क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - पवित्र क़ुरआन की संक्षिप्त व्याख्या का हिंदी अनुवाद।

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84 : 5

وَمَا لَنَا لَا نُؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَمَا جَآءَنَا مِنَ الْحَقِّ ۙ— وَنَطْمَعُ اَنْ یُّدْخِلَنَا رَبُّنَا مَعَ الْقَوْمِ الصّٰلِحِیْنَ ۟

वह कौन-सा कारण है जो हमें अल्लाह पर तथा उस सत्य पर ईमान लाने से रोकता है, जो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लेकर आए हैं?! हालाँकि हम नबियों तथा उनके अनुयायियों के साथ जन्नत में प्रवेश करने की आशा करते हैं, जो अल्लाह के आज्ञाकारी हैं और उसकी सज़ा से डरने वाले हैं। info
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85 : 5

فَاَثَابَهُمُ اللّٰهُ بِمَا قَالُوْا جَنّٰتٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِیْنَ فِیْهَا ؕ— وَذٰلِكَ جَزَآءُ الْمُحْسِنِیْنَ ۟

इसलिए अल्लाह ने उनके ईमान लाने तथा सत्य को मानने के बदले में उन्हें ऐसे बाग़ प्रदान किए, जिनके महलों तथा पेड़ों के नीचे से नहरें बहती हैं, जिनमें वे सदा सर्वदा के लिए रहेंगे। तथा यही उत्तमता के साथ सत्य का पालन करने और बिना शर्त के उसके अधीन होने वालों का प्रतिफल है। info
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86 : 5

وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَاۤ اُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَحِیْمِ ۟۠

जिन लोगों ने अल्लाह और उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया, तथा अल्लाह की उन आयतों को झुठलाया, जो उसने अपने रसूल पर उतारी थीं, वही लोग सदैव धधकती आग में रहने वाले हैं, वे कभी भी उससे बाहर नहीं निकलेंगे। info
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87 : 5

یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا تُحَرِّمُوْا طَیِّبٰتِ مَاۤ اَحَلَّ اللّٰهُ لَكُمْ وَلَا تَعْتَدُوْا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یُحِبُّ الْمُعْتَدِیْنَ ۟

ऐ ईमान वालो! खाने, पीने और महिलाओं में से आनंददायक वैध चीज़ों को हराम न ठहराओ, उन्हें ज़ुह्द (दुनिया से अरूचि) या उपासना के रूप में निषिद्ध मत करो, तथा उसकी सीमा से आगे न बढ़ो, जो अल्लाह ने तुमपर हराम किया है। निःसंदेह अल्लाह उन लोगों से प्यार नहीं करता, जो उसकी सीमाओं का उल्लंघन करते हैं, बल्कि वह उनसे नफ़रत करता है। info
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88 : 5

وَكُلُوْا مِمَّا رَزَقَكُمُ اللّٰهُ حَلٰلًا طَیِّبًا ۪— وَّاتَّقُوا اللّٰهَ الَّذِیْۤ اَنْتُمْ بِهٖ مُؤْمِنُوْنَ ۟

अल्लाह अपनी जीविका में से जो कुछ तुम्हें प्रदान करता है, उसमें से इस हाल में खाओ कि वह हलाल और पवित्र (अच्छी) हो, उस समय नहीं अगर वह हराम हो जैसे कि बलपूर्वक ली गई या गंदी चीज़। तथा अल्लाह से, उसकी आज्ञाओं का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर, डरो। क्योंकि अल्लाह वही है जिसपर तुम ईमान रखते हो और तुम्हारा उसपर ईमान रखना तुम्हारे लिए यह आवश्यक कर देता है कि तुम उससे डरो। info
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89 : 5

لَا یُؤَاخِذُكُمُ اللّٰهُ بِاللَّغْوِ فِیْۤ اَیْمَانِكُمْ وَلٰكِنْ یُّؤَاخِذُكُمْ بِمَا عَقَّدْتُّمُ الْاَیْمَانَ ۚ— فَكَفَّارَتُهٗۤ اِطْعَامُ عَشَرَةِ مَسٰكِیْنَ مِنْ اَوْسَطِ مَا تُطْعِمُوْنَ اَهْلِیْكُمْ اَوْ كِسْوَتُهُمْ اَوْ تَحْرِیْرُ رَقَبَةٍ ؕ— فَمَنْ لَّمْ یَجِدْ فَصِیَامُ ثَلٰثَةِ اَیَّامٍ ؕ— ذٰلِكَ كَفَّارَةُ اَیْمَانِكُمْ اِذَا حَلَفْتُمْ ؕ— وَاحْفَظُوْۤا اَیْمَانَكُمْ ؕ— كَذٰلِكَ یُبَیِّنُ اللّٰهُ لَكُمْ اٰیٰتِهٖ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ۟

