क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - हिंदी अनुवाद - अज़ीज़ुल हक़ उमरी

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109 : 5

یَوْمَ یَجْمَعُ اللّٰهُ الرُّسُلَ فَیَقُوْلُ مَاذَاۤ اُجِبْتُمْ ؕ— قَالُوْا لَا عِلْمَ لَنَا ؕ— اِنَّكَ اَنْتَ عَلَّامُ الْغُیُوْبِ ۟

जिस दिन अल्लाह रसूलों को एकत्र करेगा, फिर कहेगा : तुम्हें क्या उत्तर दिया गया? वे कहेंगे : हमें कोई ज्ञान नहीं।[74] निःसंदेह तू ही छिपी बातों को ख़ूब जानने वाला है। info

74. अर्थात हम नहीं जानते कि उनके मन में क्या था, और हमारे बाद उनका कर्म क्या रहा?

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110 : 5

اِذْ قَالَ اللّٰهُ یٰعِیْسَی ابْنَ مَرْیَمَ اذْكُرْ نِعْمَتِیْ عَلَیْكَ وَعَلٰی وَالِدَتِكَ ۘ— اِذْ اَیَّدْتُّكَ بِرُوْحِ الْقُدُسِ ۫— تُكَلِّمُ النَّاسَ فِی الْمَهْدِ وَكَهْلًا ۚ— وَاِذْ عَلَّمْتُكَ الْكِتٰبَ وَالْحِكْمَةَ وَالتَّوْرٰىةَ وَالْاِنْجِیْلَ ۚ— وَاِذْ تَخْلُقُ مِنَ الطِّیْنِ كَهَیْـَٔةِ الطَّیْرِ بِاِذْنِیْ فَتَنْفُخُ فِیْهَا فَتَكُوْنُ طَیْرًا بِاِذْنِیْ وَتُبْرِئُ الْاَكْمَهَ وَالْاَبْرَصَ بِاِذْنِیْ ۚ— وَاِذْ تُخْرِجُ الْمَوْتٰی بِاِذْنِیْ ۚ— وَاِذْ كَفَفْتُ بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ عَنْكَ اِذْ جِئْتَهُمْ بِالْبَیِّنٰتِ فَقَالَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْهُمْ اِنْ هٰذَاۤ اِلَّا سِحْرٌ مُّبِیْنٌ ۟

(तथा याद करो) जब अल्लाह कहेगा : ऐ मरयम के पुत्र ईसा! अपने ऊपर तथा अपनी माता के ऊपर मेरा अनुग्रह याद कर, जब मैंने पवित्रात्मा (जिबरील) द्वारा तेरी सहायता की। तू गोद (पालने) में तथा अधेड़ आयु में लोगों से बातें करता था। तथा जब मैंने तुझे किताब और हिकमत तथा तौरात और इंजील की शिक्षा दी। और जब तू मेरी अनुमति से मिट्टी से पक्षी की आकृति की तरह (रूप) बनाता था, फिर तू उसमें फूँक मारता तो वह मेरी अनुमति से पक्षी बन जाता था और तू जन्म से अंधे तथा कोढ़ी को मेरी अनुमति से स्वस्थ कर देता था और जब तू मुर्दों को मेरी अनुमति से निकाल (जीवित) खड़ा करता था। और जब मैंने बनी इसराईल को तुझसे रोका, जब तू उनके पास खुली निशानियाँ लेकर आया, तो उनमें से कुफ़्र करने वालों ने कहा : यह तो स्पष्ट जादू के सिवा कुछ नहीं। info
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111 : 5

وَاِذْ اَوْحَیْتُ اِلَی الْحَوَارِیّٖنَ اَنْ اٰمِنُوْا بِیْ وَبِرَسُوْلِیْ ۚ— قَالُوْۤا اٰمَنَّا وَاشْهَدْ بِاَنَّنَا مُسْلِمُوْنَ ۟

तथा (याद कर) जब मैंने हवारियों के दिलों में यह बात डाल दी कि मुझपर तथा मेरे रसूल (ईसा) पर ईमान लाओ। उन्होंने कहा : हम ईमान लाए और तू गवाह रह कि हम आज्ञाकारी हैं। info
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112 : 5

اِذْ قَالَ الْحَوَارِیُّوْنَ یٰعِیْسَی ابْنَ مَرْیَمَ هَلْ یَسْتَطِیْعُ رَبُّكَ اَنْ یُّنَزِّلَ عَلَیْنَا مَآىِٕدَةً مِّنَ السَّمَآءِ ؕ— قَالَ اتَّقُوا اللّٰهَ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟

जब हवारियों ने कहा : ऐ मरयम के पुत्र ईसा! क्या तेरा पालनहार यह कर सकता है कि हमपर आकाश से एक थाल (भोजन सहित दस्तर-ख़्वान) उतार दे? उस (ईसा) ने कहा : अल्लाह से डरो, यदि तुम ईमान वाले हो। info
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113 : 5

قَالُوْا نُرِیْدُ اَنْ نَّاْكُلَ مِنْهَا وَتَطْمَىِٕنَّ قُلُوْبُنَا وَنَعْلَمَ اَنْ قَدْ صَدَقْتَنَا وَنَكُوْنَ عَلَیْهَا مِنَ الشّٰهِدِیْنَ ۟

उन्होंने कहा : हम चाहते हैं कि उसमें से खाएँ और हमारे दिलों को संतोष हो जाए तथा हम जान लें कि निश्चय तूने हमसे सच कहा है और हम उसपर गवाहों में से हो जाएँ। info
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