আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - হিন্দি অনুবাদ- আজীজুল হক ওমৰী

अल्-ह़ाक़्क़ा

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1 : 69

اَلْحَآقَّةُ ۟ۙ

होकर रहने वाली। info
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2 : 69

مَا الْحَآقَّةُ ۟ۚ

क्या है वह होकर रहने वाली? info
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3 : 69

وَمَاۤ اَدْرٰىكَ مَا الْحَآقَّةُ ۟ؕ

और आपको किस चीज़ ने अवगत कराया कि होकर रहने वाली क्या है? info
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4 : 69

كَذَّبَتْ ثَمُوْدُ وَعَادٌ بِالْقَارِعَةِ ۟

समूद तथा आद (जातियों) ने खड़खड़ाने वाली (क़ियामत) को झुठला दिया। info
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5 : 69

فَاَمَّا ثَمُوْدُ فَاُهْلِكُوْا بِالطَّاغِیَةِ ۟

फिर जो समूद थे, वे हद से बढ़ी हुई (तेज़) आवाज़ से विनष्ट कर दिए गए। info
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6 : 69

وَاَمَّا عَادٌ فَاُهْلِكُوْا بِرِیْحٍ صَرْصَرٍ عَاتِیَةٍ ۟ۙ

और रही बात आद की, तो वे बड़ी ठंडी और प्रचंड आँधी से नष्ट कर दिए गए। info
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7 : 69

سَخَّرَهَا عَلَیْهِمْ سَبْعَ لَیَالٍ وَّثَمٰنِیَةَ اَیَّامٍ ۙ— حُسُوْمًا فَتَرَی الْقَوْمَ فِیْهَا صَرْعٰی ۙ— كَاَنَّهُمْ اَعْجَازُ نَخْلٍ خَاوِیَةٍ ۟ۚ

अल्लाह ने उसे उनपर सात रातें और आठ दिन निरंतर चलाए रखा, तो आप उस जाति के लोगों को उसमें इस तरह गिरे हुए देखते, जैसे वे गिरी हुई खजूरों के खोखले तने हों।[1] info

1. उनके भारी और लंबे होने की उपमा खजूर के तने से दी गई है।

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8 : 69

فَهَلْ تَرٰی لَهُمْ مِّنْ بَاقِیَةٍ ۟

तो क्या आप उनका कोई भी बाक़ी रहने वाला देखते हैं? info
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9 : 69

وَجَآءَ فِرْعَوْنُ وَمَنْ قَبْلَهٗ وَالْمُؤْتَفِكٰتُ بِالْخَاطِئَةِ ۟ۚ

और फ़िरऔन ने तथा उससे पहले के लोगों ने एवं उलट जाने वाली बस्तियों ने पाप किया। info
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10 : 69

فَعَصَوْا رَسُوْلَ رَبِّهِمْ فَاَخَذَهُمْ اَخْذَةً رَّابِیَةً ۟

उन्होंने अपने पालनहार के रसूल की अवज्ञा की। तो अल्लाह ने उन्हें बड़ी कठोर पकड़ में ले लिया। info
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11 : 69

اِنَّا لَمَّا طَغَا الْمَآءُ حَمَلْنٰكُمْ فِی الْجَارِیَةِ ۟ۙ

निःसंदेह हमने ही, जब पानी सीमा पार कर गया, तुम्हें नाव[2] में सवार किया। info

2. इसमें नूह़ (अलैहिस्सलाम) के तूफ़ान की ओर संकेत है। और सभी मनुष्य उनकी संतान हैं, इस लिए यह दया सब पर हुई है।

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12 : 69

لِنَجْعَلَهَا لَكُمْ تَذْكِرَةً وَّتَعِیَهَاۤ اُذُنٌ وَّاعِیَةٌ ۟

ताकि हम उसे तुम्हारे लिए एक (शिक्षाप्रद) यादगार बना दें और (ताकि) याद रखने वाले कान उसे याद रखें। info
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13 : 69

فَاِذَا نُفِخَ فِی الصُّوْرِ نَفْخَةٌ وَّاحِدَةٌ ۟ۙ

फिर जब सूर (नरसिंघा) में एक फूँक मारी जाएगी। info
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14 : 69

وَّحُمِلَتِ الْاَرْضُ وَالْجِبَالُ فَدُكَّتَا دَكَّةً وَّاحِدَةً ۟ۙ

और धरती तथा पर्वतों को उठाया जाएगा और दोनों को एक ही बार में चूर्ण-विचूर्ण कर दिया जाएगा।[3] info

3. दोखिए : सूरत ताहा, आयत : 20, आयत : 103, 108.

