Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - Eggo e haala Hindi wonande deftere Firo Alkur'aana raɓɓinaango.

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158 : 3

وَلَىِٕنْ مُّتُّمْ اَوْ قُتِلْتُمْ لَاۡاِلَی اللّٰهِ تُحْشَرُوْنَ ۟

यदि तुम मर जाओ चाहे किसी भी स्थिति में तुम्हारी मृत्यु हो, या तुम मार दिए जाओ; तो तुम सब अल्लाह ही की ओर लौटाए जाओगे; ताकि वह तुम्हें तुम्हारे कर्मों का बदला दे। info
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159 : 3

فَبِمَا رَحْمَةٍ مِّنَ اللّٰهِ لِنْتَ لَهُمْ ۚ— وَلَوْ كُنْتَ فَظًّا غَلِیْظَ الْقَلْبِ لَانْفَضُّوْا مِنْ حَوْلِكَ ۪— فَاعْفُ عَنْهُمْ وَاسْتَغْفِرْ لَهُمْ وَشَاوِرْهُمْ فِی الْاَمْرِ ۚ— فَاِذَا عَزَمْتَ فَتَوَكَّلْ عَلَی اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یُحِبُّ الْمُتَوَكِّلِیْنَ ۟

अल्लाह की महान दया के कारण - ऐ नबी - आपका व्यवहार अपने साथियों के साथ विनम्र था। यदि आप अपने कथन एवं कर्म में सख्त तथा कठोर दिल वाले होते, तो वे आपके पास से हट जाते। अतः आप अपने संबंध में उनकी कोताहियों को क्षमा करें और उनके लिए क्षमा की याचना करें। और जिन मामलों में परामर्श की आवश्यकता हो, उन मामलों में उनकी राय लें। फिर जब परामर्श के बाद किसी बात का पक्का इरादा कर लें, तो उसे कर गुजरें और अल्लाह पर भरोसा करें। निःसंदेह अल्लाह उन लोगों को पसंद करता है जो उसपर भरोसा करते हैं। चुनाँचे वह उन्हें तौफ़ीक प्रदान करता है और उनका समर्थन करता है। info
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160 : 3

اِنْ یَّنْصُرْكُمُ اللّٰهُ فَلَا غَالِبَ لَكُمْ ۚ— وَاِنْ یَّخْذُلْكُمْ فَمَنْ ذَا الَّذِیْ یَنْصُرُكُمْ مِّنْ بَعْدِهٖ ؕ— وَعَلَی اللّٰهِ فَلْیَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُوْنَ ۟

यदि अल्लाह अपनी सहायता और सहयोग से तुम्हारा समर्थन करे, तो कोई तुम्हें पराजित नहीं कर सकता, भले ही पृथ्वी के लोग तुम्हारे विरुद्ध इकट्ठे हो जाएँ। और यदि वह तुम्हारी सहायता छोड़ दे और तुम्हें स्वयं तुम्हारे हवाले कर दे, तो फिर उसके बाद कोई भी तुम्हारी सहायता नहीं कर सकता। अतः विजय केवल उसी (अल्लाह) के हाथ में है, और ईमान वालों को केवल अल्लाह ही पर भरोसा करना चाहिए, किसी और पर नहीं। info
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161 : 3

وَمَا كَانَ لِنَبِیٍّ اَنْ یَّغُلَّ ؕ— وَمَنْ یَّغْلُلْ یَاْتِ بِمَا غَلَّ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ ۚ— ثُمَّ تُوَفّٰی كُلُّ نَفْسٍ مَّا كَسَبَتْ وَهُمْ لَا یُظْلَمُوْنَ ۟

किसी नबी के लिए यह संभव नहीं है कि अल्लाह ने उसके लिए जो कुछ विशिष्ट कर दिया है उसके अलावा ग़नीमत के धन में से कुछ लेकर ख़यानत करे। और तुम में से जो कोई ग़नीमत के धन में से कुछ लेकर ख़यानत करेगा, उसे क़ियामत के दिन अपमानित करके दंडित किया जाएगा। चुनाँचे वह ख़यानत की हुई चीज़ को उठाए हुए सभी लोगों के सामने आएगा। फिर प्रत्येक प्राणी को उसके किए हुए का बिना कमी के पूरा-पूरा बदला दिया जाएगा। तथा उनके बुरे कर्मों को बढ़ाकर, या उनके अच्छे कामों को कम करके उनपर अत्याचार नहीं किया जाएगा। info
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162 : 3

اَفَمَنِ اتَّبَعَ رِضْوَانَ اللّٰهِ كَمَنْ بَآءَ بِسَخَطٍ مِّنَ اللّٰهِ وَمَاْوٰىهُ جَهَنَّمُ ؕ— وَبِئْسَ الْمَصِیْرُ ۟

