કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - હિન્દી ભાષામાં અલ્ મુખતસર ફી તફસીરિલ્ કુરઆનીલ્ કરીમ કિતાબનું અનુવાદ

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67 : 17

وَاِذَا مَسَّكُمُ الضُّرُّ فِی الْبَحْرِ ضَلَّ مَنْ تَدْعُوْنَ اِلَّاۤ اِیَّاهُ ۚ— فَلَمَّا نَجّٰىكُمْ اِلَی الْبَرِّ اَعْرَضْتُمْ ؕ— وَكَانَ الْاِنْسَانُ كَفُوْرًا ۟

और जब (ऐ मुश्रिको!) तुमपर समुद्र में कोई मुसीबत और परेशानी आती है, यहाँ तक कि तुम्हें अपनी जान का ख़तरा महसूस होता है, तो उस समय अल्लाह के सिवा जिनकी तुम पूजा करते थे, वे सब तुम्हारे दिमाग़ से निकल जाते हैं और तुम्हें अल्लाह के सिवा कोई याद नहीं आता। चुनाँचे तुम उसी से मदद माँगते हो। फिर जब वह तुम्हारी मदद करता है और तुम्हें मुसीबत से बचा लेता है और तुम थल में आ जाते हो, तो तुम उसको एकमात्र पूज्य मानने और अकेले उसी को पुकारने से मुँह फेर लेते हो और अपने बुतों की ओर लौट जाते हो। वास्तव में, मनुष्य अल्लाह की नेमतों का बहुत ज़्यादा इनकार करने वाला है। info
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68 : 17

اَفَاَمِنْتُمْ اَنْ یَّخْسِفَ بِكُمْ جَانِبَ الْبَرِّ اَوْ یُرْسِلَ عَلَیْكُمْ حَاصِبًا ثُمَّ لَا تَجِدُوْا لَكُمْ وَكِیْلًا ۟ۙ

(ऐ मुश्रिको) क्या तुम इस बात से निश्चिंत हो गए हो कि जब उसने तुम्हें बचाकर थल तक पहुँचा दिया, तो तुम्हें वहीं धरती में धँसा दे? या तुम इस बात से निश्चिंत हो गए हो कि तुमपर उसी तरह आकाश से पत्थरों की बारिश कर दे, जिस तरह लूत की जाति के साथ किया था। फिर तुम्हें कोई रक्षक न मिले, जो तुम्हारी रक्षा कर सके और न कोई सहायक मिले, जो तुम्हें विनाश से बचा सके। info
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69 : 17

اَمْ اَمِنْتُمْ اَنْ یُّعِیْدَكُمْ فِیْهِ تَارَةً اُخْرٰی فَیُرْسِلَ عَلَیْكُمْ قَاصِفًا مِّنَ الرِّیْحِ فَیُغْرِقَكُمْ بِمَا كَفَرْتُمْ ۙ— ثُمَّ لَا تَجِدُوْا لَكُمْ عَلَیْنَا بِهٖ تَبِیْعًا ۟

या तुम इस बात से निश्चिंत हो गए हो कि वह तुम्हें फिर से समुद्र में वापस ले आए, फिर तुमपर प्रचंड हवा भेजकर तुम्हें डुबो दे, क्योंकि तुमने अल्लाह की उस नेमत की नाशुक्री की, जो उसने तुम्हें पहली बार मुक्ति प्रदान की थी। फिर तुम्हें ऐसा कोई न मिले, जो तुम्हारा समर्थन करते हुए हमसे उसके बारे में कुछ माँग करे जो हमने तुम्हारे साथ किया। info
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70 : 17

وَلَقَدْ كَرَّمْنَا بَنِیْۤ اٰدَمَ وَحَمَلْنٰهُمْ فِی الْبَرِّ وَالْبَحْرِ وَرَزَقْنٰهُمْ مِّنَ الطَّیِّبٰتِ وَفَضَّلْنٰهُمْ عَلٰی كَثِیْرٍ مِّمَّنْ خَلَقْنَا تَفْضِیْلًا ۟۠

और हमने आदम की संतान को विवेक प्रदान करके, फरिश्तों से उनके पिता को सजदा करवाकर तथा अन्य चीज़ों के द्वारा सम्मान प्रदान किया है। तथा हमने थल में उन चीज़ों को उनके अधीन कर दिए, जो उनकी सवारी के काम आती हैं, जैसे चौपाए और वाहनें, तथा जो समुद्र में उनकी सवारी के काम आती हैं, जैसे कश्तियाँ और जहाज़ें आदि। तथा हमने उन्हें खाने और पीने की अच्छी-पाक चीज़ें और स्त्रियाँ इत्यादि प्रदान कीं और हमने उन्हें अपने पैदा किए हुए बहुत-से प्राणियों पर बड़ी श्रेष्ठता प्रदान की। अतः उन्हें चाहिए कि वे अपने ऊपर अल्लाह की नेमतों का शुक्रिया अदा करें। info
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71 : 17

یَوْمَ نَدْعُوْا كُلَّ اُنَاسٍ بِاِمَامِهِمْ ۚ— فَمَنْ اُوْتِیَ كِتٰبَهٗ بِیَمِیْنِهٖ فَاُولٰٓىِٕكَ یَقْرَءُوْنَ كِتٰبَهُمْ وَلَا یُظْلَمُوْنَ فَتِیْلًا ۟