ऐ मोमिनो! अल्लाह तुमसे उन क़समों का कोई हिसाब नहीं लेगा, जो तुम्हारी ज़बानों पर बिना इरादे के आ जाती हैं। वह केवल तुमसे उस क़सम का हिसाब लेगा, जिसका तुमने दृढ़ निश्चय किया और अपने दिल से उसका पक्का इरादा किया और फिर उसे तोड़ दिया। जब तुम ऐसी क़सम को तोड़ दो, जिसका तुमने दृढ़ निश्चय किया था, तो तीन चीज़ों में से किसी एक चीज़ का करना तुमसे उसके पाप को मिटा देगा : अपने शहर के औसत भोजन से दस ग़रीबों को प्रत्येक ग़रीब के लिए आधा सा' के हिसाब से खाना खिलाना, या उन्हें ऐसे कपड़े पहनाना जो प्रथागत कपड़ा माना जाता है, अथवा एक मोमिन दास मुक्त करना। यदि अपनी क़सम का प्रायश्चित करने वाला इन तीनों चीज़ों में से कोई एक भी न पाए, तो वह अपनी क़सम का प्रायश्चित तीन दिन के रोज़े रखकर करेगा। (ऐ मोमिनो!) यह जिसका उल्लेख किया गया है, तुम्हारी क़समों का प्रायश्चित है - जब तुम अल्लाह की क़सम खा लो और उसे तोड़ दो। तथा अपनी क़समों की हिफ़ाज़त करते हुए अल्लाह की झूठी क़सम खाने से, तथा अल्लाह की बहुत अधिक क़सम खाने से और क़सम को न पूरी करने से बचो, सिवाय इसके कि क़सम पूरी न करना बेहतर हो। तो ऐसी स्थिति में जो कर्म अच्छा हो उसे करो तथा अपनी क़समों का प्रायश्चित करो। जिस प्रकार अल्लाह ने तुम्हारे लिए क़सम का कफ़्फ़ारा वर्णन किया है, उसी तरह वह तुम्हारे लिए हलाल व हराम को स्पष्ट करने वाले प्रावधानों को स्पष्ट करता है, ताकि तुम अल्लाह के आभारी बनो कि उसने तुम्हें उन चीज़ों का ज्ञान प्रदान किया है, जो तुम नहीं जानते थे। info
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90 : 5

یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِنَّمَا الْخَمْرُ وَالْمَیْسِرُ وَالْاَنْصَابُ وَالْاَزْلَامُ رِجْسٌ مِّنْ عَمَلِ الشَّیْطٰنِ فَاجْتَنِبُوْهُ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ۟

ऐ ईमान वालो! नशा पैदा करने वाली चीज़ जिससे चेतना शून्य हो जाए, जुआ जिसमें दोनों पक्षों की ओर से धन लगा हो, वह पत्थर जिसके पास मुश्रिक लोग उसके सम्मान में जानवर ज़बह करते हैं अथवा जिसे उसकी पूजा करने के लिए लगाते हैं, और पाँसे के तीर जिनके द्वारा वे अपना अनदेखा भाग्य जानने की कोशिश करते थे, ये सब शैतान द्वारा शोभित किए गए पाप के काम हैं। अतः इनसे दूर रहो, ताकि तुम्हें दुनिया में अच्छा जीवन तथा आख़िरत में जन्नत का आनंद प्राप्त हो। info
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इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• الأمر بتوخي الطيب من الأرزاق وترك الخبيث.
• अच्छी जीविका तलाशने तथा बुरी जीविका त्यागने का आदेश। info

• عدم المؤاخذة على الحلف عن غير عزم للقلب، والمؤاخذة على ما كان عن عزم القلب ليفعلنّ أو لا يفعلنّ.
• दिल के संकल्प के बिना क़सम खाने पर पकड़ न करना, तथा उस क़सम पर पकड़ करना जो दिल के संकल्प से हो कि वह ऐसा अवश्य करेगा या नहीं करेगा। info

• بيان أن كفارة اليمين: إطعام عشرة مساكين، أو كسوتهم، أو عتق رقبة مؤمنة، فإذا لم يستطع المكفِّر عن يمينه الإتيان بواحد من الأمور السابقة، فليكفِّر عن يمينه بصيام ثلاثة أيام.
• इस बात का वर्णन कि क़सम का प्रायश्चित : दस निर्धनों को भोजन कराना, या उन्हें कपड़े पहनाना, या एक मोमिन दास मुक्त करना है। यदि अपनी क़सम का प्रायश्चित करने वाला उक्त चीज़ों में से कोई एक भी चीज़ न कर सके, तो वह तीन दिन के रोज़े रखकर अपनी क़सम का प्रायश्चित करे। info

• قوله تعالى: ﴿... إنَّمَا الْخَمْرُ ...﴾ هي آخر آية نزلت في الخمر، وهي نص في تحريمه.
• अल्लाह का कथन : ﴾...إنَّمَا الْخَمْرُ ...﴿ शराब के संबंध में उतरने वाली अंतिम आयत है, तथा यह शराब को स्पष्ट रूप से निषिद्ध ठहराती है। info