ترجمهٔ معانی قرآن کریم - ترجمه‌ى هندى - عزیزالحق العمری

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127 : 9

وَاِذَا مَاۤ اُنْزِلَتْ سُوْرَةٌ نَّظَرَ بَعْضُهُمْ اِلٰی بَعْضٍ ؕ— هَلْ یَرٰىكُمْ مِّنْ اَحَدٍ ثُمَّ انْصَرَفُوْا ؕ— صَرَفَ اللّٰهُ قُلُوْبَهُمْ بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا یَفْقَهُوْنَ ۟

और जब भी कोई सूरत उतारी जाती है, तो उनमें से कुछ एक-दूसरे की तरफ देखते हैं कि क्या तुम्हें कोई देख रहा है? फिर वे वापस पलट जाते हैं। अल्लाह ने उनके दिलों को फेर दिया है, क्योंकि निःसंदेह वे ऐसे लोग हैं जो नहीं समझते। info
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