँ और उसकी इच्छाएँ तुम्हें अच्छे कार्य के द्वारा उस दिन की तैयारी करने से धोखे में न रखें, तथा शैतान असत्य और सांसारिक जीवन में लिप्त रहने को सुशोभित करके तुम्हें धोखे में न डाले। info
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6 : 35

اِنَّ الشَّیْطٰنَ لَكُمْ عَدُوٌّ فَاتَّخِذُوْهُ عَدُوًّا ؕ— اِنَّمَا یَدْعُوْا حِزْبَهٗ لِیَكُوْنُوْا مِنْ اَصْحٰبِ السَّعِیْرِ ۟ؕ

निःसंदेह शैतान (ऐ लोगो) तुम्हारा हमेशा का शत्रु है। अतः निरंतर उससे लड़ने की प्रतिबद्धता के साथ उसे अपना शत्रु समझो। वास्तव में, शैतान अपने अनुयायियों को अल्लाह के इनकार की ओर बुलाता है। ताकि उनका परिणाम क़ियामत के दिन दहकती आग में प्रवेश करना हो। info
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7 : 35

اَلَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَهُمْ عَذَابٌ شَدِیْدٌ ؕ۬— وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّاَجْرٌ كَبِیْرٌ ۟۠

जिन लोगों ने शैतान का अनुसरण करते हुए अल्लाह के साथ कुफ़्र किया, उनके लिए कठोर यातना है। और जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और अच्छे कर्म किए, उनके लिए अल्लाह की ओर से उनके पापों की क्षमा है, तथा उनके लिए उसकी ओर से एक महान प्रतिफल है और वह जन्नत है। info
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8 : 35

اَفَمَنْ زُیِّنَ لَهٗ سُوْٓءُ عَمَلِهٖ فَرَاٰهُ حَسَنًا ؕ— فَاِنَّ اللّٰهَ یُضِلُّ مَنْ یَّشَآءُ وَیَهْدِیْ مَنْ یَّشَآءُ ۖؗ— فَلَا تَذْهَبْ نَفْسُكَ عَلَیْهِمْ حَسَرٰتٍ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَلِیْمٌۢ بِمَا یَصْنَعُوْنَ ۟

जिस व्यक्ति के लिए शैतान ने उसके बुरे कार्य को सुंदर बना दिया, तो वह उसे अच्छा समझने लगा, वह उस व्यक्ति के समान नहीं है, जिसके लिए अल्लाह ने सत्य को सुशोभित कर दिया है, तो वह उसे सत्य समझता है। क्योंकि अल्लाह जिसे चाहे, गुमराह कर देता है और जिसे चाहे, मार्गदर्शन प्रदान करता है, उसे कोई मजबूर करने वाला नहीं है। अतः (ऐ रसूल) आप इन गुमराहों की गुमराही पर शोक करते हुए अपने आपको हलकान न करें। निःसंदेह अल्लाह उनकी करतूतों को जानता है, उनके कार्यों में से कुछ भी उससे छिपा नहीं है। info
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9 : 35

وَاللّٰهُ الَّذِیْۤ اَرْسَلَ الرِّیٰحَ فَتُثِیْرُ سَحَابًا فَسُقْنٰهُ اِلٰی بَلَدٍ مَّیِّتٍ فَاَحْیَیْنَا بِهِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا ؕ— كَذٰلِكَ النُّشُوْرُ ۟

तथा वह अल्लाह ही है, जो हवाओं को भेजता है। तो ये हवाएँ बादल को चलाती हैं। फिर हम बादल को ऐसे नगर की ओर ले जाते हैं, जहाँ कोई पौधा नहीं होता। फिर हम उसके पानी से भूमि को उसके सूखने के बाद, उसमें पौधे उगाकर, पुनर्जीवित कर देते हैं। तो जैसे हमने इस भूमि को उसके मरने के बाद, उसमें पौधे उगाकर, पुनर्जीवित किया है, उसी तरह क़ियामत के दिन मृतकों को फिर से जीवित किया जाएगा। info
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10 : 35

