আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - আল-মুখতাচাৰ ফী তাফছীৰিল কোৰআনিল কাৰীমৰ হিন্দী অনুবাদ

अन्-नम्ल

ছুৰাৰ উদ্দেশ্য:
الامتنان على النبي صلى الله عليه وسلم بنعمة القرآن وشكرها والصبر على تبليغه.
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर क़ुरआन की ने'मत के द्वारा उपकार जताना, और इसपर आभारी होने तथा इसके प्रसार पर धैर्य रखने की प्रेरणा देना। info

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1 : 27

طٰسٓ ۫— تِلْكَ اٰیٰتُ الْقُرْاٰنِ وَكِتَابٍ مُّبِیْنٍ ۟ۙ

(ता, सीन) सूरतुल-बक़रा की शुरुआत में इस प्रकार के अक्षरों के बारे में बात गुज़र चुकी है। आपपर उतरने वाली ये आयतें क़ुरआन तथा एक स्पष्ट और असंदिग्ध पुस्तक की आयतें हैं। जो कोई भी इस (पुस्तक) पर विचार करता है, वह जान लेता है कि यह अल्लाह की ओर से है। info
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2 : 27

هُدًی وَّبُشْرٰی لِلْمُؤْمِنِیْنَ ۟ۙ

ये आयतें सत्य की ओर मार्गदर्शन करने वाली, उसकी ओर ले जाने वाली तथा अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान रखने वालों को ख़ुशख़बरी सुनाने वाली हैं। info
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3 : 27

الَّذِیْنَ یُقِیْمُوْنَ الصَّلٰوةَ وَیُؤْتُوْنَ الزَّكٰوةَ وَهُمْ بِالْاٰخِرَةِ هُمْ یُوْقِنُوْنَ ۟

जो पूर्णतम तरीक़े से नमाज़ अदा करते हैं, अपने माल की ज़कात निकाल कर उसके हक़दारों को देते हैं, तथा वे आख़िरत के सवाब और सज़ा पर विश्वास रखते हैं। info
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4 : 27

اِنَّ الَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ زَیَّنَّا لَهُمْ اَعْمَالَهُمْ فَهُمْ یَعْمَهُوْنَ ۟ؕ

निःसंदेह जो काफ़िर आख़िरत तथा उसके सवाब और सज़ा पर ईमान नहीं रखते, हमने उनके बुरे कामों को उनके लिए सुंदर बना दिया है। चुनाँचे वे उन्हें करते रहते हैं। इसलिए वे भटकते फिर रहे हैं, उन्हें सत्य या मार्गदर्शन नहीं मिल रहा है। info
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5 : 27

اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ لَهُمْ سُوْٓءُ الْعَذَابِ وَهُمْ فِی الْاٰخِرَةِ هُمُ الْاَخْسَرُوْنَ ۟

उक्त विशेषताओं वाले ही वे लोग हैं, जिनके लिए इस दुनिया में क़त्ल एवं क़ैद की बुरी यातना है, तथा वे आख़िरत में सबसे ज़्यादा घाटा उठाने वाले होंगे। क्योंकि वे क़ियामत के दिन खुद को और अपने परिवार को, उन्हें हमेशा के लिए जहन्नम का वासी बनाकर, घाटे में डाल देंगे। info
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6 : 27

وَاِنَّكَ لَتُلَقَّی الْقُرْاٰنَ مِنْ لَّدُنْ حَكِیْمٍ عَلِیْمٍ ۟

और निःसंदेह (ऐ रसूल!) आप अपने ऊपर उतरने वाले इस क़ुरआन को एक ऐसी हस्ती की ओर से प्राप्त कर रहे हैं, जो अपनी रचना, प्रबंधन और विधान में पूर्ण हिकमत वाली है, सब कुछ जानने वाली है, उसके बंदों के हितों में से कोई भी वस्तु उससे छिपी नहीं है। info
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7 : 27

اِذْ قَالَ مُوْسٰی لِاَهْلِهٖۤ اِنِّیْۤ اٰنَسْتُ نَارًا ؕ— سَاٰتِیْكُمْ مِّنْهَا بِخَبَرٍ اَوْ اٰتِیْكُمْ بِشِهَابٍ قَبَسٍ لَّعَلَّكُمْ تَصْطَلُوْنَ ۟

याद करो (ऐ रसूल!) जिस समय मूसा ने अपने घर वालों से कहा : निःसंदेह मैंने एक आग देखी है। मैं तुम्हारे पास उसे जलाने वाले से कोई ख़बर लाऊँगा, जिससे हमें रास्ते का पता चलेगा, अथवा तुम्हारे पास उससे आग का कोई अंगारा लेकर आऊँगा, ताकि तुम उसके द्वारा अपने आपको ठंड से गर्म कर सको। info
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8 : 27

