Terjemahan makna Alquran Alkarim - Terjemahan Al-Mukhtaṣar fī Tafsīr Al-Qur`ān Al-Karīm ke bahasa Hindi

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51 : 56

ثُمَّ اِنَّكُمْ اَیُّهَا الضَّآلُّوْنَ الْمُكَذِّبُوْنَ ۟ۙ

51-52 - फिर निःसंदेह (ऐ मरणोपरांत पुनः जीवित किए जाने का इनकार करने वालो! सीधे मार्ग से भटके हुए लोगो!) तुम निश्चय क़ियामत के दिन ज़क़्क़ूम (थूहड़) के वृक्ष का फल खाने वाले हो, जो कि सबसे बुरा और सबसे गंदा फल है। info
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52 : 56

لَاٰكِلُوْنَ مِنْ شَجَرٍ مِّنْ زَقُّوْمٍ ۟ۙ

51-52 - फिर निःसंदेह (ऐ मरणोपरांत पुनः जीवित किए जाने का इनकार करने वालो! सीधे मार्ग से भटके हुए लोगो!) तुम निश्चय क़ियामत के दिन ज़क़्क़ूम (थूहड़) के वृक्ष का फल खाने वाले हो, जो कि सबसे बुरा और सबसे गंदा फल है। info
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53 : 56

فَمَالِـُٔوْنَ مِنْهَا الْبُطُوْنَ ۟ۚ

फिर उस कड़वे पेड़ (के फल) से अपने खाली पेट भरने वाले हो। info
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54 : 56

فَشٰرِبُوْنَ عَلَیْهِ مِنَ الْحَمِیْمِ ۟ۚ

फिर उसपर अत्यधिक गर्म (खौलता हुआ) पानी पीने वाले हो। info
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55 : 56

فَشٰرِبُوْنَ شُرْبَ الْهِیْمِ ۟ؕ

फिर उसे बहुत ज़्यादा पीने वाले हो, जिस तरह न बुझने वाले प्यास के रोग से पीड़ित ऊँट पीता चला जाता है। info
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56 : 56

هٰذَا نُزُلُهُمْ یَوْمَ الدِّیْنِ ۟ؕ

यह उल्लेख किया गया कड़वा भोजन और गर्म पानी उनका आतिथ्य है, जिसके साथ बदले के दिन उनका स्वागत किया जाएगा। info
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57 : 56

نَحْنُ خَلَقْنٰكُمْ فَلَوْلَا تُصَدِّقُوْنَ ۟

हम ही ने (ऐ झुठलाने वालो!) तुम्हें पैदा किया, जबकि तुम कुछ नहीं थे। फिर तुम क्यों सच नहीं मानते कि हम तुम्हारी मृत्यु के बाद तुम्हें दोबारा जीवित करके उठाएँगे?! info
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58 : 56

اَفَرَءَیْتُمْ مَّا تُمْنُوْنَ ۟ؕ

तो क्या (ऐ लोगो!) तुमने उस वीर्य पर विचार किया, जो तुम अपनी स्त्रियों के गर्भाशयों में टपकाते हो?! info
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59 : 56

ءَاَنْتُمْ تَخْلُقُوْنَهٗۤ اَمْ نَحْنُ الْخٰلِقُوْنَ ۟

क्या तुम उस वीर्य को पैदा करते हो या हम ही उसे पैदा करते हैं?! info
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60 : 56

نَحْنُ قَدَّرْنَا بَیْنَكُمُ الْمَوْتَ وَمَا نَحْنُ بِمَسْبُوْقِیْنَ ۟ۙ

हम ही ने तुम्हारे बीच मृत्यु का समय निश्चित किया है। चुनाँचे तुममें से प्रत्येक व्यक्ति का एक निर्धारित समय है, जिससे वह न आगे बढ़ सकता है और न ही देर कर सकता है। और हम असमर्थ नहीं हैं। info
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61 : 56

عَلٰۤی اَنْ نُّبَدِّلَ اَمْثَالَكُمْ وَنُنْشِئَكُمْ فِیْ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ۟

कि हम तुम्हारी वर्तमान रचना और रूप को, जिसे तुम जानते हो, बदल दें और तुम्हें ऐसी रचना और रूप में पैदा कर दें, जिसे तुम नहीं जानते। info
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62 : 56

وَلَقَدْ عَلِمْتُمُ النَّشْاَةَ الْاُوْلٰی فَلَوْلَا تَذَكَّرُوْنَ ۟

निश्चय तुम तो यह जान चुके हो कि हमने तुम्हें पहली बार कैसे पैदा किया, फिर तुम विचार क्यों नहीं करते और जानते कि जिसने तुम्हें पहली बार पैदा किया है, वह तुम्हारी मृत्यु के बाद तुम्हें पुनर्जीवित करने में सक्षम है?! info
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63 : 56

اَفَرَءَیْتُمْ مَّا تَحْرُثُوْنَ ۟ؕ

फिर क्या तुमने उस बीज पर विचार किया जो तुम धरती में डालते हो?! info
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64 : 56

ءَاَنْتُمْ تَزْرَعُوْنَهٗۤ اَمْ نَحْنُ الزّٰرِعُوْنَ ۟

क्या तुम उस बीज को उगाते हो, या हम ही हैं जो उसे उगाते हैं?! info
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65 : 56

