Terjemahan makna Alquran Alkarim - Terjemahan Berbahasa India - Azizul Haq Al-Umari

Nomor Halaman:close

external-link copy
7 : 51

وَالسَّمَآءِ ذَاتِ الْحُبُكِ ۟ۙ

क़सम है रास्तों वाले आकाश की! info
التفاسير:

external-link copy
8 : 51

اِنَّكُمْ لَفِیْ قَوْلٍ مُّخْتَلِفٍ ۟ۙ

निःसंदेह तुम निश्चय एक विवादास्पद बात[2] में पड़े हो। info

2. अर्थात क़ुरआन तथा प्रलय के विषय में विभिन्न बातें कर रहे हैं।

التفاسير:

external-link copy
9 : 51

یُّؤْفَكُ عَنْهُ مَنْ اُفِكَ ۟ؕ

उससे वही फेरा जाता है, जो (अल्लाह के ज्ञान में) फेर दिया गया है। info
التفاسير:

external-link copy
10 : 51

قُتِلَ الْخَرّٰصُوْنَ ۟ۙ

अटकल लगाने वाले मारे गए। info
التفاسير:

external-link copy
11 : 51

الَّذِیْنَ هُمْ فِیْ غَمْرَةٍ سَاهُوْنَ ۟ۙ

जो बड़ी ग़फ़लत में भूले हुए हैं। info
التفاسير:

external-link copy
12 : 51

یَسْـَٔلُوْنَ اَیَّانَ یَوْمُ الدِّیْنِ ۟ؕ

वे पूछते[3] हैं कि बदले का दिन कब है? info

3. अर्थात उपहास स्वरूप पूछते हैं।

التفاسير:

external-link copy
13 : 51

یَوْمَ هُمْ عَلَی النَّارِ یُفْتَنُوْنَ ۟

जिस दिन वे आग पर तपाए जाएँगे। info
التفاسير:

external-link copy
14 : 51

ذُوْقُوْا فِتْنَتَكُمْ ؕ— هٰذَا الَّذِیْ كُنْتُمْ بِهٖ تَسْتَعْجِلُوْنَ ۟

अपने फ़ितने (यातना) का मज़ा चखो, यही है जिसके लिए तुम जल्दी मचा रहे थे। info
التفاسير:

external-link copy
15 : 51

اِنَّ الْمُتَّقِیْنَ فِیْ جَنّٰتٍ وَّعُیُوْنٍ ۟ۙ

निःसंदेह परहेज़गार लोग बाग़ों और जल स्रोतों में होंगे। info
التفاسير:

external-link copy
16 : 51

اٰخِذِیْنَ مَاۤ اٰتٰىهُمْ رَبُّهُمْ ؕ— اِنَّهُمْ كَانُوْا قَبْلَ ذٰلِكَ مُحْسِنِیْنَ ۟ؕ

जो कुछ उनका रब उन्हें देगा, उसे वे लेने वाले होंगे। निश्चय ही वे इससे पहले नेकी करने वाले थे। info
التفاسير:

external-link copy
17 : 51

كَانُوْا قَلِیْلًا مِّنَ الَّیْلِ مَا یَهْجَعُوْنَ ۟

वे रात के बहुत थोड़े भाग में सोते थे।[4] info

4. अर्थात अपना अधिक समय अल्लाह के स्मरण में लगाते थे। जैसे तहज्जुद की नमाज़ और तस्बीह़ आदि।

التفاسير:

external-link copy
18 : 51

وَبِالْاَسْحَارِ هُمْ یَسْتَغْفِرُوْنَ ۟

तथा रात्रि की अंतिम घड़ियों[5] में वे क्षमा याचना करते थे। info

5. ह़दीस में है कि अल्लाह प्रत्येक रात में जब तिहाई रात रह जाए, तो संसार के आकाश की ओर उतरता है। और कहता है : है कोई जो मुझे पुकारे, तो मैं उसकी पुकार सुनूँ? है कोई जो माँगे, तो मैं उसे दूँ? है कोई जो मुझ से क्षमा माँगे, तो मैं उसे क्षमा कर दूँ? ( बुख़ारी : 1145, मुस्लिम : 758)