(ऐ रसूल) याद कीजिए, जिस दिन हम प्रत्येक समूह को उसके उस इमाम के साथ बुलाएँगे, जिसके पीछे वे दुनिया में चलते थे। फिर जिसे उसका कर्मपत्र उसके दाहिने हाथ में दिया गया, तो ऐसे लोग अपना कर्मपत्र ख़ुशी से पढ़ेंगे और उनके बदले में कुछ भी कमी नहीं की जाएगी, चाहे वह खजूर की गुठली के बीच पाए जाने वाले धागे जितना छोटा क्यों न हो। info
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72 : 17

وَمَنْ كَانَ فِیْ هٰذِهٖۤ اَعْمٰی فَهُوَ فِی الْاٰخِرَةِ اَعْمٰی وَاَضَلُّ سَبِیْلًا ۟

जो कोई भी इस सांसारिक जीवन में सत्य को स्वीकार करने और उसका पालन करने से दिल का अंधा बना रहा, तो क़ियामत के दिन वह अधिक अंधा हो जाएगा। इसलिए उसे जन्नत का रास्ता सुझाई नहीं देगा और वह मार्गदर्शन के पथ से अधिक भटका हुआ होगा। और जैसा कार्य होता है, उसी प्रकार बदला मिलता है। info
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73 : 17

وَاِنْ كَادُوْا لَیَفْتِنُوْنَكَ عَنِ الَّذِیْۤ اَوْحَیْنَاۤ اِلَیْكَ لِتَفْتَرِیَ عَلَیْنَا غَیْرَهٗ ۖۗ— وَاِذًا لَّاتَّخَذُوْكَ خَلِیْلًا ۟

और क़रीब था कि (ऐ रसूल) अनेकेश्वरवादी लोग आपको उससे फेर दें, जो हमने आपकी ओर क़ुरआन से वह़्य की है; ताकि आप उसके अलावा हमपर कुछ और गढ़ लें, जो उनकी इच्छाओं से मेल खाता हो। और यदि आप वह करते, जो वे चाहते थे, तो वे आपको अपना मित्र बना लेते। info
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74 : 17

وَلَوْلَاۤ اَنْ ثَبَّتْنٰكَ لَقَدْ كِدْتَّ تَرْكَنُ اِلَیْهِمْ شَیْـًٔا قَلِیْلًا ۟ۗۙ

और अगर हमने सत्य पर सुदृढृ करके आप पर उपकार न किया होता, तो निकट था कि आप उनकी ओर कुछ झुक जाते। फिर तो उन्होंने आपको जो सुझाव दिया था, उसमें आप उनसे सहमत हो जाते। क्योंकि उनका छल बहुत मज़बूत और उनकी चालबाज़ी बहुत गंभीर थी, जबकि आप उनके ईमान लाने के प्रति अत्यधिक उत्सुक थे। लेकिन हमने आपको उनकी ओर झुकने से बचा लिया। info
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75 : 17

اِذًا لَّاَذَقْنٰكَ ضِعْفَ الْحَیٰوةِ وَضِعْفَ الْمَمَاتِ ثُمَّ لَا تَجِدُ لَكَ عَلَیْنَا نَصِیْرًا ۟

और यदि आप उनके प्रस्तावों की ओर झुक जाते, तो हम आपको दुनिया के जीवन में तथा आखिरत में दुगुनी यातना से पीड़ित करते। फिर आपको कोई सहायक न मिलता, जो हमारे विरुद्ध आपकी सहायता करे और आपकी पीड़ा को दूर करे। info
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આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• الإنسان كفور للنعم إلا من هدى الله.
• इनसान अल्लाह की नेमतों के प्रति बहुत अकृतज्ञ है, सिवाय उसके जिसे अल्लाह रास्ता दिखा दे। info

• كل أمة تُدْعَى إلى دينها وكتابها، هل عملت به أو لا؟ والله لا يعذب أحدًا إلا بعد قيام الحجة عليه ومخالفته لها.
• हर समुदाय को उसके धर्म एवं पुस्तक की ओर बुलाया जाएगा कि क्या उसने उसके अनुसार कार्य किया या नहीं? और अल्लाह किसी को उस समय तक यातना नहीं देता, जब तक कि उसपर तर्क स्थापित न हो जाए और वह उसका उल्लंघन करे। info

• عداوة المجرمين والمكذبين للرسل وورثتهم ظاهرة بسبب الحق الذي يحملونه، وليس لذواتهم.
• रसूलों और उनके उत्तराधिकारियों से अपराधियों और झुठलाने वालों की शत्रुता उस सत्य के कारण स्पष्ट और प्रत्यक्ष है, जिसके वे वाहक होते हैं। उनसे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं होती। info

• الله تعالى عصم النبي من أسباب الشر ومن البشر، فثبته وهداه الصراط المستقيم، ولورثته مثل ذلك على حسب اتباعهم له.
• अल्लाह ने अपने नबी की, बुराई के कारणों से तथा मनुष्यों से रक्षा की। चुनाँचे आपको सुदृढ़ रखा और सीधा मार्ग दिखाया। तथा आपके उत्तराधिकारियों के साथ भी यही मामला उनके नबी का अनुसरण करने के हिसाब से होगा। info