لَوْ نَشَآءُ لَجَعَلْنٰهُ حُطَامًا فَظَلْتُمْ تَفَكَّهُوْنَ ۟

यदि हम उस खेती को चूर-चूर करना चाहें, तो उसके पकने और काटे जाने के निकट होने के बाद, अवश्य उसे चूर-चूर कर दें। फिर उसके बाद तुम उसे पहुँचने वाली आपदा पर आश्चर्य करते रह जाओ। info
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66 : 56

اِنَّا لَمُغْرَمُوْنَ ۟ۙ

तुम कहने लगो : हमने जो कुछ खर्च किया था, उसकी हानि के द्वारा हमें दंडित किया गया है। info
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67 : 56

بَلْ نَحْنُ مَحْرُوْمُوْنَ ۟

बल्कि हम रोज़ी से वंचित कर दिए गए हैं। info
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68 : 56

اَفَرَءَیْتُمُ الْمَآءَ الَّذِیْ تَشْرَبُوْنَ ۟ؕ

फिर क्या तुमने उस पानी पर विचार किया, जो तुम प्यास लगने पर पीते हो?! info
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69 : 56

ءَاَنْتُمْ اَنْزَلْتُمُوْهُ مِنَ الْمُزْنِ اَمْ نَحْنُ الْمُنْزِلُوْنَ ۟

क्या तुमने उसे आसमान में बादलों से उतारा है, या हम ही ने उसे उतारा है?! info
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70 : 56

لَوْ نَشَآءُ جَعَلْنٰهُ اُجَاجًا فَلَوْلَا تَشْكُرُوْنَ ۟

अगर हम उस पानी को अत्यंत खारा बनाना चाहें कि वह पीने या पानी देने के काम न आए, तो हम उसे अत्यंत खारा बना दें। फिर तुम अल्लाह का शुक्र अदा क्यों नहीं करते कि उसने तुमपर दया करते हुए मीठा पानी उतारा है?! info
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71 : 56

اَفَرَءَیْتُمُ النَّارَ الَّتِیْ تُوْرُوْنَ ۟ؕ

फिर क्या तुमने उस आग पर विचार किया जिसे तुम अपने फायदे के लिए जलाते हो?! info
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72 : 56

ءَاَنْتُمْ اَنْشَاْتُمْ شَجَرَتَهَاۤ اَمْ نَحْنُ الْمُنْشِـُٔوْنَ ۟

क्या तुमने उस पेड़ को पैदा किया है, जिससे आग जलाई जाती है, या हम ही ने उसे तुमपर दया के स्वरूप पैदा किया है?! info
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73 : 56

نَحْنُ جَعَلْنٰهَا تَذْكِرَةً وَّمَتَاعًا لِّلْمُقْوِیْنَ ۟ۚ

हमने इस आग को तुम्हारे लिए आख़िरत की आग की याद दिलाने के लिए एक अनुस्मारक बना दिया है, तथा हमने इसे तुम्हारे यात्रियों के लिए एक लाभ बना दिया है। info
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74 : 56

فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِیْمِ ۟

अतः (ऐ रसूल) आप अपने महान पालनहार को उन चीज़ों से पवित्र ठहराएँ , जो उसके योग्य नहीं हैं। info
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75 : 56

فَلَاۤ اُقْسِمُ بِمَوٰقِعِ النُّجُوْمِ ۟ۙ

अल्लाह ने सितारों के स्थानों और उनके गिरने की जगहों की क़सम खाई है। info
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76 : 56

وَاِنَّهٗ لَقَسَمٌ لَّوْ تَعْلَمُوْنَ عَظِیْمٌ ۟ۙ

और निःसंदेह इन स्थानों की क़सम खाना (यदि तुम उसकी महानता जानते हो) बहुत बड़ी बात है; क्योंकि इनके अंदर अनगिनत निशानियाँ और पाठ मौजूद हैं। info
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Beberapa Faedah Ayat-ayat di Halaman Ini:
• دلالة الخلق الأول على سهولة البعث ظاهرة.
• दोबारा जीवित करके उठाने के आसान होने पर पहली बार पैदा करने का संकेत स्पष्ट है। info

• إنزال الماء وإنبات الأرض والنار التي ينتفع بها الناس نعم تقتضي من الناس شكرها لله، فالله قادر على سلبها متى شاء.
• बारिश बरसाना, धरती पर पौधे उगाना और आग जिससे लोग लाभ उठाते हैं, ऐसी नेमतें हैं, जो लोगों से यह अपेक्षा करती हैं कि वे उनपर अल्लाह का शुक्र अदा करें; क्योंकि अल्लाह जब चाहे उन्हें छीन लेने में सक्षम है। info

• الاعتقاد بأن للكواكب أثرًا في نزول المطر كُفْرٌ، وهو من عادات الجاهلية.
• यह मानना कि ग्रहों का बारिश के उतरने में कोई प्रभाव है, कुफ़्र है। और यह जाहिलिय्यत (पूर्व-इस्लामी युग) के रीति-रिवाजों में से एक है। info