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15 : 69

فَیَوْمَىِٕذٍ وَّقَعَتِ الْوَاقِعَةُ ۟ۙ

तो उस दिन घटित होने वाली घटित हो जाएगी। info
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16 : 69

وَانْشَقَّتِ السَّمَآءُ فَهِیَ یَوْمَىِٕذٍ وَّاهِیَةٌ ۟ۙ

तथा आकाश फट जाएगा, तो उस दिन वह कमज़ोर होगा। info
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17 : 69

وَّالْمَلَكُ عَلٰۤی اَرْجَآىِٕهَا ؕ— وَیَحْمِلُ عَرْشَ رَبِّكَ فَوْقَهُمْ یَوْمَىِٕذٍ ثَمٰنِیَةٌ ۟ؕ

और फ़रिश्ते उसके किनारों पर होंगे तथा उस दिन आपके पालनहार का अर्श (सिंहासन) आठ फ़रिश्ते अपने ऊपर उठाए हुए होंगे। info
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18 : 69

یَوْمَىِٕذٍ تُعْرَضُوْنَ لَا تَخْفٰی مِنْكُمْ خَافِیَةٌ ۟

उस दिन तुम (अल्लाह के सामने) पेश किए जाओगे। तुम्हारी कोई छिपी हुई बात छिपी नहीं रहेगी। info
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19 : 69

فَاَمَّا مَنْ اُوْتِیَ كِتٰبَهٗ بِیَمِیْنِهٖ فَیَقُوْلُ هَآؤُمُ اقْرَءُوْا كِتٰبِیَهْ ۟ۚ

फिर जिसे उसका कर्म-पत्र उसके दाएँ हाथ में दिया गिया, तो वह कहेगा : यह लो, मेरा कर्म-पत्र पढ़ो। info
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20 : 69

اِنِّیْ ظَنَنْتُ اَنِّیْ مُلٰقٍ حِسَابِیَهْ ۟ۚ

मुझे विश्वास था कि मैं अपने हिसाब से मिलने वाला हूँ। info
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21 : 69

فَهُوَ فِیْ عِیْشَةٍ رَّاضِیَةٍ ۟ۙ

चुनाँचे वह आनंदपूर्ण जीवन में होगा। info
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22 : 69

فِیْ جَنَّةٍ عَالِیَةٍ ۟ۙ

एक ऊँची जन्नत में। info
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23 : 69

قُطُوْفُهَا دَانِیَةٌ ۟

जिसके फल निकट होंगे। info
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24 : 69

كُلُوْا وَاشْرَبُوْا هَنِیْٓـًٔا بِمَاۤ اَسْلَفْتُمْ فِی الْاَیَّامِ الْخَالِیَةِ ۟

(उनसे कहा जायेगा :) आनंदपूर्वक खाओ और पियो, उसके बदले जो तुमने बीते दिनों में आगे भेजे। info
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25 : 69

وَاَمَّا مَنْ اُوْتِیَ كِتٰبَهٗ بِشِمَالِهٖ ۙ۬— فَیَقُوْلُ یٰلَیْتَنِیْ لَمْ اُوْتَ كِتٰبِیَهْ ۟ۚ

और लेकिन जिसे उसका कर्म-पत्र उसके बाएँ हाथ में दिया गया, तो वह कहेगा : ऐ काश! मुझे मेरा कर्म-पत्र न दिया जाता। info
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26 : 69

وَلَمْ اَدْرِ مَا حِسَابِیَهْ ۟ۚ

तथा मैं न जानता कि मेरा हिसाब क्या है! info
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27 : 69

یٰلَیْتَهَا كَانَتِ الْقَاضِیَةَ ۟ۚ

ऐ काश! वह (मृत्यु) काम तमाम कर देने वाली[4] होती। info

4. अर्थात उसके पश्चात् मैं फिर जीवित न किया जाता।

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28 : 69

مَاۤ اَغْنٰی عَنِّیْ مَالِیَهْ ۟ۚ

मेरा धन मेरे किसी काम न आया। info
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29 : 69

هَلَكَ عَنِّیْ سُلْطٰنِیَهْ ۟ۚ

मेरी सत्ता[5] मुझसे जाती रही। info

5. इसका दूसरा अर्थ यह भी हो सकता है कि परलोक के इनकार पर जितने तर्क दिया करता था आज सब निष्फल हो गए।

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30 : 69

خُذُوْهُ فَغُلُّوْهُ ۟ۙ

(आदेश होगा :) उसे पकड़ो और उसके गले में तौक़ डाल दो। info
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31 : 69

ثُمَّ الْجَحِیْمَ صَلُّوْهُ ۟ۙ

फिर उसे भड़कती हुई आग में झोंक दो। info
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32 : 69

ثُمَّ فِیْ سِلْسِلَةٍ ذَرْعُهَا سَبْعُوْنَ ذِرَاعًا فَاسْلُكُوْهُ ۟ؕ

फिर एक ज़ंजीर में, जिसकी लंबाई सत्तर गज़ है, उसे जकड़ दो। info
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33 : 69

اِنَّهٗ كَانَ لَا یُؤْمِنُ بِاللّٰهِ الْعَظِیْمِ ۟ۙ

निःसंदेह वह सबसे महान अल्लाह पर ईमान नहीं रखता था। info
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34 : 69

وَلَا یَحُضُّ عَلٰی طَعَامِ الْمِسْكِیْنِ ۟ؕ

तथा ग़रीब को खाना खिलाने के लिए प्रोत्साहित नहीं करता था। info
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35 : 69

