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54 : 24

قُلْ اَطِیْعُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوا الرَّسُوْلَ ۚ— فَاِنْ تَوَلَّوْا فَاِنَّمَا عَلَیْهِ مَا حُمِّلَ وَعَلَیْكُمْ مَّا حُمِّلْتُمْ ؕ— وَاِنْ تُطِیْعُوْهُ تَهْتَدُوْا ؕ— وَمَا عَلَی الرَّسُوْلِ اِلَّا الْبَلٰغُ الْمُبِیْنُ ۟

(ऐ रसूल!) आप इन मुनाफ़िक़ों से कह दें कि तुम बाहर और भीतर दोनों तरह से अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करो। अगर तुम उनके आज्ञापालन से मुँह फेरोगे, जिसका तुम्हें आदेश दिया गया है, तो रसूल का दायित्व केवल उस संदेश को पहुँचा देना है, जिसकी उन्हें ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। तथा तुम्हारा दायित्व आज्ञापालन करना और रसूल के लाए हुए धर्म के अनुसार कार्य करना है। और अगर तुम उनकी बात मानकर उनके आदेशों का पालन करोगे और उनकी मना की हुई बातों से दूर रहोगे, तो सच्चा मार्ग प्राप्त कर लोगे। और रसूल का दायित्व केवल स्पष्ट रूप से पहुँचा देना है। उसका काम तुम्हें सही मार्ग पर लगा देना और उसपर मजबूर करना नहीं है। info
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55 : 24

وَعَدَ اللّٰهُ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مِنْكُمْ وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَیَسْتَخْلِفَنَّهُمْ فِی الْاَرْضِ كَمَا اسْتَخْلَفَ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ ۪— وَلَیُمَكِّنَنَّ لَهُمْ دِیْنَهُمُ الَّذِی ارْتَضٰی لَهُمْ وَلَیُبَدِّلَنَّهُمْ مِّنْ بَعْدِ خَوْفِهِمْ اَمْنًا ؕ— یَعْبُدُوْنَنِیْ لَا یُشْرِكُوْنَ بِیْ شَیْـًٔا ؕ— وَمَنْ كَفَرَ بَعْدَ ذٰلِكَ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْفٰسِقُوْنَ ۟

अल्लाह ने तुममें से ईमान वालों और सुकर्म करने वालों से वादा किया है कि वह उनके शत्रुओं के खिलाफ उनकी सहायता करेगा तथा उनको धरती में ख़लीफ़ा बनाएगा, जिस तरह कि उनसे पहले के ईमान वालों को धरती में ख़लीफ़ा बनाया था। और उनसे यह वादा किया है कि उनके उस धर्म को जिसे उनके लिए पसंद किया है (और वह इस्लाम धर्म है), धरती में प्रभुत्व एवं शक्ति प्रदान कर देगा। तथा उनसे यह भी वादा किया है कि उन्हें उनके भय के पश्चात् शांति प्रदान कर देगा। वे केवल मेरी ही इबादत करेंगे, मेरे साथ किसी को साझी नहीं बनाएँगे। और जिसने इन नेमतों के बाद कुफ़्र किया, तो वही लोग अल्लाह के आज्ञापालन से निकल जाने वाले हैं। info
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56 : 24

وَاَقِیْمُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّكٰوةَ وَاَطِیْعُوا الرَّسُوْلَ لَعَلَّكُمْ تُرْحَمُوْنَ ۟

संपूर्ण तरीक़े से नमाज़ अदा करो, अपने धन की ज़कात दो, और रसूल की आज्ञा का पालन करते हुए उस चीज़ को करो, जिसका उन्होंने आदेश दिया है और उस चीज़ को त्याग कर दो, जिससे उन्होंने मना किया है; इस आशा में कि तुम्हें अल्लाह की दया प्राप्त हो। info
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57 : 24

لَا تَحْسَبَنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مُعْجِزِیْنَ فِی الْاَرْضِ ۚ— وَمَاْوٰىهُمُ النَّارُ ؕ— وَلَبِئْسَ الْمَصِیْرُ ۟۠

