ترجمهٔ معانی قرآن کریم - ترجمه‌ى هندى کتاب مختصر در تفسير قرآن كريم

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115 : 9

وَمَا كَانَ اللّٰهُ لِیُضِلَّ قَوْمًا بَعْدَ اِذْ هَدٰىهُمْ حَتّٰی یُبَیِّنَ لَهُمْ مَّا یَتَّقُوْنَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ بِكُلِّ شَیْءٍ عَلِیْمٌ ۟

अल्लाह किसी जाति को मार्गदर्शन प्रदान करने के बाद उसके लिए पथभ्रष्टता का फ़ैसला नही करता, जब तक कि वह उनके लिए उन निषेधों को स्पष्ट नहीं कर देता जिनसे बचना अनिवार्य है। फिर यदि वे निषेध की व्याख्या करने के बाद उस कार्य को करें जो उनके लिए निषिद्ध ठहराया गया है, तो उनपर पथभ्रष्टता का फैसला कर देता है। निःसंदेह अल्लाह सब कुछ जानने वाला है, उससे कुछ भी छिपा नहीं है। और उसने तुम्हें वह सिखाया है जो तुम नहीं जानते थे। info
التفاسير:
از فواید آیات این صفحه:
• بطلان الاحتجاج على جواز الاستغفار للمشركين بفعل إبراهيم عليه السلام.
• इबराहीम अलैहिस्सलाम के कृत्य को मुश्रिकों के लिए क्षमायाचना के जायज़ होने का प्रमाण बनाना अमान्य है। info

• أن الذنوب والمعاصي هي سبب المصائب والخذلان وعدم التوفيق.
• पाप और अवज्ञा ही विपत्तियों, अल्लाह की मदद से वंचित होने और तौफ़ीक़ न मिलने के कारण हैं। info

• أن الله هو مالك الملك، وهو ولينا، ولا ولي ولا نصير لنا من دونه.
• अल्लाह ही समस्त राज्य का स्वामी है और वही हमारा संरक्षक है। उसके सिवा हमारा कोई संरक्षक और सहायक नहीं है। info

• بيان فضل أصحاب النبي صلى الله عليه وسلم على سائر الناس.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सहाबा की अन्य सभी लोगों पर श्रेष्ठता का वर्णन। info