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44 : 28

وَمَا كُنْتَ بِجَانِبِ الْغَرْبِیِّ اِذْ قَضَیْنَاۤ اِلٰی مُوْسَی الْاَمْرَ وَمَا كُنْتَ مِنَ الشّٰهِدِیْنَ ۟ۙ

और (ऐ रसूल!) आप मूसा अलैहिस्सलाम के हिसाब से पहाड़ के पश्चिमी किनारे पर मौजूद नहीं थे, जब हमने मूसा को फ़िरऔन तथा उसके प्रमुखों की ओर रसूल बनाकर भेजने का आदेश संपन्न किया, और न ही आप वहाँ उपस्थित होने वालों में से थे कि आप उसके समाचार से अवगत होते और उसे लोगों को बताते। इसलिए आप लोगों को जो कुछ बता रहे हैं, वह अल्लाह ने आपकी ओर वह़्य की है। info
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45 : 28

وَلٰكِنَّاۤ اَنْشَاْنَا قُرُوْنًا فَتَطَاوَلَ عَلَیْهِمُ الْعُمُرُ ۚ— وَمَا كُنْتَ ثَاوِیًا فِیْۤ اَهْلِ مَدْیَنَ تَتْلُوْا عَلَیْهِمْ اٰیٰتِنَا ۙ— وَلٰكِنَّا كُنَّا مُرْسِلِیْنَ ۟

लेकिन हमने मूसा के बाद कई समुदायों और प्राणियों को पैदा किया, फिर उनपर लंबी अवधि बीत गई, यहाँ तक कि वे अल्लाह के वचनों को भूल गए। तथा आप मदयन वालों के साथ नहीं रह रहे थे कि उनके सामने हमारी आयतें पढ़ते। किंतु हमने आपको अपने पास से रसूल बनाकर भेजा और आपकी ओर मूसा और उनके मदयन में निवास के समाचार की वह़्य की। अतः आपने लोगों को उसके बारे में बताया जो अल्लाह ने आपकी ओर वह़्य की। info
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46 : 28

وَمَا كُنْتَ بِجَانِبِ الطُّوْرِ اِذْ نَادَیْنَا وَلٰكِنْ رَّحْمَةً مِّنْ رَّبِّكَ لِتُنْذِرَ قَوْمًا مَّاۤ اَتٰىهُمْ مِّنْ نَّذِیْرٍ مِّنْ قَبْلِكَ لَعَلَّهُمْ یَتَذَكَّرُوْنَ ۟

और न ही आप उस समय तूर (पर्वत) के किनारे पर थे, जब हमने मूसा को पुकारा और उनकी ओर वह़्य की जो कुछ वह़्य की, कि आप लोगों को उस घटना के बारे में बता सकें। परंतु हमने आपको आपके पालनहार की ओर से लोगों के लिए रहमत बनाकर भेजा और आपकी ओर उसके समाचार की वह़्य की, ताकि आप उन लोगों को सावधान करें, जिनके पास आपसे पूर्व कोई सचेत करने वाला रसूल नहीं आया, ताकि वे उपदेश ग्रहण करें और आप अल्लाह के पास से जो कुछ लेकर आए हैं उसपर ईमान लाएँ। info
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47 : 28

وَلَوْلَاۤ اَنْ تُصِیْبَهُمْ مُّصِیْبَةٌ بِمَا قَدَّمَتْ اَیْدِیْهِمْ فَیَقُوْلُوْا رَبَّنَا لَوْلَاۤ اَرْسَلْتَ اِلَیْنَا رَسُوْلًا فَنَتَّبِعَ اٰیٰتِكَ وَنَكُوْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟

और यदि ऐसा न होता कि उन्हें उनके कुफ़्र एवं पाप के कारण कोई ईश्वरीय दंड पहुँचे, तो वे अपने पास रसूल न भेजे जाने को हुज्जत बनाकर कहने लगें : (ऐ हमारे पालनहार!) तूने हमारे पास कोई रसूल क्यों न भेजा कि हम तेरी आयतों का अनुसरण करते और उनपर अमल करते तथा हम उन ईमान वालों में से हो जाते, जो अपने रब के आदेश का पालन करने वाले हैं। यदि यह बात न होती तो हम शीघ्र ही उन्हें दंड देते। परंतु हमने उसे उनसे उस समय तक विलंब कर दिया जब तक कि उनके पास रसूल भेजकर उनके बहाने को समाप्त न कर दें। info
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48 : 28