जो व्यक्ति अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने वाली चीज़ों यानी ईमान और अच्छे कर्म का पालन करे, वह अल्लाह के निकट उस व्यक्ति के समान नहीं है, जिसने अल्लाह का इनकार किया और बुरे कार्य किए। जिसके कारण वह अल्लाह का सख्त क्रोध लेकर लौटा और उसका ठिकाना जहन्नम है। और यह बहुत बुरा ठिकाना है। info
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163 : 3

هُمْ دَرَجٰتٌ عِنْدَ اللّٰهِ ؕ— وَاللّٰهُ بَصِیْرٌ بِمَا یَعْمَلُوْنَ ۟

अल्लाह के निकट दुनिया और आखिरत में उनके स्थान अलग-अलग हैं। और वे जो कुछ करते हैं अल्लाह उसे देख रहा है। उससे कोई चीज़ छिपी नहीं है और वह हर एक को उसके कर्म का बदला देगा। info
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164 : 3

لَقَدْ مَنَّ اللّٰهُ عَلَی الْمُؤْمِنِیْنَ اِذْ بَعَثَ فِیْهِمْ رَسُوْلًا مِّنْ اَنْفُسِهِمْ یَتْلُوْا عَلَیْهِمْ اٰیٰتِهٖ وَیُزَكِّیْهِمْ وَیُعَلِّمُهُمُ الْكِتٰبَ وَالْحِكْمَةَ ۚ— وَاِنْ كَانُوْا مِنْ قَبْلُ لَفِیْ ضَلٰلٍ مُّبِیْنٍ ۟

वस्तुतः अल्लाह ने मोमिनों को अनुग्रह प्रदान किया और उन पर बड़ा उपकार किया है कि उनके अंदर उन्हीं में से एक रसूल भेजा, जो उन्हें क़ुरआन पढ़कर सुनाता है और उन्हें शिर्क (बहुदेववाद) और दुष्ट नैतिकता (दुराचार) से शुद्ध करता है, तथा उन्हें क़ुरआन और सुन्नत की शिक्षा देता है, हालाँकि वे इस रसूल के अवतरण से पूर्व संमार्ग से दूर खुली गुमराही में पड़े थे। info
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165 : 3

اَوَلَمَّاۤ اَصَابَتْكُمْ مُّصِیْبَةٌ قَدْ اَصَبْتُمْ مِّثْلَیْهَا ۙ— قُلْتُمْ اَنّٰی هٰذَا ؕ— قُلْ هُوَ مِنْ عِنْدِ اَنْفُسِكُمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟

क्या (ऐ ईमान वालो) जब तुम्हें उहुद के दिन पराजित होने के समय एक विपत्ति का सामना करना पड़ा और तुममें से कुछ लोग शहीद हो गए, जबकि तुमने बद्र के युद्ध में अपने शत्रुओं के इसके दोगुना लोगों को क़त्ल किया था और बंदी बनाया था, तो तुम कहने लगे : हमें यह विपत्ति कहाँ से पहुँच गई, जबकि हम ईमान वाले हैं और अल्लाह के नबी हमारे बीच उपस्थित हैं? (ऐ नबी) आप कह दीजिए : यह विपत्ति जो तुम्हें पहुँची है, वह तुम्हारे ही कारण से आई है जब तुमने आपस में विवाद किया और रसूल की अवज्ञा की। निःसंदेह अल्लाह हर चीज़ पर शक्तिमान है। अतः वह जिसकी चाहे सहायता करे और जिसे चाहे असहाय छोड़ दे। info
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Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• النصر الحقيقي من الله تعالى، فهو القوي الذي لا يحارب، والعزيز الذي لا يغالب.
• वास्तविक मदद (विजय) अल्लाह की ओर से होती है। चुनाँचे वही वह शक्तिशाली है जिससे लड़ा नहीं जा सकता और वह प्रभुत्वशाली है जिसे परास्त नहीं किया जा सकता। info

• لا تستوي في الدنيا حال من اتبع هدى الله وعمل به وحال من أعرض وكذب به، كما لا تستوي منازلهم في الآخرة.
• इस दुनिया में उस व्यक्ति की स्थिति जिसने अल्लाह के मार्गदर्शन का पालन किया और उसके अनुसार कार्य किया, तथा उस व्यक्ति की स्थिति जिसने मार्गदर्शन से मुँह मोड़ा और उसे झुठलाया, बराबर नहीं हो सकती। जिस तरह कि आख़िरत में उनके स्थान (पद) बराबर नहीं हो सकते। info

• ما ينزل بالعبد من البلاء والمحن هو بسبب ذنوبه، وقد يكون ابتلاء ورفع درجات، والله يعفو ويتجاوز عن كثير منها.
• बंदे पर जो विपत्ति और संकट आती है, वह उसके गुनाहों के कारण आती है। कभी-कभी यह परीक्षण के तौर पर और पदों को बुलंद करने के लिए होती है। जबकि अल्लाह बहुत-से गुनाहों को माफ़ और नज़रअंदाज़ कर देता है। info