التفاسير:

external-link copy
19 : 51

وَفِیْۤ اَمْوَالِهِمْ حَقٌّ لِّلسَّآىِٕلِ وَالْمَحْرُوْمِ ۟

और उनके धनों में माँगने वाले तथा वंचित[6] के लिए एक हक़ (हिस्सा) था। info

6. अर्थात जो निर्धन होते हुए भी नहीं माँगता था, इसलिए उसे नहीं मिलता था।

التفاسير:

external-link copy
20 : 51

وَفِی الْاَرْضِ اٰیٰتٌ لِّلْمُوْقِنِیْنَ ۟ۙ

तथा धरती में विश्वास करने वालों के लिए बहुत-सी निशानियाँ हैं। info
التفاسير:

external-link copy
21 : 51

وَفِیْۤ اَنْفُسِكُمْ ؕ— اَفَلَا تُبْصِرُوْنَ ۟

तथा स्वयं तुम्हारे भीतर (भी)। तो क्या तुम नहीं देखते? info
التفاسير:

external-link copy
22 : 51

وَفِی السَّمَآءِ رِزْقُكُمْ وَمَا تُوْعَدُوْنَ ۟

और आकाश ही में तुम्हारी रोज़ी[7] है तथा वह भी जिसका तुमसे वादा किया जा रहा है। info

7. अर्थात आकाश की वर्षा तुम्हारी जीविका का साधन बनती है। तथा स्वर्ग आकाश में है।

التفاسير:

external-link copy
23 : 51

فَوَرَبِّ السَّمَآءِ وَالْاَرْضِ اِنَّهٗ لَحَقٌّ مِّثْلَ مَاۤ اَنَّكُمْ تَنْطِقُوْنَ ۟۠

सो क़सम है आकाश एवं धरती के पालनहार की! निःसंदेह यह बात निश्चित रूप से सत्य है, इस बात की तरह कि निःसंदेह तुम बोलते हो।[8] info

8. अर्थात अपने बोलने का विश्वास है।

التفاسير:

external-link copy
24 : 51

هَلْ اَتٰىكَ حَدِیْثُ ضَیْفِ اِبْرٰهِیْمَ الْمُكْرَمِیْنَ ۟ۘ

क्या आपके पास इबराहीम के सम्मानित अतिथियों की सूचना आई है? info
التفاسير:

external-link copy
25 : 51

اِذْ دَخَلُوْا عَلَیْهِ فَقَالُوْا سَلٰمًا ؕ— قَالَ سَلٰمٌ ۚ— قَوْمٌ مُّنْكَرُوْنَ ۟

जब वे उसके पास आए, तो उन्होंने सलाम कहा। उसने कहा : सलाम हो। कुछ अपरिचित लोग हैं। info
التفاسير:

external-link copy
26 : 51

فَرَاغَ اِلٰۤی اَهْلِهٖ فَجَآءَ بِعِجْلٍ سَمِیْنٍ ۟ۙ

फिर वह चुपके से अपने घरवालों के पास गया। फिर एक मोटा-ताज़ा (भुना हुआ) बछड़ा ले आया। info
التفاسير:

external-link copy
27 : 51

فَقَرَّبَهٗۤ اِلَیْهِمْ قَالَ اَلَا تَاْكُلُوْنَ ۟ؗ

फिर उसे उनके सामने रख दिया। कहा : क्या तुम नहीं खाते? info
التفاسير:

external-link copy
28 : 51

فَاَوْجَسَ مِنْهُمْ خِیْفَةً ؕ— قَالُوْا لَا تَخَفْ ؕ— وَبَشَّرُوْهُ بِغُلٰمٍ عَلِیْمٍ ۟

तो उसने उनसे दिल में डर महसूस किया। उन्होंने कहा : डरो नहीं। और उन्होंने उसे एक बहुत ही ज्ञानी पुत्र की शुभ-सूचना दी। info
التفاسير:

external-link copy
29 : 51

فَاَقْبَلَتِ امْرَاَتُهٗ فِیْ صَرَّةٍ فَصَكَّتْ وَجْهَهَا وَقَالَتْ عَجُوْزٌ عَقِیْمٌ ۟

यह सुनकर उसकी पत्नी चिल्लाती हुई आगे आई, तो उसने अपना चेहरा पीट लिया और बोली : बूढ़ी बाँझ! info
التفاسير:

external-link copy
30 : 51

قَالُوْا كَذٰلِكِ ۙ— قَالَ رَبُّكِ ؕ— اِنَّهٗ هُوَ الْحَكِیْمُ الْعَلِیْمُ ۟

उन्होंने कहा : तेरे पालनहार ने ऐसे ही फरमाया है। निश्चय वही पूर्ण हिकमत वाला, अत्यंत ज्ञानी है। info
التفاسير: