আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - হিন্দি অনুবাদ- আজীজুল হক ওমৰী

ग़ाफ़िर

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1 : 40

حٰمٓ ۟ۚ

ह़ा, मीम। info
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2 : 40

تَنْزِیْلُ الْكِتٰبِ مِنَ اللّٰهِ الْعَزِیْزِ الْعَلِیْمِ ۟ۙ

इस पुस्तक का अवतरण अति प्रभुत्वशाली, सब कुछ जानने वाले अल्लाह की ओर से है। info
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3 : 40

غَافِرِ الذَّنْۢبِ وَقَابِلِ التَّوْبِ شَدِیْدِ الْعِقَابِ ذِی الطَّوْلِ ؕ— لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ؕ— اِلَیْهِ الْمَصِیْرُ ۟

जो पाप क्षमा करने वाला और तौबा स्वीकार करने वाला, कठोर दंड देने वाला, बड़ा अनुग्रहशील है। उसके सिवा कोई (सच्चा) पूज्य नहीं। उसी की ओर (सबको) जाना है। info
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4 : 40

مَا یُجَادِلُ فِیْۤ اٰیٰتِ اللّٰهِ اِلَّا الَّذِیْنَ كَفَرُوْا فَلَا یَغْرُرْكَ تَقَلُّبُهُمْ فِی الْبِلَادِ ۟

अल्लाह की आयतों के बारे में केवल वही लोग झगड़ा करते हैं, जो काफ़िर हैं। अतः आपको उनका नगरों में चलना-फिरना धोखे में न डाले। info
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5 : 40

كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوْحٍ وَّالْاَحْزَابُ مِنْ بَعْدِهِمْ ۪— وَهَمَّتْ كُلُّ اُمَّةٍ بِرَسُوْلِهِمْ لِیَاْخُذُوْهُ وَجٰدَلُوْا بِالْبَاطِلِ لِیُدْحِضُوْا بِهِ الْحَقَّ فَاَخَذْتُهُمْ ۫— فَكَیْفَ كَانَ عِقَابِ ۟

इनसे पहले नूह की जाति ने झुठलाया तथा उनके बाद के (दूसरे) समूहों ने भी (झुठलाया)। और प्रत्येक समुदाय के लोगों ने इरादा किया कि अपने रसूल को पकड़ लें। तथा उन्होंने असत्य के साथ झगड़ा किया ताकि उसके द्वारा सत्य को ग़लत ठहरा दें। अंततः मैंने उन्हें पकड़ लिया। तो मेरी सज़ा कैसी थी? info
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6 : 40

وَكَذٰلِكَ حَقَّتْ كَلِمَتُ رَبِّكَ عَلَی الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اَنَّهُمْ اَصْحٰبُ النَّارِ ۟

और इसी प्रकार आपके पालनहार की बात उन लोगों पर सिद्ध हो गई, जिन्होंने कुफ़्र किया कि वे जहन्नम वाले हैं। info
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7 : 40

اَلَّذِیْنَ یَحْمِلُوْنَ الْعَرْشَ وَمَنْ حَوْلَهٗ یُسَبِّحُوْنَ بِحَمْدِ رَبِّهِمْ وَیُؤْمِنُوْنَ بِهٖ وَیَسْتَغْفِرُوْنَ لِلَّذِیْنَ اٰمَنُوْا ۚ— رَبَّنَا وَسِعْتَ كُلَّ شَیْءٍ رَّحْمَةً وَّعِلْمًا فَاغْفِرْ لِلَّذِیْنَ تَابُوْا وَاتَّبَعُوْا سَبِیْلَكَ وَقِهِمْ عَذَابَ الْجَحِیْمِ ۟

जो (फ़रिश्ते) अर्श (सिंहासन) को उठाए हुए हैं और जो उसके आस-पास हैं, वे अपने पालनहार की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता बयान करते हैं, तथा उसपर ईमान रखते हैं, और उन लोगों के लिए क्षमा याचना करते हैं[1] जो ईमान लाए। (वे कहते हैं :) ऐ हमारे पालनहार! तूने हर चीज़ को (अपनी) दया और ज्ञान से घेर रखा है। अतः उन लोगों को क्षमा कर दे, जिन्होंने तौबा की और तेरे मार्ग का अनुसरण किया, तथा उन्हें भड़कती हुई आग की यातना से बचा। info

1. यहाँ फ़रिश्तों के दो गिरोह का वर्णन किया गया है। एक वह जो अर्श को उठाए हुए है। और दूसरा वह जो अर्श के चारों ओर घूमकर अल्लाह की प्रशंसा का गान और ईमान वालों के लिए क्षमा याचना करता है।

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