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104 : 16

اِنَّ الَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِاٰیٰتِ اللّٰهِ ۙ— لَا یَهْدِیْهِمُ اللّٰهُ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟

निःसंदेह जो लोग अल्लाह की आयतों पर विश्वास नहीं रखते कि वे उसी महिमावान की ओर से हैं, अल्लाह उन्हें सत्य की ओर मार्गदर्शन का सामर्थ्य नहीं देता जब तक कि वे अपने इस रवैये पर अटल हैं। तथा अल्लाह के इनकार और उसकी आयतों को झुठलाने के कारण उनके लिए दर्दनाक यातना है। info
التفاسير:
ក្នុង​ចំណោម​អត្ថប្រយោជន៍​នៃអាយ៉ាត់ទាំងនេះក្នុងទំព័រនេះ:
• الترخيص للمُكرَه بالنطق بالكفر ظاهرًا مع اطمئنان القلب بالإيمان.
• मजबूर किए गए व्यक्ति को ज़ाहिरी तौर पर कुफ़्र का शब्द बोलने की छूट है, जबकि उसका दिल ईमान से संतुष्ट हो। info

• المرتدون استوجبوا غضب الله وعذابه؛ لأنهم استحبوا الحياة الدنيا على الآخرة، وحرموا من هداية الله، وطبع الله على قلوبهم وسمعهم وأبصارهم، وجعلوا من الغافلين عما يراد بهم من العذاب الشديد يوم القيامة.
• इस्लाम से फिर जाने वाले अल्लाह के क्रोध और यातना के पात्र हुए; क्योंकि उन्होंने दुनिया के जीवन को आख़िरत की तुलना में पसंद किया। इसी कारण वे अल्लाह की हिदायत से वंचित कर दिए गए, और अल्लाह ने उनके दिलों, कानों और आँखों पर मुहर लगा दी और वे क़ियामत के दिन उन्हें मिलने वाली कठोर यातना से ग़ाफ़िल कर दिए गए। info

• كَتَبَ الله المغفرة والرحمة للذين آمنوا، وهاجروا من بعد ما فتنوا، وصبروا على الجهاد.
• अल्लाह ने उन लोगों के लिए क्षमा और दया लिख दी है, जो ईमान लाए, आज़माइशों का सामना करने के बाद हिजरत की और जिहाद के मैदान में डटे रहे। info