فَلَیْسَ لَهُ الْیَوْمَ هٰهُنَا حَمِیْمٌ ۟ۙ

अतः आज यहाँ उसका कोई मित्र नहीं है। info
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36 : 69

وَّلَا طَعَامٌ اِلَّا مِنْ غِسْلِیْنٍ ۟ۙ

और न पीप के सिवा कोई भोजन है। info
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37 : 69

لَّا یَاْكُلُهٗۤ اِلَّا الْخَاطِـُٔوْنَ ۟۠

जिसे पापियों के अलावा कोई नहीं खाता। info
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38 : 69

فَلَاۤ اُقْسِمُ بِمَا تُبْصِرُوْنَ ۟ۙ

मैं उन चीज़ों की क़सम खता हूँ, जिन्हें तुम देखते हो। info
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39 : 69

وَمَا لَا تُبْصِرُوْنَ ۟ۙ

तथा उनकी जिन्हें तुम नहीं देखते हो। info
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40 : 69

اِنَّهٗ لَقَوْلُ رَسُوْلٍ كَرِیْمٍ ۟ۚۙ

निःसंदेह यह (क़ुरआन) एक सम्मानित रसूल[6] का कथन है। info

6. यहाँ सम्मानित रसूल से अभिप्राय मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) हैं। तथा सूरत अत्-तक्वीर आयत : 19 में फ़रिश्ते जिबरील (अलैहिस्सलाम) जो वह़्यी लाते थे वह अभिप्राय हैं। यहाँ क़ुरआन को आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का कथन इस अर्थ में कहा गया है कि लोग उसे आपसे सुन रहे थे। और इसी प्रकार आप जिबरील (अलैहिस्सलाम) से सुन रहे थे। अन्यथा, वास्तव में, क़ुरआन अल्लाह का कथन है, जैसा कि आगामी आयत : 43 में आ रहा है।

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41 : 69

وَّمَا هُوَ بِقَوْلِ شَاعِرٍ ؕ— قَلِیْلًا مَّا تُؤْمِنُوْنَ ۟ۙ

और यह किसी कवि की वाणी नहीं है। तुम बहुत कम ईमान लाते हो। info
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42 : 69

وَلَا بِقَوْلِ كَاهِنٍ ؕ— قَلِیْلًا مَّا تَذَكَّرُوْنَ ۟ؕ

और न किसी काहिन की वाणी है, तुम बहुत कम शिक्षा ग्रहण करते हो। info
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43 : 69

تَنْزِیْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟

(यह) सर्व संसार के पालनहार की ओर से उतारा हुआ है। info
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44 : 69

وَلَوْ تَقَوَّلَ عَلَیْنَا بَعْضَ الْاَقَاوِیْلِ ۟ۙ

और यदि वह (नबी) हमपर कोई बात बनाकर[7] लगाता। info

7. इस आयत का भावार्थ यह कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को अपनी ओर से वह़्य (प्रकाशना) में कुछ अधिक या कम करने का अधिकार नहीं है। यदि वह ऐसा करेंगे, तो उन्हें कड़ी यातना दी जाएगी।

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45 : 69

لَاَخَذْنَا مِنْهُ بِالْیَمِیْنِ ۟ۙ

तो निश्चय हम उसे दाएँ हाथ से पकते। info
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46 : 69

ثُمَّ لَقَطَعْنَا مِنْهُ الْوَتِیْنَ ۟ؗۖ

फिर अवश्य हम उसके जीवन की धमनी काट देते। info
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47 : 69

فَمَا مِنْكُمْ مِّنْ اَحَدٍ عَنْهُ حٰجِزِیْنَ ۟

फिर तुममें से कोई भी हमें उससे रोकने वाला न होता। info
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48 : 69

وَاِنَّهٗ لَتَذْكِرَةٌ لِّلْمُتَّقِیْنَ ۟

निःसंदेह यह (क़ुरआन) डरने वालों के लिए एक उपदेश है। info
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49 : 69

وَاِنَّا لَنَعْلَمُ اَنَّ مِنْكُمْ مُّكَذِّبِیْنَ ۟

तथा निःसंदेह हम निश्चित रूप से जानते हैं कि बेशक तुममें से कुछ झुठलाने वाले हैं। info
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50 : 69

وَاِنَّهٗ لَحَسْرَةٌ عَلَی الْكٰفِرِیْنَ ۟

और निःसंदेह वह निश्चित रूप से काफ़िरों[8] के लिए पछतावे का कारण है। info

8. अर्थात जो क़ुरआन को नहीं मानते, वे अंततः पछताएँगे।

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51 : 69

وَاِنَّهٗ لَحَقُّ الْیَقِیْنِ ۟

और निःसंदेह वह निश्चय विश्वसनीय सत्य है। info
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52 : 69

فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِیْمِ ۟۠

अतः आप अपने महान पालनहार के नाम की पवित्रता का वर्णन करें। info
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