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39 : 19

وَاَنْذِرْهُمْ یَوْمَ الْحَسْرَةِ اِذْ قُضِیَ الْاَمْرُ ۘ— وَهُمْ فِیْ غَفْلَةٍ وَّهُمْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟

तथा (ऐ रसूल!) आप लोगों को पछतावे के दिन से डराएँ, जिस दिन जब सहीफ़े लपेट दिए जाएँगे, लोगों का हिसाब कर दिया जाएगा और हर व्यक्ति अपने कर्मों के हवाले हो जाएगा, तो बुराई करने वाला अपनी बुराई पर पछताएगा और नेकी करने वाला और अधिक नेकियाँ न करने पर पछताएगा। जबकि वे दुनिया के जीवन में उसके धोखे में पड़े हुए हैं, आख़िरत से बेपरवाह हैं और क़ियामत के दिन पर ईमान नहीं लाते हैं। info
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40 : 19

اِنَّا نَحْنُ نَرِثُ الْاَرْضَ وَمَنْ عَلَیْهَا وَاِلَیْنَا یُرْجَعُوْنَ ۟۠

निश्चय हम ही प्राणियों के विनाश के बाद बाक़ी रहेंगे और धरती के तथा उसपर मौजूद सारी चीज़ों के वारिस होंगे। क्योंकि उनका विनाश हो जाएगा और उनके बाद हम ही बाक़ी रहेंगे और हम उनके मालिक होंगे और हम जैसे चाहेंगे उन्हें प्रयोग करेंगे। तथा क़ियामत के दिन सारे लोग हिसाब-किताब और बदले के लिए हमारी ही ओर लौटाए जाएँगे। info
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41 : 19

وَاذْكُرْ فِی الْكِتٰبِ اِبْرٰهِیْمَ ؕ۬— اِنَّهٗ كَانَ صِدِّیْقًا نَّبِیًّا ۟

(ऐ रसूल!) आपके ऊपर जो क़ुरआन उतारा गया है, उसमें इबराहीम अलैहिस्सलाम के वृत्तांत की चर्चा कीजिए। वास्तव में, वह बड़े सत्यवादी, अल्लाह की आयतों को सच मानने वाले और अल्लाह की ओर से भेजे हुए नबी थे। info
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42 : 19

اِذْ قَالَ لِاَبِیْهِ یٰۤاَبَتِ لِمَ تَعْبُدُ مَا لَا یَسْمَعُ وَلَا یُبْصِرُ وَلَا یُغْنِیْ عَنْكَ شَیْـًٔا ۟

जब उन्होंने अपने पिता आज़र से कहा : ऐ मेरे पिता! आप अल्लाह को छोड़कर ऐसे बुत की पूजा क्यों करते हैं, जिसे यदि आप पुकारें, तो वह आपकी पुकार नहीं सुनता है; यदि आप उसकी पूजा करें, तो वह आपकी पूजा को नहीं देखता है, तथा वह न आपकी हानि को दूर करता है और न आपको कोई लाभ देता पहुँचाता हैॽ! info
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43 : 19

یٰۤاَبَتِ اِنِّیْ قَدْ جَآءَنِیْ مِنَ الْعِلْمِ مَا لَمْ یَاْتِكَ فَاتَّبِعْنِیْۤ اَهْدِكَ صِرَاطًا سَوِیًّا ۟

हे मेरे पिता! निश्चय मेरे पास वह़्य के माध्यम से वह ज्ञान आया है, जो आपके पास नहीं आया। इसलिए आप मेरा अनुसरण करें, मैं आपका सीधे रास्ते पर मार्गदर्शन करूँगा। info
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44 : 19

یٰۤاَبَتِ لَا تَعْبُدِ الشَّیْطٰنَ ؕ— اِنَّ الشَّیْطٰنَ كَانَ لِلرَّحْمٰنِ عَصِیًّا ۟

ऐ मेरे पिता! शैतान का अनुसरण करके उसकी पूजा न करें। निःसंदेह शैतान अत्यंत दयावान् अल्लाह का अवज्ञाकारी है। क्योंकि अल्लाह ने उसे आदम अलैहिस्सलाम के सामने सजदा करने का आदेश दिया था, लेकिन उसने सजदा नहीं किया। info
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45 : 19

یٰۤاَبَتِ اِنِّیْۤ اَخَافُ اَنْ یَّمَسَّكَ عَذَابٌ مِّنَ الرَّحْمٰنِ فَتَكُوْنَ لِلشَّیْطٰنِ وَلِیًّا ۟

ऐ मेरे पिता! यदि इसी अविश्वास की अवस्था में आपकी मृत्यु हो गई, तो मुझे भय है कि कहीं आपको रहमान की ओर से कोई यातना न पहुँचे, फिर आप शैतान की दोस्ती के कारण यातना में उसके साथी बन जाएँ। info
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46 : 19

قَالَ اَرَاغِبٌ اَنْتَ عَنْ اٰلِهَتِیْ یٰۤاِبْرٰهِیْمُ ۚ— لَىِٕنْ لَّمْ تَنْتَهِ لَاَرْجُمَنَّكَ وَاهْجُرْنِیْ مَلِیًّا ۟

आज़र ने अपने पुत्र इबराहीम अलैहिस्सलाम से कहा : ऐ इबराहीम! जिन बुतों की मैं पूजा करता हूँ, क्या तू उनसे विमुख हो रहा है? यदि तू मेरे बुतों को बुरा-भला कहने से बाज़ न आया, तो मैं तुझपर पत्थर बरसाऊँगा। तू लंबे समय के लिए मुझसे अलग हो जा, सो मुझसे बात न करना और न मेरे सामने आना। info
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47 : 19