فَلَمَّا جَآءَهُمُ الْحَقُّ مِنْ عِنْدِنَا قَالُوْا لَوْلَاۤ اُوْتِیَ مِثْلَ مَاۤ اُوْتِیَ مُوْسٰی ؕ— اَوَلَمْ یَكْفُرُوْا بِمَاۤ اُوْتِیَ مُوْسٰی مِنْ قَبْلُ ۚ— قَالُوْا سِحْرٰنِ تَظَاهَرَا ۫— وَقَالُوْۤا اِنَّا بِكُلٍّ كٰفِرُوْنَ ۟

जब मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम क़ुरैश के पास अपने रब का संदेश लेकर आए, तो क़ुरैश ने आपके विषय में यहूदियों से पूछा। यहूदियों ने उन्हें यह तर्क सुझाया, तो उन्होंने कहा : मुहम्मद को मूसा की तरह ऐसी निशानियाँ क्यों न दी गईं, जो उनके रसूल होने को प्रमाणित करतीं; जैसे हाथ का चमकना और लाठी। (ऐ रसूल!) आप उन्हें उत्तर देते हुए कह दें : क्या यहूदियों ने उन निशानियों का इनकार नहीं किया जो मूसा को दी गई थीं? तथा उन्होंने तौरात और क़ुरआन दोनों के बारे में कहा : ये दोनों जादू हैं, जो एक-दूसरे का समर्थन करते हैं। तथा उन्होंने कहा : हम क़ुरआन तथा तौरात में से हर एक का इनकार करते हैं। info
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49 : 28

قُلْ فَاْتُوْا بِكِتٰبٍ مِّنْ عِنْدِ اللّٰهِ هُوَ اَهْدٰی مِنْهُمَاۤ اَتَّبِعْهُ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟

(ऐ रसूल!) आप इनसे कह दें : तुम अल्लाह की ओर से अवतरित कोई ऐसी किताब ले आओ, जो तौरात और क़ुरआन से अधिक मार्गदर्शन करने वाली हो। यदि तुम उसे ले आए, तो मैं उसका अनुसरण करूँगा, यदि तुम अपने इस दावे में सच्चे हो कि तौरात और क़ुरआन दोनों जादू हैं। info
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50 : 28

فَاِنْ لَّمْ یَسْتَجِیْبُوْا لَكَ فَاعْلَمْ اَنَّمَا یَتَّبِعُوْنَ اَهْوَآءَهُمْ ؕ— وَمَنْ اَضَلُّ مِمَّنِ اتَّبَعَ هَوٰىهُ بِغَیْرِ هُدًی مِّنَ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الظّٰلِمِیْنَ ۟۠

फिर यदि क़ुरैश तौरात एवं क़ुरआन से अधिक मार्गदर्शन करने वाली कोई किताब लाने के मुतालबे को स्वीकार न करें, तो आप निश्चित रूप से जान लें कि उनका इन दोनों को झुठलाना सबूत पर आधारित नहीं है, बल्कि इच्छा का पालन करने के कारण है। और उससे अधिक पथभ्रष्ट कोई नहीं है जो सर्वशक्तिमान अल्लाह के मार्गदर्शन के बिना अपनी इच्छा का अनुसरण करे। निःसंदेह अल्लाह उन लोगों को मार्गदर्शन का सामर्थ्य नहीं देता, जो अल्लाह का इनकार करके अपने आपपर अत्याचार करने वाले हैं। info
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ក្នុង​ចំណោម​អត្ថប្រយោជន៍​នៃអាយ៉ាត់ទាំងនេះក្នុងទំព័រនេះ:
• نفي علم الغيب عن رسول الله صلى الله عليه وسلم إلَّا ما أطلعه الله عليه.
• अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से परोक्ष (ग़ैब) के ज्ञान का इनकार करना, सिवाय उसके जिससे अल्लाह ने आपको अवगत करा दिया हो। info

• اندراس العلم بتطاول الزمن.
• समय बीतने के साथ ज्ञान का लोप हो जाना। info

• تحدّي الكفار بالإتيان بما هو أهدى من وحي الله إلى رسله.
• काफ़िरों को यह चुनौती देना कि वे अल्लाह की अपने रसूलों की ओर भेजी गई वह़्य से अधिक मार्गदर्शन करने वाली कोई किताब ले आएँ। info

• ضلال الكفار بسبب اتباع الهوى، لا بسبب اتباع الدليل.
• काफ़िरों की गुमराही अपनी इच्छाओं का पालन करने के कारण है, सबूतों का पालन करने के कारण नहीं। info