مَنْ كَانَ یُرِیْدُ الْعِزَّةَ فَلِلّٰهِ الْعِزَّةُ جَمِیْعًا ؕ— اِلَیْهِ یَصْعَدُ الْكَلِمُ الطَّیِّبُ وَالْعَمَلُ الصَّالِحُ یَرْفَعُهٗ ؕ— وَالَّذِیْنَ یَمْكُرُوْنَ السَّیِّاٰتِ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِیْدٌ ؕ— وَمَكْرُ اُولٰٓىِٕكَ هُوَ یَبُوْرُ ۟

जो व्यक्ति दुनिया अथवा आखिरत में सम्मान चाहता है, वह उसे अल्लाह के सिवाय किसी और से न माँगे। क्योंकि उन दोनों स्थानों में सम्मान केवल अल्लाह ही के लिए है। उसका (बंदों के द्वारा) पवित्र स्मरण उसी की ओर चढ़ता है और बंदों का अच्छा कर्म उसे अल्लाह की ओर ऊपर उठाता है। और जो लोग बुरी साज़िशें रचते हैं (जैसे कि रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की हत्या करने का प्रयास) उनके लिए कठोर यातना है और इन काफ़िरों की साज़िश विफल होकर रहेगी और उन्हें कोई लक्ष्य प्राप्त नहीं होगा। info
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11 : 35

وَاللّٰهُ خَلَقَكُمْ مِّنْ تُرَابٍ ثُمَّ مِنْ نُّطْفَةٍ ثُمَّ جَعَلَكُمْ اَزْوَاجًا ؕ— وَمَا تَحْمِلُ مِنْ اُ وَلَا تَضَعُ اِلَّا بِعِلْمِهٖ ؕ— وَمَا یُعَمَّرُ مِنْ مُّعَمَّرٍ وَّلَا یُنْقَصُ مِنْ عُمُرِهٖۤ اِلَّا فِیْ كِتٰبٍ ؕ— اِنَّ ذٰلِكَ عَلَی اللّٰهِ یَسِیْرٌ ۟

अल्लाह ही है जिसने तुम्हारे पिता आदम को मिट्टी से पैदा किया, फिर उसने तुम्हें वीर्य से पैदा किया। फिर तुम्हें पुरुष एवं महिला बनाया, ताकि तुम आपस में विवाह करो। तथा जो भी महिला कोई गर्भ धारण करती है तथा वह अपने बच्चे को जन्म देती है, तो वह उस महिमावान के ज्ञान में होता है। उसमें से कोई भी चीज़ उससे लुप्त नहीं होती है। और उसकी सृष्टि में से किसी की आयु में जो भी वृद्धि या कमी की जाती है, तो वह 'लौहे महफ़ूज़' में अंकित है। निःसंदेह ये उल्लिखित चीज़ें (अर्थात् तुम्हें मिट्टी से पैदा करना और तुम्हें विभिन्न चरणों में पैदा करना तथा तुम्हारी आयु को 'लौहे महफ़ूज़' में लिखना) अल्लाह पर बहुत आसान है। info
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ក្នុង​ចំណោម​អត្ថប្រយោជន៍​នៃអាយ៉ាត់ទាំងនេះក្នុងទំព័រនេះ:
• تسلية الرسول صلى الله عليه وسلم بذكر أخبار الرسل مع أقوامهم.
• रसूलों के अपनी जातियों के साथ समाचार का उल्लेख करके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को सांत्वना देना। info

• الاغترار بالدنيا سبب الإعراض عن الحق.
• दुनिया के धोखे में पड़ना सच्चाई से दूर होने का कारण है। info

• اتخاذ الشيطان عدوًّا باتخاذ الأسباب المعينة على التحرز منه؛ من ذكر الله، وتلاوة القرآن، وفعل الطاعة، وترك المعاصي.
• शैतान से बचने में सहायक कारणों; अल्लाह का ज़िक्र करने, क़ुरआन का पाठ करने, आज्ञाकारिता करने और पापों को त्याग करने, को अपनाकर शैतान को दुश्मन बनाना। info

• ثبوت صفة العلو لله تعالى.
• सर्वशक्तिमान अल्लाह के लिए 'बुलंदी' (उलू) की विशेषता का सबूत। info