(ऐ रसूल!) आप उन लोगों को जिन्होंने अल्लाह के साथ कुफ़्र किया, हरगिज़ यह न समझें कि वे मुझसे बच निकलेंगे, यदि मैं उन्हें यातना से पीड़ित करना चाहूँ। और क़ियामत के दिन उनका ठिकाना जहन्नम है। और निश्चय उन लोगों का ठिकाना बहुत बुरा है, जिनका ठिकाना जहन्नम होगा। info
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58 : 24

یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لِیَسْتَاْذِنْكُمُ الَّذِیْنَ مَلَكَتْ اَیْمَانُكُمْ وَالَّذِیْنَ لَمْ یَبْلُغُوا الْحُلُمَ مِنْكُمْ ثَلٰثَ مَرّٰتٍ ؕ— مِنْ قَبْلِ صَلٰوةِ الْفَجْرِ وَحِیْنَ تَضَعُوْنَ ثِیَابَكُمْ مِّنَ الظَّهِیْرَةِ وَمِنْ بَعْدِ صَلٰوةِ الْعِشَآءِ ۫ؕ— ثَلٰثُ عَوْرٰتٍ لَّكُمْ ؕ— لَیْسَ عَلَیْكُمْ وَلَا عَلَیْهِمْ جُنَاحٌ بَعْدَهُنَّ ؕ— طَوّٰفُوْنَ عَلَیْكُمْ بَعْضُكُمْ عَلٰی بَعْضٍ ؕ— كَذٰلِكَ یُبَیِّنُ اللّٰهُ لَكُمُ الْاٰیٰتِ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌ حَكِیْمٌ ۟

ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! तुम्हारे ग़ुलाम, तुम्हारी लौंडियाँ और आज़ाद बच्चे, जो युवावस्था को न पहुँचे हों, तुमसे तीन समयों में अनुमति माँगें; फ़ज्र की नमाज़ से पहले, जो कि सोने के कपड़ों को उतारकर जागने के कपड़े पहनने का समय होता है, और दोपहर के समय, जब क़ैलूला के लिए तुम अपने कपड़े उतारते हो, और इशा की नमाज़ के बाद; क्योंकि यह तुम्हारे सोने तथा जागने के कपड़े उतारकर सोने के कपड़े पहनने का समय है। ये तीन समय, तुम्हारे लिए पर्दे के समय हैं। इन समयों में वे तुम्हारे पास तुम्हारी अनुमति के बिना नहीं आ सकते। इनके सिवा अन्य समयों में उनके बिना अनुमति लेकर आने में, न तुमपर कोई गुनाह है और न उनपर। वे तुम्हारे पास बहुत चक्कर लगाने वाले हैं, तुम एक-दूसरे के पास आते-जाते रहते हो। इसलिए उन्हें हर समय बिना अनुमति के प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता है। जिस तरह अल्लाह ने तुम्हारे लिए अनुमति लेने के नियमों को खोलकर बयान किया है, उसी तरह अल्लाह तुम्हारे लिए उन आयतों को खोलकर बयान करता है, जो तुम्हारे लिए उसके निर्धारित किए हुए नियमों को दर्शाती हैं। तथा अल्लाह अपने बंदों के हितों को भली-भाँति जानता है, उनके लिए जो नियम निर्धारित करता है, उसमें पूर्ण हिकमत वाला है। info
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ក្នុង​ចំណោម​អត្ថប្រយោជន៍​នៃអាយ៉ាត់ទាំងនេះក្នុងទំព័រនេះ:
• اتباع الرسول صلى الله عليه وسلم علامة الاهتداء.
• रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का अनुसरण करना हिदायत की निशानी है। info

• على الداعية بذل الجهد في الدعوة، والنتائج بيد الله.
• अल्लाह की ओर बुलाने वाले का कर्तव्य अल्लाह की ओर बुलाने में भरपूर प्रयास करना है और परिणाम अल्लाह के हाथ में है। info

• الإيمان والعمل الصالح سبب التمكين في الأرض والأمن.
• ईमान और सत्कर्म धरती में प्रभुत्व और शांति एवं सुरक्षा का कारण हैं। info

• تأديب العبيد والأطفال على الاستئذان في أوقات ظهور عورات الناس.
• ग़ुलामों और बच्चों को लोगों के गुप्तांगों के प्रकट होने के समयों में अनुमति लेने के लिए अनुशासित करना। info