قَالَ سَلٰمٌ عَلَیْكَ ۚ— سَاَسْتَغْفِرُ لَكَ رَبِّیْ ؕ— اِنَّهٗ كَانَ بِیْ حَفِیًّا ۟

इबराहीम अलैहिस्सलाम ने अपने पिता से कहा : मेरी ओर से आपको सलाम है। मेरी ओर से आपको कोई कष्ट नहीं पहुँचेगा। मैं आपके लिए अपने रब से क्षमा और मार्गदर्शन माँगूँगा। निःसंदेह वह हमेशा से मुझ पर बहुत दयालु है। info
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48 : 19

وَاَعْتَزِلُكُمْ وَمَا تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَاَدْعُوْا رَبِّیْ ۖؗ— عَسٰۤی اَلَّاۤ اَكُوْنَ بِدُعَآءِ رَبِّیْ شَقِیًّا ۟

तथा मैं आप लोगों से और आप लोगों के उन पूज्यों से किनारा करता हूँ, जिन्हें आप अल्लाह के सिवा पूजते हैं और मैं केवल अपने अकेले पालनहार को पुकारता हूँ तथा उसके साथ किसी भी चीज़ को साझी नहीं बनाता। आशा है कि जब मैं उससे दुआ करूँगा, तो वह मेरी दुआ को नहीं ठुकराएगा, कि मैं उससे दुआ करके बेनसीब रहूँ। info
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49 : 19

فَلَمَّا اعْتَزَلَهُمْ وَمَا یَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ۙ— وَهَبْنَا لَهٗۤ اِسْحٰقَ وَیَعْقُوْبَ ؕ— وَكُلًّا جَعَلْنَا نَبِیًّا ۟

जब इबराहीम (अलैहिस्सलाम) ने उन्हें और उनके उन पूज्यों को छोड़ दिया, जिनकी वे अल्लाह के अलावा पूजा करते थे, तो हमने उसे उसके परिवार से वंचित होने की भरपाई की। इसलिए हमने उसे उसका पुत्र इसहाक़ तथा उसका पोता याक़ूब दिया और उनमें से प्रत्येक को हमने नबी बनाया। info
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50 : 19

وَوَهَبْنَا لَهُمْ مِّنْ رَّحْمَتِنَا وَجَعَلْنَا لَهُمْ لِسَانَ صِدْقٍ عَلِیًّا ۟۠

और हमने उन्हें अपनी दया से नुबुव्वत के साथ बहुत सारी भलाइयाँ प्रदान कीं और उनके लिए लोगों की ज़बानों पर हमेशा के लिए अच्छी प्रशंसा रख दी। info
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51 : 19

وَاذْكُرْ فِی الْكِتٰبِ مُوْسٰۤی ؗ— اِنَّهٗ كَانَ مُخْلَصًا وَّكَانَ رَسُوْلًا نَّبِیًّا ۟

तथा (ऐ रसूल!) आप अपने ऊपर उतारे गए क़ुरआन में मूसा (अलैहिस्सलाम) के वृत्तांत की चर्चा करें। निश्चय वह एक चुने हुए, मनोनीत व्यक्ति तथा रसूल एवं नबी थे। info
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ក្នុង​ចំណោម​អត្ថប្រយោជន៍​នៃអាយ៉ាត់ទាំងនេះក្នុងទំព័រនេះ:
• لما كان اعتزال إبراهيم لقومه مشتركًا فيه مع سارة، ناسب أن يذكر هبتهما المشتركة وحفيدهما، ثم جاء ذكر إسماعيل مستقلًّا مع أن الله وهبه إياه قبل إسحاق.
• चूँकि इबराहीम अलैहिस्सलाम के अपनी क़ौम से अलग होने के समय सारा भी साथ थीं, इसलिए उन दोनों के संयुक्त वरदान (इसहाक़ अलैहिस्सलाम) और उनके पोते (याक़ूब अलैहिस्सलाम) का उल्लेख करना उचित था, फिर उसके बाद स्वतंत्र रूप से इसमाईल अलैहिस्सलाम का उल्लेख आया है। हालाँकि अल्लाह ने उन्हें इसहाक़ अलैहिस्सलाम से पहले इसमाईल अलैहिस्सलाम ही को प्रदान किया था। info

• التأدب واللطف والرفق في محاورة الوالدين واختيار أفضل الأسماء في مناداتهما.
• माता-पिता के साथ संवाद करने में शिष्टाचार, कोमलता और विनम्रता अपनाना, तथा उन्हें बुलाते समय सबसे अच्छे नामों का चयन करना चाहिए। info

• المعاصي تمنع العبد من رحمة الله، وتغلق عليه أبوابها، كما أن الطاعة أكبر الأسباب لنيل رحمته.
• पाप बंदे को अल्लाह की दया से दूर कर देते हैं और उसपर दया के दरवाज़े बंद कर देते हैं। जबकि अल्लाह की आज्ञाकारिता उसकी दया प्राप्त करने का सबसे बड़ा कारण है। info

• وعد الله كل محسن أن ينشر له ثناءً صادقًا بحسب إحسانه، وإبراهيم عليه السلام وذريته من أئمة المحسنين.
• अल्लाह ने हर उपकारी से वादा किया है कि वह उसके उपकार के अनुसार उसकी सच्ची प्रशंसा को फैला देगा। और इबराहीम अलैहिस्सलाम तथा उनके वंशज उपकारियों के इमामों में से हैं। info