فَلَمَّا جَآءَهَا نُوْدِیَ اَنْ بُوْرِكَ مَنْ فِی النَّارِ وَمَنْ حَوْلَهَا ؕ— وَسُبْحٰنَ اللّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟

जब वह उस आग के स्थान पर पहुँचे, जो उन्होंने देखी थी, तो अल्लाह ने उन्हें पुकारा : बरकत वाला है वह जो इस आग में है, तथा जो इसके आस-पास फ़रिश्ते हैं। तथा सारे संसारों का पालनहार पवित्र और पाक है उन विशेषताओं से जो उसके योग्य नहीं हैं, जिनसे पथभ्रष्ट लोग उसे विशेषित करते हैं। info
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9 : 27

یٰمُوْسٰۤی اِنَّهٗۤ اَنَا اللّٰهُ الْعَزِیْزُ الْحَكِیْمُ ۟ۙ

अल्लाह ने उनसे कहा : ऐ मूसा! निःसंदेह मैं ही अल्लाह हूँ। सब पर प्रभुत्वशाली हूँ, मुझे कोई पराजित नहीं कर सकता। अपनी रचना, नियति और विधान में पूर्ण हिकमत वाला हूँ। info
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10 : 27

وَاَلْقِ عَصَاكَ ؕ— فَلَمَّا رَاٰهَا تَهْتَزُّ كَاَنَّهَا جَآنٌّ وَّلّٰی مُدْبِرًا وَّلَمْ یُعَقِّبْ ؕ— یٰمُوْسٰی لَا تَخَفْ ۫— اِنِّیْ لَا یَخَافُ لَدَیَّ الْمُرْسَلُوْنَ ۟ۗۖ

और अपनी लाठी डाल दो। मूसा ने आदेश का पालन किया, लेकिन जब उसे साँप की तरह हिलते और रेंगते हुए देखा, तो उससे पीठ फेरकर भागे और पीछे मुड़कर नहीं देखा। तो अल्लाह ने उनसे कहा : इससे भय न खाओ l क्योंकि मेरे पास रसूल साँप या किसी और से नहीं डरते। info
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11 : 27

اِلَّا مَنْ ظَلَمَ ثُمَّ بَدَّلَ حُسْنًا بَعْدَ سُوْٓءٍ فَاِنِّیْ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟

सिवाय उसके जिसने कोई पाप करके अपने ऊपर अत्याचार किया। फिर उसके बाद तौबा कर ली, तो निःसंदेह मैं उसे बहुत क्षमा करने वाला, उसपर बेहद दयालु हूँ। info
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12 : 27

وَاَدْخِلْ یَدَكَ فِیْ جَیْبِكَ تَخْرُجْ بَیْضَآءَ مِنْ غَیْرِ سُوْٓءٍ ۫— فِیْ تِسْعِ اٰیٰتٍ اِلٰی فِرْعَوْنَ وَقَوْمِهٖ ؕ— اِنَّهُمْ كَانُوْا قَوْمًا فٰسِقِیْنَ ۟

और अपना हाथ अपनी कमीज़ के गरीबान में डालो, उसमें डालने के बाद वह कोढ़ (बरस) के बिना बर्फ़ की तरह सफ़ेद निकलेगा। यह उन नौ निशानियों में से एक है, जो आपकी सच्चाई की गवाही देती हैं। (ये नौ निशानियाँ : हाथ का चमकना, लाठी, अकाल, फलों की कमी, तूफान (बाढ़), टिड्डी, खटमल, मेंढक और खून हैं।) इन्हें फ़िरऔन तथा उसकी क़ौम के पास ले जाओ। वे अल्लाह का इनकार करने के कारण उसकी आज्ञाकारिता से निकलने वाले लोग हैं। info
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13 : 27

فَلَمَّا جَآءَتْهُمْ اٰیٰتُنَا مُبْصِرَةً قَالُوْا هٰذَا سِحْرٌ مُّبِیْنٌ ۟ۚ

फिर जब उनके पास हमारी ये निशानियाँ, जिनके साथ हमने मूसा का समर्थन किया था, स्पष्ट और साफ तौर पर आ गईं, तो उन्होंने कहा : ये निशानियाँ जिन्हें मूसा लेकर आया है, स्पष्ट जादू हैं। info
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এই পৃষ্ঠাৰ আয়াতসমূহৰ পৰা সংগৃহীত কিছুমান উপকাৰী তথ্য:
• القرآن هداية وبشرى للمؤمنين.
• क़ुरआन मोमिनों के लिए मार्गदर्शन तथा शुभ सूचना है। info

• الكفر بالله سبب في اتباع الباطل من الأعمال والأقوال، والحيرة، والاضطراب.
• अल्लाह का इनकार असत्य कर्मों और वचनों का पालन करने, हैरानी और बेचैनी का कारण है। info

• تأمين الله لرسله وحفظه لهم سبحانه من كل سوء.
• अल्लाह अपने रसूलों की रक्षा करता है और हर बुराई से उन्हें सुरक्षित रखता है। info